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5, 10, 20 रुपये वाले बिस्‍कुट, चिप्‍स पैक पर घटेंगे दाम? GST कट पर कंपनियों ने ये कहा

जीएसटी में कटौती का लाभ 22 सितंबर से लोगों को मिलने वाला है. इस बीच, कंपनियों ने टैक्‍स अधिकारियों से 5, 10, 20 रुपये वाले नमकीन-बिस्‍कुट, चिप्‍स पैक पर दाम कम करेंगे या नहीं... इस संबंध में जानकारी दी है.

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22 सितंबर से घटेंगे कई प्रोडक्‍ट्स के दाम (File Photo: ITG)
22 सितंबर से घटेंगे कई प्रोडक्‍ट्स के दाम (File Photo: ITG)

भारत में जीएसटी कटौती का लाभ 22 सितंबर से ग्राहकों को मिलने वाला है. कंपनियां भी रेट में कटौती का ऐलान करना शुरू कर चुकी हैं और नए स्‍टॉक को मार्केट में जल्‍द से जल्‍द पहुंचाया जा रहा है. इस बीच, FMCG कंपनियों ने अहम जानकारी दी है कि क्‍या 5, 10, 20 रुपये वाले चिप्‍स, कुरकुरे, बिस्‍कुट, नमकीन, साबुन और टूथपेस्‍ट के दाम में बदलाव होगा या नहीं? 

FMCG कंपनियों ने अधिकारियों से कहा है कि वे 5 रुपये वाले बिस्कुट, 10 रुपये वाले साबुन या 20 रुपये वाले टूथपेस्ट पैक जैसे लोकप्रिय कम लागत वाले उत्पादों की कीमतें कम नहीं कर सकती हैं, भले ही इन वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती की गई हो. 

क्‍यों नहीं घट सकते इन पैक पर रेट? 
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुत‍ाबिक, कंपनियों ने कहा कि इसकी वजह यह है कि भारतीय खरीदार इन निश्चित कीमतों के आदी हो चुके हैं, और कीमतों को 18 रुपये या 9 रुपये जैसे अंकों तक कम करने से कंज्‍यूमर भ्रमित होंगे और पैसों के लेनदेन को लेकर भी असुविधा होगी. 

फिर क्‍या करेंगी कंपनियां? 
इसके बजाय, कंपनियों ने केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को बताया कि वे कीमतें वही रखेंगी, लेकिन पैक के अंदर मात्रा बढ़ा देंगी. उदाहरण के लिए, 20 रुपये के बिस्कुट पैक में अब उसी कीमत पर ज्‍यादा ग्राम बिस्‍कुट मिल सकेगा. कंपनियों ने कहा कि इन पैक्‍स पर मात्रा बढ़ाकर जीएसटी लाभ को लोगों तक पहुंचाया जाएगा. 

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बढ़ेगी डेली प्रोडक्‍ट्स की डिमांड
बीकाजी फूड्स के CFO ऋषभ जैन ने पुष्टि की कि कंपनी अपने छोटे 'इंपल्स पैक्स' का वजन बढ़ाएगी ताकि खरीदारों को ज्‍यादा लाभ मिल सके. इसी तरह, डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा ​​ने moneycontrol.com को बताया कि कंपनियां निश्चित रूप से टैक्‍स कटौती का लाभ कटमर्स को देंगी और उन्होंने यह भी कहा कि सस्ते टैक्‍स से रोजमर्रा के उत्पादों की डिमांड बढ़ेगी. 

गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वे दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियां बचत को अपनी जेब में न डालें और उपभोक्ताओं को इसका पूरा लाभ मिले. 

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