बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट की विशेष गहन समीक्षा का काम तेजी से चल रहा है. इस प्रक्रिया के साथ ही सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) की संख्या में काफी इजाफा किया है. इन बूथ लेवल एजेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि वे मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने को लेकर आपत्तियां और सुझाव दें और चुनावी अधिकारियों द्वारा लिए गए किसी भी एकतरफा फैसले पर निगरानी रखें.
बीजेपी ने अपने BLAs की संख्या बढ़ाकर 51,964 से 52,698 कर दी है. कांग्रेस ने संख्या को 8,586 से बढ़ाकर 16,500 कर दिया है. सीपीआई(एम) ने तो बड़ी छलांग लगाते हुए 76 से बढ़ाकर 578 एजेंट तैनात कर दिए हैं. बीएसपी ने भी 26 से बढ़ाकर 74 बूथ एजेंट नियुक्त किए हैं.
विपक्ष ने लगाए आरोप
इस समीक्षा अभियान के चलते राजनीतिक हलकों में हलचल है. कई विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि इससे सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए वास्तविक वोटरों को हटाया जा सकता है.
बिहार, असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु में गहन समीक्षा
चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया है कि बिहार, असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में इस साल से गहन समीक्षा की जाएगी. यह प्रक्रिया विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें वोटर लिस्ट से बाहर रखने के उद्देश्य से की जा रही है.
बिहार में 78,000 बूथ लेवल ऑफिसर
बिहार में इस काम के लिए अब तक 78,000 बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs) की तैनाती की जा चुकी है और 21,000 और BLOs की भर्ती की जा रही है ताकि नए पोलिंग स्टेशनों को कवर किया जा सके.
चुनाव आयोग ने हाल ही में बिहार की 8 प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के BLAs को प्रशिक्षण भी दिया है ताकि वे अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा सकें.
बिहार में यह गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया 22 साल बाद हो रही है, क्योंकि 1952 से 2004 के बीच यह प्रक्रिया 9 बार हो चुकी है, लेकिन 2004 के बाद से नहीं हुई थी.