बिहार में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो सकता है. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी भी इस बार चुनावी मैदान में उतरेगी. प्रशांत किशोर ने ऐलान कर दिया है कि उनका जन सुराज अभियान 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को राजनीतिक पार्टी बन जाएगा और अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगा. प्रशांत अभी से अपनी रणनीति को भी जमीन पर उतार रहे हैं. प्रशांत की नजर जननायक कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर भी है. रविवार को उनके संगठन ने जेडीयू में बड़ी सेंध लगाई है और पांच बड़े चेहरों को संगठन में शामिल किया है. प्रशांत ने कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति ठाकुर को भी जन सुराज में एंट्री दिलाई. इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
दरअसल, प्रशांत किशोर लंबे समय से राजनीतिक मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. रोचक बात ये है कि प्रशांत ने 2 अक्टूबर 2022 को बिहार में जन सुराज अभियान की शुरुआत की थी और अगले 12-15 महीने में पूरे प्रदेश के गांव-शहरों और कस्बों में 3500 किमी की पदयात्रा का ऐलान किया था. अब वो राजनीति पार्टी का ऐलान भी गांधी जयंती के दिन ही करने जा रहे हैं. प्रशांत ने दो साल पहले जब पदयात्रा की शुरुआत की थी. उस समय कहा था कि देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्य बिहार में व्यवस्था परिवर्तन का दृढ़ संकल्प लिया है. पहला महत्वपूर्ण कदम- समाज की मदद से नई और बेहतर राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए पदयात्रा शुरू कर रहे हैं.
जन सुराज अभियान को मिला जबरदस्त समर्थन
प्रशांत को लगातार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन पर सीधे हमलावर देखा गया है. उनके अभियान को समर्थन भी खूब मिला है. 2023 में बिहार पुलिस में अलग-अलग पदों पर रह चुके भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 12 पूर्व अधिकारी भी जन सुराज अभियान से जुड़े थे. पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने जन सुराज के जरिए बिहार के सिस्टम में बदलाव का विश्वास जताया था. इससे पहले प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 6 पूर्व अधिकारी भी जुड़े थे.
2 अक्टूबर को पार्टी की घोषणा करेंगे प्रशांत
रविवार को प्रशांत किशोर ने जन सुराज की राज्य-स्तरीय वर्कशॉप को संबोधित किया. प्रशांत का कहना था कि करीब एक करोड़ सदस्य 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर जन सुराज की नींव रखेंगे. पहले दिन 1.50 लाख लोगों को पदाधिकारी नामित करने के साथ शुरुआत की जाएगी. उन्होंने जन सुराज की अगुवाई करने वाले विवाद को खारिज किया और कहा, वो पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे. लेकिन नेता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाएंगे जो राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए लोगों की ताकत को मजबूत करेंगे. प्रशांत ने कहा, जैसा कि पहले कहा गया है कि जन सुराज 2 अक्टूबर को एक राजनीतिक पार्टी बन जाएगी और अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ेगी. आने वाले दिनों में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा, यह उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा
कर्पूरी ठाकुर की पोती बनीं जन सुराज अभियान का हिस्सा
इस दौरान दो पूर्व विधायक और दिवंगत समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर समेत कई लोग जन सुराज अभियान का हिस्सा बनीं. प्रशांत ने जागृति का स्वागत किया. जागृति के पिता वीरेंद्र नाथ ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे हैं. बताते चलें कि दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद समेत राज्य के कई बड़े नेताओं के गुरु के रूप में देखा जाता है.
ये बड़े नेता भी जन सुराज अभियान में शामिल
जन सुराज में शामिल होने वाले अन्य प्रमुख लोगों में बिहार के पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन का नाम शामिल भी है. हसन राजद के साथ-साथ जद (यू) से भी जुड़े रहे हैं. वे संसद के साथ-साथ राज्य विधानमंडल का भी हिस्सा रहे हैं और लंबा कार्यकाल रहा है. इसके अलावा, पूर्व राजद एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी ने भी जन सुराज अभियान जॉइन किया है. रामबली सिंह को हाल ही में अनुशासनहीनता के आरोप में विधान परिषद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
इसी तरह, पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी जन सुराज का हिस्सा बन गए हैं. आनंद इस साल बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने पद से इस्तीफा भी दे दिया था. हालांकि, बाद में जब बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो वे बक्सर से निर्दलीय चुनाव लड़े थे.
