15 साल की उम्र में घर से भागा, दिल्ली में धर्म बदला…SIR सर्वे ने 40 साल बाद परिवार से मिलाया

बरेली में SIR सर्वे के चलते 40 साल पहले गायब हो चुका ओमप्रकाश अचानक घर लौट आया. दिल्ली में 'सलीम' बनकर जिंदगी बिताने वाले ओमप्रकाश को दस्तावेज़ जांच में पहचान साबित न कर पाने पर अपने गांव काशीपुर आना पड़ा. लौटते ही गांव ने बैंड-बाजे और फूल मालाओं से स्वागत किया. 15 साल की उम्र में घर छोड़ा युवक पांच बच्चों का पिता बन चुका है और अब स्थायी रूप से गांव में रहने का फैसला कर लिया है.

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40 साल बाद परिवार से मिले ओमप्रकाश  (Photo: Screengrab) 40 साल बाद परिवार से मिले ओमप्रकाश (Photo: Screengrab)

कृष्ण गोपाल राज

  • बरेली,
  • 30 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

यूपी के बरेली में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सर्वे के दौरान एक ऐसा अनोखा और भावुक कर देने वाला मामला सामने आया जिसने पूरे गांव को हैरानी और खुशी दोनों से भर दिया. दरअसल 40 साल पहले घर छोड़कर गायब हो चुका ओमप्रकाश, जो दिल्ली में 'सलीम' नाम से जीवन बिता रहा था, सर्वे के दौरान दस्तावेज़ मांगने पर अचानक अपने पैतृक गांव काशीपुर (थाना शाही क्षेत्र) लौट आया. 

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उसके लौटते ही गांव में उत्साह की लहर दौड़ गई और परिवार वालों ने बैंड-बाजे और फूल मालाओं के साथ उसका स्वागत किया. ओमप्रकाश ने बताया कि वह 15 साल की उम्र में घर छोड़कर दिल्ली चला गया था और तब से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

दिल्ली के उस्मानपुर इलाके में रहते हुए उसने मुस्लिम धर्म अपना लिया, अपना नाम सलीम रख लिया और उसी पहचान से उसकी आईडी भी बन गई. दिल्ली में उसने शाहबानो (सायरा बानो) से शादी की और आज उसकी चार बेटियां और एक बेटा है. तीन बेटियों की शादी भी हो चुकी है.

40 साल बाद घर लौटा ओमप्रकाश

SIR सर्वे के दौरान जब उससे पैदाइशी दस्तावेज़ और मूल पहचान के रिकॉर्ड मांगे गए, तो वह दिल्ली में अपने नाम और दस्तावेज़ों को लेकर उलझन में पड़ गया. उसका रिकॉर्ड सत्यापन में मेल नहीं खा रहा था. मजबूरी में उसने अपने गांव से प्रमाण लाने का निर्णय लिया और 40 साल बाद वह पहली बार अपने गांव की ओर आया.

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गांव में उसके पहुंचते ही जैसे मानो खोया बेटा लौट आया हो. बहनों और रिश्तेदारों ने गले लगाकर उसका स्वागत किया. ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटीं और गांव में खुशी का माहौल बन गया. ओमप्रकाश ने कहा, '40 साल बाद अपने गांव लौटा हूं, पहले बहन के घर गया. यहां बहुत बदलाव हो गया है. तब मिट्टी के मकान थे, कच्चे रास्ते थे. अब सब पक्के घर और सड़कें हो गई हैं. अपने लोगों से मिलकर बहुत खुशी हुई.'

दस्तावेज़ जांच में फंसा मामला, पहचान मिलान में सामने आई सच्चाई

उसने बताया कि दिल्ली में वह टेंट हाउस का काम कर रहा था और अब स्थाई तौर पर गांव में ही रहने की योजना बना रहा है. साथ ही, अपने नाम और पहचान के कागज़ अब गांव से ही बनवाने की प्रक्रिया में है. उसने बताया कि उसके दादा और चाचा के नाम पर 16 बीघा जमीन थी, जिसकी स्थिति भी वह अब देख रहा है.

SIR सर्वे के कारण सामने आया यह मामला सामाजिक और प्रशासनिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बना हुआ है. गांव के लोग इसे 'चमत्कार जैसा' बताते हैं कि 40 साल बाद एक बिछड़ा हुआ बेटा दस्तावेज़ों की वजह से ही सही, लेकिन घर वापस आ गया.

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