पहले तख्तापलट, फिर केस पर केस और अब फांसी की सजा... शेख हसीना की मुश्किलों की क्रोनोलॉजी

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 'मानवता के खिलाफ अपराध' मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है. उनके खिलाफ 227 से अधिक मामले दर्ज हैं. उनकी सजा को देखते हुए बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारी तनाव है. पूरे देश में पिछले कुछ दिनों से हिंसक घटनाएं होती रही हैं और इस मामले ने बांग्लादेश को और सुलगा दिया है.

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बांग्लादेश एक बार फिर सुलग रहा है (File Photo: AP/PTI) बांग्लादेश एक बार फिर सुलग रहा है (File Photo: AP/PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

सोमवार को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने 'मानवता के खिलाफ अपराधों' के मामले में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया है. उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है. भारत में रह रही पूर्व पीएम के खिलाफ  227 से ज्यादा केस दर्ज हैं. शेख हसीना की अनुपस्थिति में ICT ने सजा सुनाई जिसे लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया.

सजा सुनाने की प्रक्रिया सुबह 11 बजे शुरू होने वाली थी लेकिन इसे देरी से शुरू किया गया है. आईसीटी जज ने देरी को लेकर कहा कि वो यह मामला बेहद हाई प्रेशर वाला है जिस वजह से वो बहुत कम सो पाए हैं.

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देरी के लिए जज ने माफी मांगी. उन्होंने बताया कि यह फैसला कुल 453 पन्नों और छह हिस्सों में तैयार किया गया. ट्रिब्यूनल जज ने शेख हसीना को अपराधी ठहराया है और कहा कि वो छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं के पीछे की मास्टरमाइंड थीं.

फैसला सुनाते हुए जज ने क्या कहा?

आईसीटी के ट्रिब्यूनल जज ने कहा कि जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 24,000 लोग घायल हुए थे. उन्होंने बताया कि शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए घातक हथियार, जिनमें बंदूक और हेलीकॉप्टर शामिल थे, का इस्तेमाल किया. इसके कारण देशभर में व्यापक हिंसा और तबाही फैली.

जज ने कहा कि हसीना ने हमले के आदेश दिए थे. जज ने यह टिप्पणी शेख हसीना और दक्षिण ढाका म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के पूर्व मेयर के बीच हुई एक कथित बातचीत का अंश पढ़ते हुए की. 

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पूर्व पीएम शेख हसीना क्या कह रहीं?

हसीना ने इस मामले पर कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं और वो अदालत के किसी फैसले को नहीं मानतीं. कोर्ट के फैसले से पहले अपने समर्थकों के लिए ऑडियो मैसेज में अवामी लीग प्रमुख ने कहा कि उन्हें किसी सजा की परवाह नहीं क्योंकि अल्लाह ने जीवन दिया है और वही इसे ले सकते हैं.

शेख हसीना के खिलाफ फैसले के मद्देनजर बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से हिंसा की स्थिति देखने को मिल रही है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना की अवामी लीग को प्रतिबंधित कर दिया है और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ दमन जारी है.

इस दमन के खिलाफ अवामी लीग समर्थक उठ खड़े हुए हैं और राजधानी ढाका समेत बांग्लादेश के सभी प्रमुख शहरों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. कई शहरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ है.

फिर सुलग रहा बांग्लादेश

ताजा राजनीतिक तनाव ने राजधानी ढाका को एक बार फिर से सुलगा दिया है. इस हफ्ते ढाका और अन्य शहरों में आगजनी और क्रूड बम हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं.

सबसे पहला विस्फोट मोहम्मद यूनुस के ग्रामीण बैंक मुख्यालय के बाहर हुआ. रिपोर्टों के अनुसार, करीब 17 स्थानों पर धमाके हुए हैं. इनमें सेंट जोसेफ स्कूल एंड कॉलेज के पादरियों और शिक्षकों के आवास के सामने हुआ विस्फोट भी शामिल है. बम धमाकों के बाद ढाका के शाहजादपुर और मेरुल बड्ढा क्षेत्रों में बसों में आग लगा दी गई.

