
Delhi Electric Vehicle Policy 2.0: देश की राजधानी दिल्ली में अभी पुराने वाहनों पर बैन का शोर थमा ही था कि, अब नई ईवी पॉलिसी को लेकर ख़बर आ गई है. दिल्ली सरकार अपनी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की घोषणा मार्च 2026 में मौजूदा नीति की समाप्ति से पहले कर सकती है. दिल्ली में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार ने दिल्ली-ओस्लो स्मार्ट ट्रांसपोर्ट इनिशिएटिव' (DOSTI) के साथ नार्वे से भी हाथ मिलाया है.
इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, परिवहन मंत्री पंकज कुमार सिंह ने कहा, "ऐसा नहीं है कि यह नीति केवल फरवरी में ही आएगी. यह उससे पहले भी आ सकती है." परिवहन मंत्री ने कहा कि, "हमें दिल्ली के लोगों के साथ मिलकर काम करना है. योजना प्रक्रिया पूरी करने और जनता से परामर्श करने के बाद, हम इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को सार्वजनिक करेंगे. मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि दिल्ली के लोगों को यह नई पॉलिसी पसंद आएगी और हम इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाएँगे."
मौजूदा समय में दिल्ली में 3,400 इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं. इस साल के अंत तक यह संख्या 6,000 तक पहुँचने का अनुमान है. परिवहन मंत्री ने कहा कि, रूट के अध्ययनों से पता चलता है कि दिल्ली को 8,000 बसों की आवश्यकता है, और यह लक्ष्य अगले 18 महीनों में हासिल कर लिया जाएगा.

इस नई पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है. इसमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के साथ ही पुराने वाहनों के स्क्रैपिंग को प्राथमिकता दी जाएगी. साथ ही इसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को शामिल किया जाएगा.
दिल्ली में हाउसिंग सोसाइटियों, फ्लाईओवर के नीचे और खाली पड़ी ज़मीनों पर चार्जिंग स्टेशन बनाने की भी योजना है. सरकार की इस वर्ष 3,500 नए चार्जिंग पॉइंट और 2030 तक 13,000 नए चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने का टार्गेट लेकर चल रही है. ताकि दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को आसानी से पब्लिक चार्जिंग की सुविधा मिल सके.
नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के ड्राफ्ट में पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर बाइक्स और CNG ऑटो पर बैन लगाने का भी जिक्र है. ड्राफ्ट के अनुसार अगस्त 2025 तक सीएनजी ऑटो-रिक्शा को चरणबद्ध तरीके से बंद करने और 15 अगस्त, 2026 के बाद नए पेट्रोल, डीजल और सीएनजी दोपहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. यानी इस नई पॉलिसी के लागू होने के बाद अगले साल 15 अगस्त से दिल्ली में पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली और ओस्लो (नॉर्वे की राजधानी) ने 'दोस्ती' साझेदारी का ऐलान किया है. इस मौके पर परिवहन मंत्री ने कहा कि, "दिल्ली अपने चार्जिंग नेटवर्क को मज़बूत करने के लिए प्रस्तावित 'दिल्ली-ओस्लो स्मार्ट ट्रांसपोर्ट इनिशिएटिव' (DOSTI) के तहत ओस्लो के साथ भी काम कर रही है.

नॉर्वे के अपने अनुभव को साझा करते हुए, ओस्लो में क्लाइमेट डिपार्टमेंट के वाइस-डायरेक्टर और हेड, ऑडन गारबर्ग ने कहा कि शहर को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर अपने शुरुआती बदलाव में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा, "2006-07 में, हमारे पास पर्याप्त पर्याप्त चार्जिंग पॉइंट नहीं थे. इससे इसे अपनाना मुश्किल हो गया था. अब, इंफ्रास्ट्रक्चर व्यापक रूप से उपलब्ध है, और हमारी अगली चुनौती ई-ट्रक और हाउसिंग कोऑपरेटिव्स हैं."
इसमें कोई दो राय नहीं है कि, दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देश लगातार प्रयासरत हैं. लेकिन इस मामले में नार्वे ने सबसे तगड़ी सफलता दर्ज की है. नॉर्वे (Norway) दुनिया का पहला ऐसा देश बन चुका है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या वहां मौजूदा पेट्रोल वाहनों के मुकाबले ज्यादा हो गई हैं.
नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन द्वारा पिछले साल सितंबर में जारी व्हीकल रजिस्ट्रेशन डाटा के अनुसार नॉर्डिक देश में रजिस्टर्ड 2.8 मिलियन प्राइवेट पैसेंजर कारों में से 7,54,303 यूनिट्स पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हैं. वहीं 7,53,905 यूनिट्स पेट्रोल वाहन हैं. इसके अलावा डीजल से चलने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन सबसे कम हुआ है. नॉर्वे एक प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश है, लेकिन पिछले साल अगस्त में, नॉर्वे में रजिस्टर्ड नए वाहनों में रिकॉर्ड 94.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हुए थे. ऐसे में नार्वे की सफलता और अनुभव से दिल्ली को भी इलेक्ट्रिफाइड किए जाने की तैयारी है.