बिहार के रक्सौल रेलवे स्टेशन पर इन दिनों आवारा पशुओं का आतंक बना हुआ है. इससे यात्री बेहाल हैं और ट्रेन संचालन पर भी असर पड़ा है. यात्री प्रशासन से हस्ताक्षेप करने की मांग कर रहे हैं.
रक्सौल स्टेशन से यात्रा करने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाइए. यह हम नहीं, बल्कि बिहार-नेपाल सीमा के इस महत्वपूर्ण स्टेशन की स्थिति खुद कह रही है. रक्सौल स्टेशन का प्लेटफॉर्म नंबर एक इन दिनों आवारा पशुओं का जमावड़ा बना हुआ है और यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है. प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के स्वागत में रेल सुरक्षा कर्मी नहीं, बल्कि सांड़ खड़े मिलते हैं.
शुक्रवार सुबह रक्सौल स्टेशन पर उस वक्त अफरातफरी मच गई जब सैकड़ों की संख्या में यात्री प्लेटफॉर्म नंबर एक पर मिथिला एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे, जो रक्सौल से हावड़ा जाती है. उसी समय एक सांड़ प्लेटफॉर्म पर आ गया और यात्रियों के रखे सामान को खाने का प्रयास करने लगा. जब यात्रियों ने उसे भगाने की कोशिश की, तो सांड़ दौड़ने लगा. यह देख यात्रियों में भगदड़ मच गई. लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन स्टेशन और प्लेटफॉर्म पर दूर-दूर तक जीआरपी और आरपीएफ के जवान नजर नहीं आए.
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इस संबंध में चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एवं रेल यात्री परामर्शदात्री समिति के सदस्य अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि यह रेलवे विभाग की बड़ी लापरवाही है. इस विषय में डीआरएम से शिकायत की जाएगी. वहीं, स्थानीय समाजसेवी रंजीत सिंह ने कहा कि रक्सौल रेल प्रशासन केवल कमाई में लगा है. यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा से उसका कोई लेना-देना नहीं है. जैसे सांड़ दौड़ रहे हैं, कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यात्रियों की जान की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली जीआरपी और आरपीएफ कहां हैं? और इन आवारा पशुओं को हटाने के लिए नगर परिषद क्या कर रही है? आखिर रक्सौल स्टेशन पर किसी बड़े हादसे का इंतजार क्यों किया जा रहा है?
यात्री और स्थानीय स्तर पर सुरक्षा उपायों को लेकर उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की मांग जोर पकड़ रही है ताकि आवारा पशुओं से यात्रियों का उत्पीड़न जल्द समाप्त हो सके और स्टेशन की सामान्य दिनचर्या बहाल हो.