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Trump Tariff: जिस जगह पर नहीं रहते इंसान, वहां ट्रंप ने क्‍यों लगाया टैरिफ? ये हैं कारण

वेंचर कैपिटलिस्ट और कारोबारी चमथ पालीहापतिया कहते हैं कि भले ही यह मीम्स के लिए कंटेंट हो, लेकिन पेंगुइन द्वीपों पर टैरिफ ( Trump Tariff on Penguin Islands) बिना किसी तर्क के नहीं हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)ने हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीपों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जो दक्षिणी महासागर में स्थित ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र हैं.

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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप
अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप

डोनाल्‍ड ट्रंप ने चीन पर 125 प्रतिशत एक्‍स्‍ट्रा टैरिफ (Trump Tariff) लगाया है, जबकि बाकी देशों पर 90 दिनों तक टैरिफ को टाल दिया है. ट्रंप ने एक ऐसे द्वीप पर भी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसपर इंसान नहीं रहते हैं. यहां पर सिर्फ सील और पेंगुइन रहते हैं. इस जगह को पेंगुइन द्वीप भी कहा जाता है. अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर इस जगह पर टैरिफ क्‍यों लगया है और कौन टैरिफ का भुगतान करेगा? 

वेंचर कैपिटलिस्ट और कारोबारी चमथ पालीहापतिया कहते हैं कि भले ही यह मीम्स के लिए कंटेंट हो, लेकिन पेंगुइन द्वीपों पर टैरिफ ( Trump Tariff on Penguin Islands) बिना किसी तर्क के नहीं हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)ने हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीपों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जो दक्षिणी महासागर में स्थित ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र हैं. इन द्वीपों पर केवल पेंगुइन और सील रहते हैं. 

ट्रंप ने की व्‍यापार असंतुलन को ठीक करने की कोशिश 
एंड्रयू शुल्ज के साथ पॉडकास्ट में बात करते हुए, पलिहापतिया ने कहा कि इस बारे में बहुत सारे मीम्स बनाए गए थे कि इस देश में केवल पेंगुइन हैं और फिर भी इसपर टैरिफ लगाया गया है. उन्‍होंने कहा कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि पिछले 25 सालों में हर बार क्या हुआ है जब किसी ने व्‍यापार असंतुलन को ठीक करने की कोशिश की है. 

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क्‍यों ट्रंप लगा रहे देशों पर टैरिफ 
कंपन‍ियां दूसरे देशों में जा रही थीं और फिर वहां से अमेरिका में इम्‍पोर्ट के जरिए रास्‍ता बना रहीं थीं या फिर किसी दूसरे देश के प्रोडक्‍ट को किसी अन्‍य देश के माध्‍यम से (जहां टैक्‍स कम है)  अमेरिका में एक्‍सपोर्ट करती थीं, जो एक व्‍यापार असंतुलन है. अब जब दूसरे देशों पर टैरिफ (US Tariff) लगा दिया जाएगा तो कोई भी कंपनी ऐसा नहीं करेगी. इसी तरह, द्वीप के जरिए भी कंपनियां अमेरिका में प्रोडक्‍ट एक्‍सपोर्ट (Export in US) कर सकती हैं, इसीलिए इन जगहों पर भी टैरिफ लगाया गया है. 

उन्‍होने कहा कि ऐसा नहीं है कि कंपनिया वहां कोई कारखाना बनाने जा रही हैं. वे इसे सिर्फ एक पड़ाव के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कंपनियां कोई प्रोडक्‍ट चीन में बना रही हैं और इसे लेसोथो भेजती हैं, हम इसे लेसोथो से खरीदते हैं, लेसोथो पर कोई टैरिफ नहीं है. ऐसे में चीन के प्रोडक्‍ट्स अमेरिका में बिना कोई शुल्‍क के आ रहे हैं. हालांकि अब ट्रंप ने लेसोथो पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. 

कैसे चीन टैरिफ से बच रहा था? 
उन्होंने कहा कि जो एक खास बात उजागर हुई है वह कोविड के दौरान हुआ. चीनी टैरिफ से निपटने के लिए मूल रूप से सामान मेक्सिको भेज देते थे. फिर 'हां यह मेक्सिको में बना है' जैसा लेबल लगाकर अमेरिका में भेजते थे. इससे चीन टैरिफ से बचता था. उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि वे जो करने की कोशिश कर रहे थे, वह मूल रूप से ऐसे बिजनेस पर रोक लगाना है और यह सुनिश्चित करना था कि कोई खामियां न हों.

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वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने पहले सीबीएस न्यूज को इसी तरह से समझाया था. उन्‍होंने कहा था कि विचार यह है कि कोई भी देश छूटा नहीं है. होता यह है कि अगर आप सूची से कुछ भी छोड़ देते हैं, तो जो देश मूल रूप से अमेरिका के साथ मध्यस्थता करने की कोशिश करते हैं, वे उन देशों से होते हुए हमारे पास आ जाते हैं.

कोई देश को चीन का माध्‍यम नहीं बनने देना चाहते ट्रंप 
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ने 2018 में चीन पर टैरिफ लगाया और फिर चीन ने जो करना शुरू किया वह यह है कि वे अन्य देशों के माध्यम से अमेरिका में जाने लगे.' जब उनसे पूछा गया कि क्या हर्ड द्वीप पर टैरिफ लगाना एक गलती थी, क्योंकि उसके पास कोई प्रमुख शिपिंग लेन नहीं है, तो ल्यूटनिक ने कहा कि ट्रंप दुनिया के किसी भी हिस्से को ऐसा स्थान नहीं बनने देना चाहते हैं 'जहां चीन या अन्य देश उनके माध्यम से जहाज भेज सकें.' 

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