भारत के हाउसिंग मार्केट में असाधारण वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें प्रमुख शहरों में कीमतें पिछले पांच सालों में 48 फीसदी तक बढ़ गई हैं. 1 Finance Housing Total Return Index के मुताबिक देश के टॉप 8 शहरों में आवासीय बिक्री में 9% की वृद्धि होने की उम्मीद है. मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु जैसे शहरों में संपत्ति की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो क्रमश- 6-15% की वृद्धि दर के साथ बढ़ रही हैं.
यह इंडेक्स, जो रेरा-पंजीकृत आवासीय लेनदेन के वास्तविक समय के डेटा को ट्रैक करता है. 2020 में 167 से बढ़कर 2025 में 247 हो गया. यह कोविड के बाद मजबूत रिकवरी को दर्शाता है, जो बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और खरीदारों की बदलती प्राथमिकताओं से प्रेरित है.
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राष्ट्रीय स्तर पर बिना बिके घरों में 32% की वृद्धि के बावजूद, 2020 और 2025 के बीच बिक्री में 33% की वृद्धि हुई है, जबकि नए प्रोजेक्ट्स में केवल 10% की वृद्धि हुई है, जो आपूर्ति की तुलना में मांग में अधिक वृद्धि को दर्शाता है.
1 फाइनेंस के क्वांटिटेटिव रिसर्च के सीनियर वीपी अनिमेष हरदिया का कहना है कि वर्तमान बाजार का माहौल मिला-जुला है. मौजूदा मकान मालिकों के पास संपत्तियों की कीमत बढ़ रही है, लेकिन संभावित खरीदार डर और जल्दबाजी के बीच फंसे हैं कि कहीं वे बाजार के चरम पर खरीदारी न कर लें. इससे भावनात्मक और आवेगपूर्ण खरीदारी हो रही है. रियल एस्टेट विशेषज्ञों और वित्तीय सलाहकारों के साथ मिलकर डेटा आधारित निर्णय लें, न कि उत्साह या परिवार के दबाव के आधार पर.
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1 फाइनेंस के अनुसार, कीमतों में कोविड के बाद जैसी तेज उछाल की संभावना कम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बाजार की तेजी खत्म हो गई है.टियर 1 शहरों और उनके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते बुनियादी ढांचे के निवेश और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, बाजार अब तेज उछाल से संतुलित स्थिति की ओर बढ़ रहा है.
हालांकि संपत्ति की कीमतें शायद अभी चरम पर नहीं पहुंची हैं, लेकिन आगे चलकर, अधिक स्थिर और टिकाऊ वृद्धि की उम्मीद है. घर खरीदारों के लिए, इसका मतलब है कि बाजार का समय देखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है. अपनी खरीदारी को दीर्घकालिक व्यक्तिगत और वित्तीय लक्ष्यों के साथ जोड़ना.
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