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5 साल में कितनी प्राइवेट कंपनियां हुईं बंद? सरकार ने संसद में बताया- जानकर हो जाएंगे हैरान

सरकार का कहना है कि इन कंपनियों के बंद होने के पीछे आर्थिक मंदी या उद्योग संकट जैसी कोई बड़ी वजह नहीं है. कई कंपनियों ने खुद कहा कि वे अब बिजनेस नहीं करना चाहती हैं. मौजूदा वित्त वर्ष में जुलाई तक 8,648 कंपनियां बंद हो चुकी हैं.

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सरकार ने बताया किन कारणों से कंपनियां हुईं बंद. (Photo: ITG)
सरकार ने बताया किन कारणों से कंपनियां हुईं बंद. (Photo: ITG)

देश में प्राइवेट कंपनियों के बंद होने का मुद्दा सोमवार को संसद में उठा. केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि पिछले 5 वित्त वर्ष में कुल 2,04,268 प्राइवेट कंपनियां बंद हो चुकी हैं.

दरअसल,  कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में बताया कि पहली नजर में ये आंकड़ा बड़ा लगता है. लेकिन इनमें से ज्यादातर कंपनियों को नियमों के तहत विलय, कन्वर्जन, स्वैच्छिक बंदी और लंबे समय से सक्रिय नहीं होने की वजह से रिकॉर्ड से हटाई गईं.

एक लिखित उत्तर में दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में कुल 20,365 प्राइवेट कंपनियां बंद हुईं, जबकि 2023-24 में 21,181 और 2022-23 में 83,452 कंपनियां बंद हुईं. इससे पहले साल 2020-21 में 15,216 और 2021-22 में 64,054 कंपनियों की संख्या थीं. 

किस साल कितनी कंपनियां हुईं बंद?
2024-25 में: 20,365 कंपनियां 
2023-24 में: 21,181 कंपनियां
2022-23 में: 83,452 कंपनियां
2021-22 में: 64,054 कंपनियां
2020-21 में: 15,216 कंपनियां

सभी को जोड़कर कुल संख्या 2.04 लाख के पार पहुंचती है. सरकार ने साफ कहा कि इन कंपनियों के बंद होने के पीछे आर्थिक मंदी या उद्योग संकट जैसी एकतरफा वजह नहीं है. कई कंपनियों ने खुद कहा कि वे अब बिजनेस नहीं करना चाहतीं, कई को मर्जर के बाद बंद कर दिया गया और कई को Companies Act, 2013 के तहत इसलिए हटाया गया, क्योंकि वे सालों से कोई काम नहीं कर रही थीं. 

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आंकड़ों को देखें तो साल 2022-23 में सबसे ज्यादा 82,125 कंपनियां बंद हुईं. यह वह साल था, जब मंत्रालय ने विशेष अभियान चलाकर उन कंपनियों को हटाया जो लंबे समय से सक्रिय नहीं थीं. मौजूद वित्त-वर्ष में 16 जुलाई तक 8,648 कंपनियों को बंद कर दिया गया है. 

यह पूछे जाने पर कि क्या बंद हो चुकी निजी कंपनियों के कर्मचारियों का पुनर्वास किया गया? मंत्री ने कहा कि सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है. 

क्या ये ‘शेल कंपनियां’ थीं?
संसद में एक सवाल ये था कि क्या बंद कंपनियां शेल कंपनियां थीं और क्या इनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में होता था? इस पर सरकार ने कहा कि कंपनी एक्ट में 'शेल कंपनी' की कोई आधिकारिक परिभाषा ही नहीं है. लेकिन जब भी किसी कंपनी पर संदेह होता है, या कोई संदिग्ध गतिविधियां मिलती हैं, तो उसे ED, आयकर विभाग, और अन्य एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है.

टैक्स इंसेंटिव को लेकर सरकार क्या प्लान?
एक सवाल ये पूछा गया कि क्या सरकार पिछड़े या ग्रामीण इलाकों में उद्योग लगाने पर विशेष टैक्स छूट देने की योजना बना रही है? सरकार ने कहा कि उसकी नीति टैक्स इंसेंटिव कम करने और टैक्स रेट सरल बनाने की है, ताकि देश में समान, पारदर्शी और स्थिर टैक्स सिस्टम बने. उन्होंने कहा कि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और अन्य बड़े सुधार पहले ही किए जा चुके हैं.

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