आधा से ज्यादा बिहार बाढ़ की चपेट में है. 16 जिलों में बाढ़ से हाहाकार है. नेपाल से जुड़ी कोसी-गंडक और बागमती जैसी नदियां उफान पर हैं. खेतों में खड़ी फसलें डूब रही हैं. घरों में पानी घुस आया है. आजतक की टीम सीतामढ़ी जिले में पहुंची और बाढ़ से बिगड़े हालात देखे. रुन्नी सैदपुर गांव समेत अन्य इलाकों में ग्रामीणों से उनकी समस्याएं जानीं. यहां लोग गांव-घर छोड़कर चले गए हैं. झोपड़ी नुमा घर पानी में डूब गए हैं.
दरअसल, दरभंगा और सीतामढ़ी में तटबंधों में दरार से बाढ़ की स्थिति बिगड़ गई है. सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के रूपौली गांव के पास बागमती नदी के तटबंध टूट गए हैं और पानी का रिसाव होने लगा है. एक बुजुर्ग महिला ने बाढ़ का दास्तां सुनाई तो उनकी आंखों में आंसू आ गए. महिला ने बताया कि सब लोग गांव छोड़कर ऊपरी इलाके में चले गए हैं. सड़क और हाइवे किनारे डेरा डालने पर मजबूर हो गए हैं. 5 दिन से सड़क किनारे बसेरा है. बहुएं अपने बच्चों को लेकर चली गईं हैं, लेकिन मवेशी अभी भी छूट गए हैं. भूखे और प्यासे लोग रोड पर रह रहे हैं. नेशनल हाइवे पर मवेशी तक को बांधना पड़ रहा है.
घरों में जो कुछ रखा था, वो डूब गया है...
गांव वाले बताते हैं कि हमारे खाने का अनाज नहीं है. ना कोई इंतजाम है. पानी में हमारे घर डूब गए हैं, इसलिए घरों में जो कुछ रखा था, उसके बचने की उम्मीद नहीं है. चार दिन से कोई देखने तक नहीं आया है. ना किसी ने मदद की. जो लोग आते हैं, वे देखकर चले जाते हैं. बच्चे भूखे से बेहाल हैं. हमारी सुनवाई नहीं हो रही है.
नहीं बदल रही कोसी के इलाकों की सूरत
बताते चलें कि उत्तरी बिहार के अधिकतर जिले आसमानी आफत की मार झेलते हैं. नेपाल से तबाही आती है और बिहार के कई इलाकों को बहा ले जाती है. सरकार बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाती है. हर बार कोई ना कोई आश्वासन मिलता है. नई नई उम्मीद भी बंधती है, लेकिन कोसी के इलाकों की सूरत नहीं बदलती है. बाढ़ से बिहार की बदहाली का ये सिर्फ एक सच भर है.
खगड़िया में नाव बनी जिंदगी का अहम हिस्सा
यही हाल खगड़िया का है. बाढ़ के पानी से घर-आंगन, स्कूल, सड़क सब डूब चुके हैं. यहां बसने वाली आबादी डूब रही है. नाव जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है. अभी नाव ही आवाजाही का साधन है. जहां तक नजरें जाती हैं, पानी ही पानी दिख रहा है.
दरभंगा में निचले इलाके जलमग्न
दरभंगा का दर्द भी खरड़िया से अलग नहीं है. वहां भी गंभीर हालात हैं. किरतपुर में कोसी का तांडव मचा है. कमला नदी भी कहर बरपा रही है. घनश्यामपुर प्रखंड के निचले इलाके जलमग्न हो चुके हैं. गांव की सड़कों पर नाव चल रही है. दरभंगा के किरतपुर में कोशी नदी पर बना बांध भूभौल के पास टूटा तो पूरा इलाका सहम गया. बांध के सामने पड़ने वाले सड़क पुल का बड़ा हिस्सा भी उफनती लहरों के आगे बेदम हो गया. इस आफत ने कई गांवों में सैकड़ों मकानों को डूबो दिया.
दरभंगा के जमालपुर इलाके में स्कूल की इमारत जलमग्न है. हालात ऐसे हो गए हैं कि जिले के 94 स्कूलों पर ताला जड़ दिया गया है. प्रशासन का फैसला है कि अब वहां पढ़ाने वाले शिक्षक बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाए जा रहे राहत कार्यों में हाथ बटाएंगे.
सुपौल में मदद के अभाव में लोग बेबस
सुपौल भी बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित जिलों में से एक है. वहां रिहायशी इलाकों में 3 से 5 फीट तक पानी भरा है. मदद के अभाव में लोग बेबस-लाचार हैं. कहीं भी आने जाने के लिए उनके पास कोई जरिया नहीं है. लिहाजा, मजबूरी के आगे जिंदगी पानी में डूब चुकी है.
आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर तक राज्य के 16 जिलों में इस आसमानी आफत से बर्बादी हुई है. करीब 325 गांव बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं और साढ़े 11 लाख की आबादी इस संकट से जूझ रही है. कुछ हिस्सों में आर्मी ने मोर्चा संभाला है. पीड़ितों तक हेलिकॉप्टर के जरिए खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है. एक दिन पहले सीतामढ़ी और दरभंगा में जवानों ने फूड पैकेट्स को एयर ड्रॉप किया.
एक दिन पहले उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे. वहां हवाई सर्वे किया और राहत कार्यों की जानकारी भी ली.