जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सीनियर नेता केसी त्यागी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी ने उनकी जगह राजीव रंजन को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी है. समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे केसी त्यागी जेडीयू और नीतीश कुमार के लिए अहम माने जाते हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शरद यादव से लेकर ललन सिंह तक जेडीयू का अध्यक्ष कोई भी रहा हो, केसी त्यागी को हमेशा से कोर टीम में शामिल किया जाता रहा है. अब सवाल उठता है कि आखिर केसी त्यागी की राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से विदाई क्यों हुई?
ऐसा भी माना जा रहा है कि दिल्ली में बैठकर हर मुद्दे पर टिप्पणी करना भी केसी त्यागी को भारी पड़ गया क्योंकि वे हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते थे और पटना में बैठी जेडीयू की लीडरशिप इसे बर्दाश्त न कर सकी. उनके बयानों से ऐसा लग रहा था कि जेडीयू और एनडीए की राय अलग-अलग है. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी ने एनडीए में मतभेदों की खबरों को दबाने के लिए अपने सहयोगी दलों से समन्वय बनाए रखने को कहा था. इसी को लेकर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने उनसे मुलाकात की थी और उनसे राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था. हालांकि पार्टी की ओर से जो प्रेस रिलीज जारी की गई है, उसमें कहा गया है कि उन्होने निजी वजह से जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया है. केसी त्यागी जेडीयू के विशेष सलाहकार भी हैं, लेकिन उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है या नहीं. इसको लेकर अभी क्लीयर नहीं हुआ है.
JDU में फेरबदल: केसी त्यागी का राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा, राजीव रंजन संभालेंगे जिम्मेदारी
राजनीतिक जानकारों की मानें तो केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए हैं. इसके लिए उन्होंने पार्टी नेताओं से चर्चा तक नहीं की. विदेश नीति, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री, एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समेत कई मुद्दों पर उन्होंने अपने निजी विचार पार्टी के विचारों की तरह बताकर पेश किए, जिनसे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा.
इजरायल मुद्दे पर विपक्ष का समर्थन
केसी त्यागी ने विदेश नीति पर इंडिया ब्लॉक के नेताओं के सुर में सुर मिलाया. इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ साझा बयान पर उन्होंने हस्ताक्षर किए. इस बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगाए. साझा बयान में कहा गया था कि इजरायल द्वारा जारी यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है.
UPSC में लेटरल एंट्री पर भी दिया बयान
जेडीयू के सीनियर नेता रहे केसी त्यागी ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी पार्टी के सीनियर नेताओं से बिना बात किए बयान दिया था. उन्होंने कहा था, हमारी पार्टी शुरू से ही सरकार से आरक्षित सीटों को भरने की बात कहती रही है. हम राममनोहर लोहिया को मानने वाले लोग हैं. जब लोगों को सदियों से समाज में पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा तो आप मेरिट क्यों ढूंढ रहे हैं. सरकार का ये आदेश गंभीर चिंता का विषय है.
इसी तरह केसी त्यागी ने एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले, वक्फ बिल, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अग्निवीर जैसे कई मुद्दों पर बिना पार्टी से चर्चा किए पार्टी लाइन से अलग बयान दिए. बताया जा रहा है कि इसीलिए उनसे इस्तीफा लिया गया है. जेडीयू महासचिव अफाक अहमद खान ने बताया कि अब राजीव रंजन प्रसाद जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभाएंगे.
कौन हैं केसी त्यागी, जो हमेशा नीतीश के साथ रहे?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले केसी त्यागी ने चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीतिक पारी शुरू की थी और जनता दल के बाद नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए. 1989 में जनता दल के टिकट पर हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट से जीतकर सांसद चुने गए. इसके बाद राज्यसभा में भी रहे. केसी त्यागी पश्चिमी यूपी के गाजियाबाद से आते हैं और त्यागी ब्राह्मण समाज से हैं. बीते साल मार्च में जेडीयू की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनी थी, उसमें पहली बार ऐसा हुआ कि केसी त्यागी को जगह नहीं मिली, लेकिन उसके बाद भी केसी त्यागी नीतीश कुमार से जुड़े रहे. इसका नतीजा ये निकला कि उन्हें तीन महीने के भीतर ही जेडीयू का राष्ट्रीय प्रवक्ता और विशेष सलाहकार का पद दिया गया.