अमेरिका में एक कानूनी वकालत समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) सरकार पर व्यापक टैरिफ को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है. ग्रुप ने अमेरिकी इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट से रिक्वेस्ट किया है कि वह अमेरिका के व्यापारिक डीलर्स पर ट्रंप के टैरिफ को रोके.
यह मुकदमा गैर-पक्षपाती लिबर्टी जस्टिस सेंटर द्वारा पांच छोटे अमेरिकी व्यवसायों की ओर से किया गया है. ये टैरिफ लगाए गए देशों से माल आयात (Tariff on Goods) करते हैं और इसमें ट्रंप के 'लिबरेशन डे' टैरिफ के साथ-साथ चीन के खिलाफ अलग से लगाए गए टैरिफ को चुनौती दी गई है.
किसी को भी ऐसे टैक्स लगाने का अधिकार नहीं
लिबर्टी जस्टिस सेंटर के सीनियर वकील जेफरी श्वाब ने एक बयान में कहा, 'किसी भी व्यक्ति को ऐसे टैक्स लगाने का अधिकार नहीं होना चाहिए, जिसका ग्लोबल इकोनॉमी परिणाम इतना व्यापक हो. संविधान टैक्स की दरें तय करने का अधिकार कांग्रेस को देता है, राष्ट्रपति को नहीं.'
टैरिफ रोकने की अपील
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता हैरिसन फील्ड्स ने ट्रंप का बचाव करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की योजना में देश के 'लॉन्गटर्म में व्यापार घाटे की नेशनल इमरजेंसी' से निपटने के लिए व्यवसायों और श्रमिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना शामिल है. एक और छोटे व्यवसाय मालिक ने फ्लोरिडा संघीय कोर्ट में इसी तरह का मुकदमा दायर किया है, जिसमें जज से ट्रंप के टैरिफ को रोकने की अपील की गई है.
सभी देशों पर 10 प्रतिशत का बेस टैरिफ
ट्रंप ने अपने सभी व्यापारिक साझेदारों पर 10 प्रतिशत का आधार टैरिफ लगाया, जबकि अलग-अलग देशों पर अलग-अलग दरें लगाई गईं. उन्होंने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसने कहा कि वह जवाबी कार्रवाई नहीं करने जा रहा है. हालांकि, उन्होंने चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसने भी अमेरिकी वस्तुओं पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया.
ऑटो पर 25 प्रतिशत टैरिफ
इस बीच, ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर्स पर अलग से टैरिफ (Tax on Auto Industries) लगाया गया है. ट्रंप ने इस क्षेत्र पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. इस बीच, उन्होंने ऐलान की कि वे जल्द ही फार्मास्यूटिकल और सेमीकंडक्टर सेक्टर्स पर टैरिफ (Pharma and Semiconductor Tariff) का ऐलान करेंगे, जिन्हें उन्होंने शुरू में छोड़ दिया था. ट्रंप सरकार ने टैरिफ लगाए जाने से पहले फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर के आयात की जांच कर रहा है.