भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ (US Tariff On India) आज 27 अगस्त से लागू हो रहा है और इससे तमाम सेक्टर्स के निर्यात पर बड़ा असर पड़ने वाला है, जिसके चलते लाखों नौकरियों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ट्रंप टैरिफ के खिलाफ देश में व्यापारियों और उद्यमियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने सरकार से बड़ी मांग की है. सीटीआई के चेयरमैन ब्रजेश गोयल ने टैरिफ के कारण इन सेक्टर्स से जुड़े करीब 10 लाख लोगों की नौकरियों पर खतरे ( Job Crisis) का हवाला देते हुए मांग की है कि अमेरिका को सबक सिखाने के लिए भारत भी उस पर 50% का जवाबी टैरिफ लगाए.
भारतीय सामान से दूर होंगे अमेरिकी ग्राहक
बृजेश गोयल के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के इस 50% टैरिफ अटैक का भारत के टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स एंड ज्वेलरी, ऑटो कंपोनेंट, केमिकल, सीफूड, इलेक्ट्रॉनिक्स समेत तमाम सेक्टर्स पर बुरा असर पड़ेगा और इनसे जुड़े 10 लाख लोगों के रोजगार पर संकट मंडरा रहा है. उन्होंने बढ़े हुए ट्रंप टैरिफ के साइडइफेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि 50% टैरिफ के चलते अमेरिका में भारतीय सामान 35% तक महंगा हो जाएगा, जिससे वहां के खरीददार दूसरे देशों के सामान को तवज्जो देंगे. अमेरिका का ये कदम 48 अरब डॉलर से ज्यादा के भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकता है.
टैरिफ से निर्यात में गिरावट का कैलकुलेशन
CTI के महासचिव राहुल अदलखा और राजेश खन्ना के मुताबिक, बीते 1 अगस्त को 25% और अब 27 अगस्त से एक्स्ट्रा 25% टैरिफ के चलते व्यापारी वर्ग में बड़ा कन्फ्यूजन ये पैदा हो गया है कि जो अमेरिकी कंपनियां पहले भारतीय सामान का ऑर्डर ले चुकी हैं और उनका माल रास्ते में है या फिर इसे पहुंचने में कुछ समय लगेगा, तो उनका क्या होगा?
निर्यात में गिरावट और टैरिफ के बाद अमेरिका में भारतीय सामानों की कीमतों में इजाफे के कैलकुलेशन पर गौर करें, तो सीटीआई के मुताबिक भारत ने बीते साल 2024 में अमेरिका को 1.7 लाख करोड़ के इंजीनियरिंग गुड्स का निर्यात किया था, इनमें स्टील प्रोडक्ट्स, मशीनरी, ऑटो पार्ट्स शामिल हैं. अभी इन माल पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगता था, तो 100 डॉलर का सामान 110 डॉलर में बिकता था, लेकिन 50% टैरिफ से इसका भाव 150 डॉलर हो जाएगा. ऐसे में इस सेक्टर के सामानों के निर्यात 20-25 फीसदी की कमी आ सकती है.
इसी तरह बीते साल जेम्स एंड ज्वेलरी का 90,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था, जो भारस से 1.25 लाख करोड़ रुपये का इलेक्ट्रोॉनिक्स गुड्स अमेरिका पहुंचा था. ऐसे में जो कंपनियां इन सामानों को अमेरिका भेजती हैं, डिमांड घटने के चलते प्रोडक्शन घटाते हुए नौकरियां कम कर सकती हैं.
'अमेरिका को सबक सिखाना जरूरी'
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने इस संकट के बारे में जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा है कि अमेरिकी दादागीरी और धमकियों के खिलाफ उसे सबक सिखाना जरूरी है और सरकार को अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाना चाहिए और अमेरिका से जो सामान भारत को उनपर निर्भरता कम करनी चाहिए. गोयल ने पत्र में लिखा, 'जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर, मलेशिया जैसे देशों में इंजीनियरिंग गुड्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है, तो ऐसे में भारत को इन देशों में अपना माल बेचने के लिए विकल्प तलाशने चाहिए.'