शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा, बांग्लादेश ICT ने करार दिया मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी

बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी करार दिया है. ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है.

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बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के लिए मौत की सजा की मांग (Photo: ITG) बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के लिए मौत की सजा की मांग (Photo: ITG)

नलिनी शर्मा / अनुपम मिश्रा / इंद्रजीत कुंडू

  • नई दिल्ली/ कोलकाता,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध का दोषी करार दिया है. तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने इस मामले में शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है. शेख हसीना के साथ ही पूर्व गृह मंत्री और पूर्व आईजी को भी मौत की सजा सुनाई गई है. जस्टिस गुलाम मुर्तजा की अगुवाई वाली तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला छह पार्ट में सुनाया, जो 400 पेज में है.

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जस्टिस मुर्तजा की अगुवाई वाली ट्रिब्यूनल में जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक एनाम चौधरी भी हैं. ट्रिब्यूनल ने एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी मौत तक जेल में रखने का भी फैसला दिया. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि हमने मानवाधिकार संगठन और अन्य संगठनों की कई रिपोर्ट्स पर विचार किया है. हमने क्रूरताओं का विवरण भी दिया है. शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए.

ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए हैं. शेख हसीना ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हेलीकॉप्टर से बम गिराने के आदेश दिए थे.  ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अवामी लीग के कार्यकर्ता कथित रूप से सड़कों पर उतर आए और पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी में सुनियोजित हमले किए.

ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हालात बिगड़ गए हैं. शेख हसीना के समर्थक सड़कों पर उतर आए और प्रोटेस्ट शुरू कर दिया. शेख हसीना ने आजतक से बात करते हुए ट्रिब्यूनल के फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया है. बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुजमा खान कमाल ने आईसीटी के फैसले को अवामी लीग की लीडरशिप समाप्त करने की कोशिश बताते हुए कहा कि यह अवैध कोर्ट है.

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ट्रिब्यूनल ने पढ़कर सुनाई शेख हसीना और मंत्री की बातचीत

ट्रिब्यूनल में शेख हसीना और उनके मंत्री हसनुल हक इनु के बीच कई बार फोन पर हुई बातचीत भी पढ़कर सुनाई जा रही है, जिससे अवामी लीग के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका हिंसा में साबित की जा सके. यह बताया जा रहा है कि किस तरह से शेख हसीना ने छात्रों के प्रोटेस्ट को आतंकी गतिविधि के रूप में पेश करने की कोशिश की.

शेख हसीना और अन्य ने रची आपराधिक साजिश

ट्रिब्यूनल ने कहा कि ज्यादातर मौतें बांग्लादेशी सुरक्षाबलों की ओर से आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले घातक धातु के छर्रों से भरी सेना की बंदूकों से चली गोलियों के कारण हुईं. शेख हसीना की सरकार में सेना, पुलिस और आरएबी ने न्याय प्रक्रिया से हटकर हत्याएं कीं. शेख हसीना और अन्य आरोपियों ने संयुक्त रूप से आपराधिक साजिश रची थी.

ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि शेख हसीना के साथ ही इस मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून भी आरोपी हैं. ट्रिब्यूनल ने कहा कि तीनों ने मिलकर मानवता के खिलाफ अपराध किए. राजनीतिक नेतृत्व की ओर से दिए गए सीधे आदेशों की वजह से प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ.

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ट्रिब्यूनल के मुताबिक करीब 1400 लोगों की हत्या की गई और 11 हजार से अधिक लोग हिरासत में लिए गए, गिरफ्तार किए गए.  ट्रिब्यूनल ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी देखा कि राजनीतिक नेतृत्व के निर्देश पर हिरासत में यातनाएं दी गईं. ऐसी घटनाओं की कई रिपोर्ट्स भी हैं. बड़ी संख्या में ऐसे वीडियो भी जब्त किए गए हैं और इन्हें खंगाला जा रहा है.

ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि इन वीडियोज से पता चलता है कि किस तरह प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या की गई. इनमें से कई वीडियो यूट्यूब चैनलों पर दिखाए भी जा चुके हैं. एक ऐसे गवाह ने भी ट्रिब्यूनल के सामने गवाही दी, जिसका चेहरा विकृत कर दिया गया था.

घायलों के इलाज नहीं करने के दिए गए निर्देश- ट्रिब्यूनल

ट्रिब्यूनल ने कहा कि कई वीडियो में हेलीकॉप्टर से लोगों पर गोलीबारी भी दिखी है. घायलों को अस्पताल में भर्ती नहीं करने के निर्देश भी दिए गए थे. एक वीडियो में दिखा कि एक प्रदर्शनकारी की दोनों आंखों से खन बह रहा था और वह मदद की गुहार लगाता रहा. कुछ प्रदर्शनकारियों को पांच मीटर की दूरी से गोली मारी गई, कई को कई गोलियां मारी गईं.

यह भी पढ़ें: शेख हसीना पर फैसले से पहले बांग्लादेश में हाई अलर्ट, हिंसा करने वालों पर गोली चलाने के आदेश

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ट्रिब्यूनल ने कहा कि अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया. गवाहियों से यह भी सामने आया कि डॉक्टर्स को निर्देश दिया गया था कि वे किसी भी घायल को भर्ती न करें और पहले से भर्ती मरीजों को भी न छोड़ें. डॉक्टर्स की गवाही से स्पष्ट है कि पुलिस-प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के इलाज में बाधा डाली. कुछ डॉक्टर्स को पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने के लिए मजबूर किया गया और धमकाया गया.

शेख हसीना ने दिए थे प्रदर्शनकारियों को मारने के आदेश- ट्रिब्यूनल

ट्रिब्यूनल ने कहा कि 18 जुलाई को गोली लगने से घायल हुए 200 से अधिक मरीज अस्पतालों में पहुंचे थे. 19 जुलाई को भी करीब इतने ही मरीज अस्पताल पहुंचे थे. ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को मारने के आदेश दिए थे. सबूत इतने ठोस हैं कि दुनिया की किसी भी अदालत में इन्हें पेश किया जाए, अधिकतम सज़ा ही मिलती. यह साबित होता है कि आरोपियों ने अपराध किया है और वे अधिकतम सज़ा के पात्र हैं. ट्रिब्यूनल ने कहा कि शेख हसीना अधिकतम सजा की हकदार हैं.

यह भी पढ़ें: पहले तख्तापलट, फिर केस पर केस और अब फांसी की सजा... शेख हसीना की मुश्किलों की क्रोनोलॉजी

ट्रिब्यूनल ने यह भी बताया कि शेख हसीना के खिलाफ कौन-कौन से साक्ष्य मिले हैं. फैसले से पहले पूरे मामले को पढ़कर रिकॉर्ड में रखा गया, इसलिए प्रक्रिया लंबी चली और फैसला आने में समय लगा. राजधानी ढाका में पुलिस को हिंसक प्रदर्शन की स्थिति में प्रदर्शनकारियों को गोली मारने के आदेश दिए गए हैं. शेख हसीना ने फैसले से पहले अपने समर्थकों को भेजे वीडियो संदेश में खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया और कहा कि फैसला दे दें, मुझे परवाह नहीं है.

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