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हालांकि, इन हमलों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. हिंसा को देखते हुए ढाका की सड़कों पर सन्नाटे की स्थिति दिख रही है. अवामी लीग के बंद के आह्वान का असर राजधानी में साफ नजर आ रहा है.

ढाका पुलिस ने एक बयान में बताया कि इस हफ्ते प्रतिबंधित अवामी लीग के 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. प्रशासन ने ढाका के सरकारी प्रतिष्ठानों के आसपास सभी तरह की सार्वजनिक सभाओं पर भी रोक लगा दी है.

इस बीच खबर है कि यूनुस के सलाहकार सैयद रिजवाना हसन के बाहर क्रूड बमों से हमला हुआ है. कॉक्सबाजार में भी हिंसक घटनाएं हुईं हैं. अवामी लीग समर्थक कई शहरों में हंगामा कर अपना विरोध जता रहे हैं.

इसे देखते हुए यूनुस सरकार ने राजधानी और आसपास के इलाकों में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं. अवामी लीग ने दो दिनों के बंद की घोषणा की है जिसे देखते हुए पुलिस और सेनी की चौकसी और बढ़ गई है.

ढाका में शूट एट साइट के ऑर्डर

ढाका में हो रही हिंसक घटनाओं के देखते हुए मेट्रोपॉलिट पुलिस कमिश्नर एसएम सजात ने कहा कि जो भी बस में आग लगाएगा या हिंसा फैलाएगा या देसी बम फेंकेगा, उसे गोली मार दी जाएगी.

बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में हुआ छात्र आंदोलन सरकार बदलने में तो सफल रहा लेकिन जिस स्थिरता, संपन्नता, रोजगार जैसी चीजों के लिए लड़ाई लड़ी गई, उसे हासिल नहीं किया जा सका है. इसके उलट, बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर हिंसा की चपेट में है. इसके लिए यूनुस प्रशासन की कई गलतियां जिम्मेदार हैं जिन्होंने हालात को ‘हिंसक’ बनाने में आग में घी डाला. 

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यूनुस ने मामले को संभालने के बजाए बरती सख्ती

विपक्षी नेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी- प्रतिबंधों के बाद अवामी लीग के कार्यकर्ता और समर्थक अंडरग्राउंड होकर काम कर रहे हैं लेकिन यूनुस की सरकार उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर टार्गेट कर रही है.

सिर्फ अवामी लीग ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े छात्रों, महिला संगठनों और यूथ विंग को भी निशाना बनाया जाने लगा है. पिछले कई महीनों से रोजाना सैकड़ों गिरफ्तारियां हो रही हैं जिससे देश में डर का माहौल है.

अवामी लीग से जुड़े लोग अब अपने इस डर से बाहर निकलकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और यूनुस की सरकार को चुनौती दे रहे हैं.

यूनुस सरकार के इस मामले को विवेक से संभालने के बजाए सख्ती बरती है और सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दे दिए गए हैं. बांग्लादेशी सुरक्षाबलों को अब बिना वारंट के गिरफ्तारी, प्रदर्शन स्थलों पर तुरंत कार्रवाई, रात में छापेमारी जैसे अधिकार मिल गए. यूनुस की इन दमनकारी नीतियों से बांग्लादेश की स्थिति सुधरने के बजाए बिगड़ती जा रही है.

चुनाव भी है एक मुद्दा

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा की एक वजह अगले साल की शुरुआत में होने वाले आम चुनाव भी हैं. इस चुनाव से अवामी लीग को दूर रखा गया है और इसे पूरी तरह खत्म करने की कोशिश की जा रही हैं. 

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यह पार्टी बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी रही है जिसने देश को आजाद कराने और उसके बाद नया बांग्लादेश बनाने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन अब यूनुस की सरकार इसे जड़ से मिटाने पर आमदा है जिससे हिंसा भड़क उठी है.

इस बीच शेख हसीना कई भारतीय चैनलों को इंटरव्यू देकर यूनुस सरकार को टार्गेट कर रही हैं. बांग्लादेश की खराब होती स्थिति के लिए वो अंतरिम सरकार को दोषी ठहरा रही हैं जिसे लेकर यूनुस भड़क गए हैं. बदले की भावना से हसीना समर्थकों पर हो रही कार्रवाई ने बांग्लादेश को एक बार फिर से सुलगा दिया है.

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