जदयू नेता मंगनी लाल मंडल की बेटी प्रियंका भी जन सुराज में शामिल हुईं हैं. मंगनी लाल जदयू के पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी रहे हैं.
प्रशांत की कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर नजर क्यों?
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्हें 'जननायक' भी कहा गया. उनका निधन 1988 में हुआ. 36 साल बीतने के बाद उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से ठीक एक दिन पहले ये घोषणा की थी. बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत पर दावा करते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से कर्पूरी ठाकुर के बड़े बेटे रामनाथ ठाकुर राज्यसभा सांसद हैं और मोदी सरकार में राज्य मंत्री भी हैं. कर्पूरी ठाकुर बिहार की अति पिछड़ी जाति नाई से ताल्लुक रखते थे. बिहार में अति पिछड़ी जातियां सबसे बड़ा जातीय समूह है. ये राज्य की आबादी के करीब 36 फीसदी है. उसके बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जो राज्य में 27.12 फीसदी आबादी है. इस वोट बैंक पर हर पार्टी की नजर है.
जागृति ठाकुर को लेकर क्या होगी रणनीति?
माना जा रहा है कि कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे वीरेंद्र नाथ ठाकुर पेशे से डॉक्टर रहे हैं. पिछले साल ही वे रिटायर हुए हैं. वीरेंद्र की बेटी जागृति के जन सुराज में शामिल होने से जेडीयू की टेंशन बढ़ सकती है. जागृति के साथ अपने दादा की पहचान है और आने वाले दिनों में प्रशांत की पार्टी चाहेगी कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर की विरासत के तौर पर पेश किया जाए. चूंकि, बिहार के ओबीसी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा अब तक नीतीश और लालू यादव की पार्टियों के साथ रहा है. बिहार में नई ताकत बनकर उभर रहे प्रशांत किशोर भी हर वर्ग के बीच पैठ बनाने में जुटे हैं. अगर वो कामयाब होते हैं तो जेडीयू, आरजेडी के साथ बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
प्रशांत के निशाने पर नीतीश कुमार...
प्रशांत किशोर ने एक राजनीतिक विकल्प की जरूरत पर प्रकाश डाला और कहा, हम अपने बच्चों के लिए एक ऐसा सिस्टम तैयार करेंगे, जिससे लोग आश्चर्यचकित रह जाएंगे. ऐसा इसलिए, क्योंकि जिन्हें पहले 'बिहारी' कहकर अपमानित किया जाता था, वे ही शानदार सिस्टम को तैयार कर सकते थे. प्रशांत ने कहा, मैं 2015 में उनके (नीतीश कुमार) चुनाव प्रचार के लिए यहां आया था और उनके सभी पदाधिकारियों से मिलना चाहता था. मैंने उनका अभियान 2 जून 2015 को शुरू किया था, तब एसके मेमोरियल हॉल में 2,200 लोग थे. हम इस हॉल (बापू सभागार) को 10 बार भर देंगे. अगर हम आगामी चुनावों में सिर्फ डिग्री धारकों को मैदान में उतारना चाहते हैं तो क्या हमें इतने सारे स्नातक मिलेंगे? प्रशांत ने आगे कहा कि अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले इस मुद्दे पर इसी तरह की अन्य बैठकों में चर्चा की जाएगी.
जानिए प्रशांत किशोर के बारे में...
प्रशांत किशोर (40 साल) राजनीतिक परामर्श कंपनी IPAC के संस्थापक हैं. वे पहली बार तब चर्चा में आए, जब 2014 के लोकसभा चुनाव अभियान में बीजेपी को शानदार सफलता मिली. प्रशांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान को संभाला था. बाद में उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए भी काम किया. नीतीश उनके कौशल से प्रभावित हुए और उन्हें 2018 में जद (यू) में शामिल कर लिया. कुछ दिनों बाद ही नीतीश ने प्रशांत किशोर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया. हालांकि, दो साल से भी कम समय के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.