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जेल में रहकर कैदी ने ली MSc की डिग्री, अब बांट रहा ज्ञान

छत्तीसगढ़ के जेलों में हत्या, लूट, डकैती व कई संगीन आरोपों में सजा काट रहे बंदी इसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं. बंदी यहां कारागार में न सिर्फ शिक्षित हो रहे हैं बल्कि डिग्रियां भी हासिल कर रहे हैं. रायपुर कारागार में हत्या के दोषी एक ऐसे ही बंदी ने न सिर्फ एमएससी की डिग्री हासिल की है बल्कि वह अब जेल में दूसरे कैदियों को पढ़ा भी रहा है.

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Symbolic photo
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कानून में अपराध करने वालों के लिए कैद की सजा का प्रावधान है ताकि वे जेलों में समय बिताकर खुद में सुधार ला सके. यह एक पहल है कैदियों को मुख्‍यधारा से जोड़ने की और छत्तीसगढ़ के जेलों में हत्या, लूट, डकैती व कई संगीन आरोपों में सजा काट रहे बंदी इसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं. बंदी यहां कारागार में न सिर्फ शिक्षित हो रहे हैं बल्कि डिग्रियां भी हासिल कर रहे हैं.

रायपुर कारागार में हत्या का दोषी बोधनराम यादव बीते आठ साल से जेल में है. बताया जाता है कि जेल में रहते हुए उसने बीएससी और एमएससी की उच्‍च डिग्री हासिल कर ली है. 50 साल का बोधनराम अपर डिवीजन टीचर था, हत्या का आरोप सिद्ध होने के बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जेलकर्मी बताते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में बोधनराम ने पढ़ाई को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और केंद्रीय कारागार में संचालित स्कूल में वह दूसरे कैदियों को पढ़ाने का काम भी करता है. स्‍कूल के शिक्षक नेतराम नागपोड़े कहते हैं, 'बोधनराम दूसरे बंदियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करता है, उनके सवालों को हल करता है. वह बाकी बंदियों के लिए एक उदाहरण बन गया है.

...ताकि बाहर निकलकर व्‍यवसाय कर सके
रायपुर केंद्रीय जेल के अधीक्षक डॉ. केके गुप्ता कहते हैं कि बंदियों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था इसलिए की गई है कि वे साक्षर बनें ओर जेल से बाहर निकलें तो अपना व्‍यवसाय शुरू कर सकें. बंदियों के भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कुछ नए कोर्स इस सत्र से जोड़े जा रहे हैं. इनमें कई प्रोफेशनल कोर्स भी शामिल हैं.

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डॉ. गुप्‍ता कहते हैं, 'दो बंदियों ने गणित में एमएससी की है. इनमें एक तो रिहा होने के बाद नौकरी कर रहा है और दूसरा अभी जेल में है.'

416 में से 361 हुए पास
प्रदेश के रायपुर केंद्रीय कारागार में पहली से लेकर बीए, एमए, एमएससी और कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वाले बंदियों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है. जानकारी के मुताबिक सत्र 2012-13 में (जनवरी 2014 तक) विभिन्न परीक्षाओं में शामिल 416 बंदियों में से 361 ने संबंधित परीक्षा पास की. जबकि सत्र 2013-14 में 1037 बंदियों ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है.

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