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तेजस्वी ने SIR पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को बताया अपनी बड़ी जीत, कहा- हमने हर जगह लड़ाई लड़ी

तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि वह SIR का विरोध नहीं कर रहे थे, बल्कि उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे थे. उन्होंने कहा कि आज दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हमारी सभी मांगों पर मुहर लगाई है.

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तेजस्वी यादव ने SIR पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को अपनी जीत बताया है (Photo: ITG)
तेजस्वी यादव ने SIR पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को अपनी जीत बताया है (Photo: ITG)

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले को अपनी बड़ी जीत करार दिया. उन्होंने कहा कि बिहार बंद हो, सड़क पर आंदोलन हो, सदन में बहस हो या सुप्रीम कोर्ट हो, हमने हर जगह लड़ाई लड़ी और आज उसका परिणाम लोकतंत्र की जीत के रूप में सामने आया है.

तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि वह SIR का विरोध नहीं कर रहे थे, बल्कि उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे थे. उन्होंने कहा कि आज दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हमारी सभी मांगों पर मुहर लगाई है. आधार को जोड़ने का फैसला ऐतिहासिक है. सुप्रीम कोर्ट ने 65 लाख वोटरों के नाम बूथ स्तर पर देने और नाम हटाने का कारण बताने का निर्देश भी दिया है.

उन्होंने चुनाव आयोग पर बीजेपी के इशारे पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया और कहा कि आज के फैसले ने इसका जवाब दे दिया है. तेजस्वी ने कहा कि लोकतंत्र की जननी बिहार है और यहीं से लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश का जवाब मिला है. हम इस जननी से लोकतंत्र को खत्म नहीं होने देंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोकतंत्र अमित शाह खत्म करना चाहते थे, उसे जवाब मिला है. आज बिहार के लोगों की जीत हुई है.

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बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश बीजेपी, उसके सहयोगियों और उनकी 'जनता को मताधिकार से वंचित करने की साजिश' को उजागर करता है. तेजस्वी ने कहा कि वे राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन और शरद पवार जैसे INDIA ब्लॉक के नेताओं के आभारी हैं, जिन्होंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का एकजुट होकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष जारी रहेगा और SIR में शामिल अधिकारियों पर हमारी नजर बनी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का पूरा विवरण और उन्हें शामिल न करने के कारण सार्वजनिक करे, ताकि SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके.

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