
अगर आमदनी और खर्च के बीच तालमेल नहीं है तो इसका सीधा असर सेविंग पर पड़ता है. कुछ लोग मोटी सैलरी (Salary) होने के बावजूद भी एक रुपया नहीं बचा पाते. क्योंकि उन्हें ये तो पता है कि उनकी आमदनी कितनी है, लेकिन उनके पास खर्च का कोई लेखा-जोखा नहीं होता. फिर धीरे-धीरे आर्थिक सेहत बिगड़ती जाती है, और कुछ साल में ही 'आमदनी अठन्नी, खर्च रुपया' जैसा मामला हो जाता है.
ऐसे में आमदनी जो भी हो, खर्च पर अंकुश लगाकर या फिर संतुलित खर्च के साथ किसी भी आर्थिक लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. अगर आप आमदनी और खर्च के बीच तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं, तो वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं. वैसे भी सैलरीड क्साल को कम से कम 20 से 30 फीसदी सैलरी का हिस्सा बचाना चाहिए.
इसी कड़ी में आज हम राहुल की आर्थिक चुनौतियों के बारे में बात करने वाले हैं. राहुल की सैलरी एक लाख रुपये महीने है, और मेट्रो शहर में नौकरी करते हैं, फिलहाल उनकी शादी नहीं हुई है. लेकिन उन्हें इसी सैलरी में से घर और कार खरीदनी है, हर महीने 20 हजार रुपये सेविंग भी करनी है. कैसे ये लक्ष्य पूरा होगा?
घर- कार खरीदने से पहले ये प्लान जरूरी
अब राहुल के सवालों का जवाब तलाशते हैं, अगर एक लाख रुपये सैलरी है तो PF कटने के बाद करीब 95 हजार रुपये अकाउंट डिपॉजिट होती होगी. अब सबसे पहले घर की बात करते हैं, आज के दौर में बड़े शहरों में 2 BHK फ्लैट की कीमत कम से कम 40 लाख रुपये होती है. जिसमें करीब 5 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करना होता, और बाकी 35 लाख रुपये बैंक से लोन लेना पड़ेगा. मौजूदा होम लोन ब्याज दर के अनुसार करीब 30 हजार रुपये महीने की EMI बनेगी. यानी सैलरी में से 30 रुपये महीने घर की EMI में चली जाएगी.
उसके बाद कार की बात करते हैं. वैसे भी किसी को भी अपनी सैलरी के 6 से 8 फीसदी हिस्सा ही कार की EMI पर खर्च करनी चाहिए. एक लाख की सैलरी वालों को 6 से 8 हजार रुपये महीने EMI पर पहली कार लेनी चाहिए. अधिकतम 10 हजार रुपये हर महीने कार की EMI भर सकते हैं. इस हिसाब से राहुल की कार की कीमत 6 से 8 लाख रुपये होनी चाहिए. यही नहीं, कार लोन अधिकतम 5 साल के लिए लेना चाहिए. कोशिश ये होनी चाहिए कि 4 साल में भी कार लोन को निपटा दें. यानी कार और घर की EMI मिलाकर राहुल की सैलरी में 40 हजार रुपये हर महीने निकल जाएंगे.
पहली नौकरी के साथ करें बचत की शुरुआत
अब निवेश पर आते हैं, हर किसी को 20 से 30 फीसदी सैलरी का हिस्सा निवेश करना चाहिए. लेकिन यहां राहुल बचत की शुरुआत 20 हजार रुपये से करना चाहते हैं. जबकि आर्थिक सलाहकार कहते हैं कि राहुल को अभी जब कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है तो उन्हें हर महीने कम से कम 30 हजार रुपये बचाना चाहिए. लेकिन अभी 20 हजार रुपये महीने बचा रहे हैं तो इसमें से 10 हजार रुपये हर महीने SIP में जाना चाहिए. बाकी 10 हजार PPF और दूसरे स्कीम्स में लगानी चाहिए.

इमरजेंसी फंड को हाथ लगाने से बचें
इस तरह से राहुल के बैंक में क्रेडिट 95 हजार सैलरी में से 60 हजार रुपये घर, कार और बचत के लिए निधार्रित हो जाएंगे. अब बाकी बचे 35 हजार रुपये. इसमें 20 से 25 हजार रुपये हर महीने घर का खर्च मान लेते हैं. जिसमें ग्रोसरी के अलावा लाइस्टाइफ पर भी खर्च होता है. बाकी 10 से 15 हजार रुपये को इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) के तौर पर जमा करें. इस रकम को मेडिकल इमरजेंसी (Medical Emergency) साल में दो बार ट्रैवलिंग पर खर्च कर सकते हैं. हालांकि 1 लाख की सैलरी वालों को होलिडे स्पेंड के तौर सालाना 50 हजार रुपये तक ही खर्च करना चाहिए. वित्तीय सलाहकार की मानें तो राहुल को हमेशा अपने सेविंग अकाउंट (Saving Account) करीब 2 लाख रुपये इसरजेंसी फंड के तौर रखना चाहिए. साथ ही कार (Car) और घर (House) खरीदने के लिए डाउन पेमेंट को सैलरी में से बचाकर करना चाहिए, यानी घर-कार खरीदने से पहले जॉब के दौरान जो पैसे बचाएं हैं, उसका इस्तेमाल करें.
सबसे खास बात ये है कि राहुल को सबसे पहले करीब 1 करोड़ रुपये का टर्म प्लान (Term Plan) लेना चाहिए. इसके अलावा उनके लिए कम से कम 10 लाख रुपये की हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी है, जो फैमिली फोल्टर प्लान होना चाहिए. जिसमें शादी से पहले उसमें माता-पिता का नाम शामिल हो. क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योंरेस आज के दौर में सबके लिए सबसे जरूरी है. यहां हमने स्टोरी को केवल समझाने के लिए राहुल का उदाहरण लिया है.