पाकिस्तान: मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को बड़ा झटका, बहनोई के साथ तीन करीबियों को भेजा गया जेल  

मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. पाकिस्तान की आतंकवादी निरोधी अदालत ने हाफिज के बहनाई के साथ तीन को छह माह की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है. 

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आतंकी हाफिज सईद आतंकी हाफिज सईद

aajtak.in

  • लाहौर,
  • 23 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST
  • टेरर फंडिंग के मामले में सुनाई गई सजा
  • हाफिज सईद का बहनोई मक्की भी दोषी 

पाकिस्तान की आतंकवादी निरोधी अदालत द्वारा वित्तपोषण मामलों में हाफिज सईद के बहनोई हाफिज अब्दुर रहमान मक्की, जेयूडी के प्रवक्ता याह्या मुजाहिद और जफर इकबाल को जेल भेजा है. इनके खिलाफ पंजाब पुलिस के आतंकरोधी विभाग (सीटीडी) ने केस दर्ज कराया था.

पटीआई की जानकारी के मुताबिक एटीसी द्वितीय के पीठासीन न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने 2019 में दर्ज एफआईआर संख्या 32 के मामले में जफर इकबाल, अब्दुल रहमान और याह्या मुजाहिद को सजा दी है. बताया गया है कि इस फैसले के दौरान तीनों दोषी अदालत में मौजूद थे. अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि सीटीडी ने पंजाब के विभिन्न शहरों में जेयूडी नेताओं के खिलाफ 41 मामले दर्ज किये हैं. ट्रायल कोर्ट ने अब तक 37 मामलों में फैसला किया है. हाल ही में आतंकवादी निरोधी अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी समूह के जकी-उर-रहमान लखवी के ऑपरेशन कमांडर को आतंकी वित्तपोषण के एक और तीन अन्य मामलों मे 15 साल कैद की सजा दी थी.

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वहीं इस सप्ताह की शुरुआत में एटीसी ने इकबाल और मुजाहिद को 14 साल के कारावास की सजा सुनाई, जबकि मक्की को छह माह की सजा सुनाई गई है. एटीसी ने सईद को अब तक पांच मामलों में आतंकी वित्त आरोप में 36 साल के सामूहिक कारावास की सजा सुनाई है. सभी मामलों में उसकी सजा एक साथ चलेगी. 

बता दें कि मुंबई में वर्ष 2008 में हुए हमले के लिए जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व वाला लश्कर-ए-तैयबा जिम्मेदार था. इस हमले में छह अमेरिकी लोगों के साथ 166 लोगों की मौत हुई थी. संयुक्त राष्ट्र ने सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया था. अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित कर रखा है. 

पाकिस्तान पर बढ़ा दबाव 
आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया हुआ है. एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया था और 2019 के अंत तक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए कहा था. कोरोना महामारी के चलते ये समय सीमा बढ़ा दी गई है. बता दें कि 'ग्रे लिस्ट' में आने से पाकिस्तान को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से आर्थिक सहायता लेने में समस्या होगी. 

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