तालिबान को इमरान खान ने चेताया, कहा- छिड़ जाएगा गृहयुद्ध

अफगानिस्तान में समावेशी सरकार को लेकर पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनातनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. दरअसल पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कुछ समय पहले कहा था कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने वाले तालिबान के लिए जरूरी है कि ये संगठन अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चले और एक समावेशी सरकार और समाज का निर्माण करे. तालिबान की इस पर तीखी प्रतिक्रिया आई तो इमरान खान ने चेतावनी भरे अंदाज में तालिबान को ये जवाब दिया है.

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पाकिस्तान पीएम इमरान खान, फोटो क्रेडिट: getty images पाकिस्तान पीएम इमरान खान, फोटो क्रेडिट: getty images

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 23 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST
  • तालिबान को समावेशी सरकार बनाने की लगातार सलाह दे रहे इमरान
  • अफगानिस्तान में गृहयुद्ध पाकिस्तान के लिए भी नुकसानदायक: इमरान

अफगानिस्तान में समावेशी सरकार को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान को चेताया है. इमरान खान ने कुछ समय पहले भी कहा था कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने वाले तालिबान के लिए जरूरी है कि ये संगठन अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चले और एक समावेशी सरकार और समाज का निर्माण करे.

हालांकि, तालिबान ने इमरान खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि किसी भी देश को ये हक नहीं है कि वे तालिबान को समझाए कि हमें सरकार कैसे चलानी है.अब इस मामले में इमरान खान का एक बार फिर बयान आया है. 

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इमरान खान ने बीबीसी नेटवर्क के साथ बातचीत में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने में नाकाम रहता है तो इस देश में गृहयुद्ध की संभावना काफी बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि अगर तालिबान सभी के साथ और विकास की बात नहीं करते है तो धीरे-धीरे नौबत गृहयुद्ध की आ सकती है और अगर वे सभी गुटों को साथ लेकर नहीं चलते हैं तो इससे पाकिस्तान पर भी काफी प्रभाव पड़ सकता है. 

इमरान खान ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चिंता है कि अगर अफगानिस्तान में गृहयुद्ध होता है तो मानवीय और रिफ्यूजी संकट में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. इसके अलावा उनका ये भी डर है कि गृहयुद्ध की स्थिति में अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए भी हो सकता है.  

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तालिबान को मान्यता तीन कारणों पर निर्भर: इमरान खान

गौरतलब है कि साल 1996 से 2001 के बीच तालिबान के पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान तालिबान का अहम सहयोगी था. हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान के दूसरे कार्यकाल के दौर में पाकिस्तान ने अब तक इस संगठन को मान्यता नहीं दी है. इमरान खान ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा कि तालिबान को मान्यता तीन कारणों पर निर्भर करेगी. 

उन्होंने कहा कि हम सभी ने एससीओ में फैसला किया था कि हम सामूहिक रूप से तालिबान को मान्यता देने का फैसला करेंगे और ये फैसला इस बात पर निर्भर होगा कि तालिबान की सरकार कितनी समावेशी होगी, वे मानव अधिकारों को लेकर कितना संवेदनशील होंगे और वे अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे क्योंकि अफगानिस्तान के पड़ोसी देश इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंता में हैं. 

गौरतलब है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा जमाने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें कहा गया था कि तालिबान लोगों के हितों की सुरक्षा करेगा और महिलाओं को भी आजादी से जीने का मौका मिलेगा. इसके अलावा भी तमाम दावे किए गए थे लेकिन इनमें से ज्यादातर वादों को तालिबान तोड़ चुका है. तालिबान ने अपनी सरकार में एक भी महिला को भी शामिल नहीं किया है और ना ही अल्पसंख्यकों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व तालिबान सरकार में मौजूद है. इमरान खान ने कहा कि वे तालिबान को राजनीतिक और जातीय तौर पर समावेशी सरकार बनाने के लिए प्रेरित करेंगे क्योंकि जब तक सभी गुटों, अल्पसंख्यकों और सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व सरकार में नहीं होगा तब तक स्थायी शांति या स्थिरता की संभावना काफी कम होगी. 

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