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भारत में REITs का दबदबा, 6-7% रिटर्न के साथ $18 बिलियन पहुंचा बाज़ार

REITs के बढ़ते बाज़ार ने निवेशकों के बीच रियल एस्टेट में निवेश के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है. अब आप बड़ी-बड़ी कमर्शियल प्रॉपर्टीज़ में छोटी रकम के साथ भी हिस्सेदारी कर सकते हैं, और यह बदलाव भारत में तेज़ी से हो रहा है.

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भारत में रियल एस्टेट में निवेश का नया अंदाज़ (ITG)
भारत में रियल एस्टेट में निवेश का नया अंदाज़ (ITG)

2019 में जब से भारत में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) की शुरुआत हुई है, तब से इसने जबरदस्त ग्रोथ हासिल की है. अगस्त 2025 तक, इसका बाज़ार करीब 18 बिलियन डॉलर का हो चुका है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक यह 25 बिलियन डॉलर के पार चला जाएगा. भारत में REITs दुनिया के मुकाबले देर से आए, लेकिन आज ये पूरी दुनिया में सबसे आगे निकल गए हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये 6-7% का रिटर्न दे रहे हैं, जो अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों से कहीं ज़्यादा है.

ANAROCK Capital के CEO, शोभित अग्रवाल ने कहा, "भारतीय REITs भले ही पार्टी में देर से आए हों, लेकिन अब वे डांस फ्लोर पर छा गए हैं." उन्होंने यह भी बताया कि ये अच्छे रिटर्न के साथ-साथ, समय के साथ आपकी पूंजी को भी बढ़ाते हैं, जो इसे फिक्स्ड-इनकम वाले विकल्पों से बेहतर बनाता है.

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REITs: भारत में रियल एस्टेट में निवेश का नया अंदाज़

REITs असल में एक ऐसी कंपनी होती है, जो प्रॉपर्टीज खरीदती है, उन्हें मैनेज करती है और उनसे किराया कमाती है. अभी भारत में REITs का बाज़ार इतना बड़ा नहीं है. यह बड़े इंस्टीट्यूशनल रियल एस्टेट का सिर्फ़ 20% हिस्सा है. वहीं, अमेरिका में यह 96% है, और सिंगापुर (55%) और जापान (51%) जैसे देशों में भी यह हमसे बहुत आगे हैं. फिलहाल, भारत में REITs ज़्यादातर ऑफिस प्रॉपर्टीज, खासकर IT और BFSI (बैंकिंग, फाइनेंसियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) से जुड़ी कंपनियों की प्रॉपर्टीज में ही निवेश कर रहे हैं.

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लेकिन, अच्छी बात यह है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेजी से हो रहा है और अर्थव्यवस्था भी बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद है कि REITs का निवेश लॉजिस्टिक्स, रिटेल, हाउसिंग और डेटा सेंटर जैसी नई प्रॉपर्टीज में भी फैलेगा. CREDAI के प्रेसिडेंट, शेखर पटेल का कहना है, "आज REITs की कुल कीमत का 60% से ज़्यादा हिस्सा कुछ बड़े ऑफिस प्रॉपर्टी प्लेयर्स के पास है. लेकिन भविष्य में यह और भी फैलेगा. जैसे-जैसे भारत के शहर बड़े होंगे, अलग-अलग तरह की प्रॉपर्टीज में निवेश के मौके बढ़ेंगे, और भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बदलते REITs बाजारों में से एक बन जाएगा."

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विश्व स्तर पर, ई-कॉमर्स की वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और बढ़ती डिजिटल मांग के कारण औद्योगिक और डेटा सेंटर रीट (REITs) में ज़बरदस्त तेज़ी देखी जा रही है. अकेले डेटा सेंटर रीट का मूल्य 2024 में लगभग 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, और अगले सात वर्षों में इसके दोगुना होने का अनुमान है. भारत भी इस रुझान का अनुसरण करने की स्थिति में है, जहां 2025 की पहली छमाही में औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स लीज़िंग में साल-दर-साल 60% की बढ़ोतरी हुई, वेयरहाउसिंग की मांग में साल-दर-साल 30% का उछाल आया, और 2024 में संस्थागत निवेश में तीन गुना वृद्धि होकर 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.

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REITs के लिए भारत में राह हुई आसान

भारत के शीर्ष सात शहरों में मौजूद 520 मिलियन वर्ग फीट रीट-योग्य ऑफिस स्टॉक में से, केवल 166 मिलियन वर्ग फीट (32%) ही वर्तमान में सूचीबद्ध है. यह इस क्षेत्र में विकास की महत्वपूर्ण गुंजाइश को दर्शाता है.

सरकारी नियमों में सुधार ने निवेशकों का भरोसा और भी बढ़ाया है. 2014 में SEBI ने REIT के लिए जो नियम बनाए थे, उसके बाद 2025 में कुछ और अहम कदम उठाए गए. जैसे- निवेश की शुरुआती रकम को कम करना, पूंजीगत लाभ (Capital Gains) के नियमों को आसान बनाना. और लाभांश (Dividend) पर टैक्स में छूट देना. इन सभी सुधारों से बाज़ार में पारदर्शिता बढ़ी है और छोटे निवेशक भी इसमें आसानी से हिस्सा ले पा रहे हैं.

भारतीय REITs में अच्छा रिटर्न मिलने, पूंजी बढ़ने और सरकार के सहयोग जैसे कई फायदे हैं. जैसे-जैसे ये सिर्फ ऑफिस प्रॉपर्टी तक सीमित न रहकर लॉजिस्टिक्स, रिटेल और डेटा सेंटर्स में भी निवेश करेंगे, भारत की युवा आबादी, तेजी से बढ़ते शहर और मज़बूत अर्थव्यवस्था इसे बड़ी कंपनियों के लिए निवेश का एक शानदार मौका बनाएगी.

 

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