स्वामी प्रसाद मौर्य की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने इस मामले में दिया FIR दर्ज करने का आदेश

विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव मौर्य के खिलाफ विवादित बयान की जांच के आदेश दिए. बता दें कि शिकायतकर्ता रागिनी रस्तोगी का आरोप है कि पिछले साल 15 नवंबर को अखबारों में छपे उनके एक बयान से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं.

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स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो) स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • लखनऊ ,
  • 17 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ गई हैं. यूपी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने वजीरगंज पुलिस थाने को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. दरअसल, स्वामी प्रसाद ने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ विवादित बयान दिया था, इसी मामल में कोर्ट ने हिंदू भावनाओं को आहत करने के लिए पूर्व सपा नेता के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया.

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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव मौर्य के खिलाफ विवादित बयान की जांच के आदेश दिए. बता दें कि शिकायतकर्ता रागिनी रस्तोगी का आरोप है कि पिछले साल 15 नवंबर को अखबारों में छपे उनके एक बयान से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं.

उनकी शिकायत के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा था कि जब विभिन्न धर्मों के लोग दो हाथ और दो पैरों के साथ पैदा हुए थे, तो एक हिंदू देवी चार हाथों के साथ कैसे पैदा हो सकती हैं. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई मौकों पर इसी तरह के बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने करीब एक महीने पहले समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले उन्होंने पार्टी महासचिव के पद से भी इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया था, स्वामी प्रसाद ने इस पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी रखा है.  

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स्वामी प्रसाद 20 साल तक बसपा में बड़े पदों पर रहे और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. इसके बाद 2017 के चुनाव से पहले स्वामी ने पाला बदल लिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो स्वामी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. हालांकि 5 साल बाद ही उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया और 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए थे. 

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