सिर्फ सैर-सपाटा नहीं, दुनिया को बदलने का जरिया भी है टूरिज्म

इस साल 27 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) की थीम है "पर्यटन और सतत परिवर्तन". यह थीम साफ बताती है कि हमारी यात्राएं अब सिर्फ़ मनोरंजन नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं.

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यात्रा जो बदल सकती है दुनिया (Photo: Pixabay) यात्रा जो बदल सकती है दुनिया (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

World Tourism Day 2025: दुनिया का नक़्शा तेज़ी से बदल रहा है. हम अब सिर्फ़ सैर-सपाटे पर नहीं जाते, बल्कि बदलाव के वाहक बनकर लौटते हैं. विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day), जो हर साल 27 सितंबर को मनाया जाता है, इस बार इसी बड़े विचार के साथ दस्तक दे रहा है. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने इस दिवस की 45वीं वर्षगांठ पर यह साफ़ कर दिया है कि पर्यटन अब महज़ एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि वैश्विक समझ, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक एकता को बढ़ाने वाला एक सबसे बड़ा उपकरण है.

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इस साल 2025 के लिए जो विषय चुना गया है, वो है "पर्यटन और सतत परिवर्तन". जोकि इस बात को मजबूती से रेखांकित करता है कि आपकी हर यात्रा कितनी ज़िम्मेदार और दूरदर्शी होनी चाहिए. यह सिर्फ़ सैर नहीं है, यह पर्यावरण और समाज के प्रति हमारा साझा दायित्व है. 

पर्यटन सिर्फ़ अर्थव्यवस्था नहीं, शांति का भी है साधन

अक्सर हम पर्यटन को सिर्फ़ एक आर्थिक गतिविधि मानकर चलते हैं, जो लाखों रोज़गार पैदा करती है और देशों के जीडीपी में इजाफा करती है. यह सच है, लेकिन पर्यटन की भूमिका इससे कहीं ज़्यादा गहरी है. देखा जाए जब कोई यात्री किसी नई जगह जाता है, तो वह सिर्फ़ होटल और टैक्सी का बिल नहीं भरता, बल्कि वह उस जगह की संस्कृति और लोगों को करीब से समझता है. यह अनुभव सांस्कृतिक दूरियों को मिटाता है और राष्ट्रों के बीच संबंधों को मजबूत करता है, जिससे शांति और समझ को बढ़ावा मिलता है.

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ट्रैवल एंड टूर वर्ल्ड रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) इसे ही 'परिवर्तनकारी शक्ति' कहता है. यह एक ऐसी शक्ति जो देशों को अपनी समृद्ध विरासत दुनिया के सामने लाने का मौका देती है और उन्हें विकास के नए रास्ते दिखाती है.

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45 साल का सफर और 'सतत विकास' की नींव

विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत कोई अचानक हुई घटना नहीं थी. इसकी नींव 1980 में स्पेन में हुई एक बैठक में पड़ी थी. यह दिवस असल में 1970 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के क़ानूनों को अपनाने की याद में मनाया जाता है. यानी, लगभग साढ़े चार दशकों से यह संगठन पर्यटन के मूल्य को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए काम कर रहा है.

हर साल, एक ख़ास थीम चुनी जाती है ताकि पर्यटन क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों पर बात हो सके, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो या ज़िम्मेदार पर्यटन प्रथाएं. 2025 का विषय "पर्यटन और सतत परिवर्तन" इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पर्यटन को संयुक्त राष्ट्र के 2030 सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने का एक सीधा माध्यम बनाता है. यानी, हमारा घूमना सीधे तौर पर हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने के काम आएगा.

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स्थानीय समुदाय और यात्रियों की नई जिम्मेदारी

पर्यटन की असली सफलता बड़े-बड़े रिसॉर्ट्स या इमारतों में नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों की समृद्धि में निहित है. टिकाऊ पर्यटन का मॉडल सीधे इस पर ज़ोर देता है कि हम ऐसी यात्रा नियमों को अपनाएं जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम हो और स्थानीय लोगों का आर्थिक लाभ बढ़े.

अब एक यात्री की जिम्मेदारी बदल गई है. उन्हें पर्यावरण-अनुकूल आवास चुनना होगा, अपशिष्ट कम करना होगा और जिस जगह वे घूमने गए हैं, वहां के स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना होगा. इतना ही नहीं UNWTO की अपील साफ़ है कि पर्यटन उद्योग और यात्री दोनों ऐसे स्थायी व्यवहार अपनाएं जिससे लोगों और पर्यावरण दोनों को लाभ हो. जोकि एक सचेत और जागरूक नागरिक होने का प्रमाण है.

इतिहास और संस्कृति का संगम ताज महल (Photo:Pixabay)

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समावेशी और ज़िम्मेदार यात्रा

आज का पर्यटन केवल एक वर्ग के लिए नहीं है, बल्कि यह समावेशी बन रहा है. इस क्षेत्र में अब सरलता को प्राथमिकता दी जा रही है. इसका मतलब यह है कि विकलांगों सहित समाज के हर वर्ग और हर पृष्ठभूमि के लोगों को यात्रा के अनुभवों का आनंद लेने का पूरा अवसर मिलना चाहिए.

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इसके साथ ही ज़िम्मेदार यात्रा पर भी खासा ज़ोर है. पर्यटकों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है जो उनके द्वारा देखी जाने वाली जगहों और वहां रहने वाले लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालें. इस हिसाब से देखा जाए तो पर्यटन अब सिर्फ़ एकतरफ़ा लेन-देन नहीं रहा, बल्कि यह एक दोतरफा सकारात्मक साझेदारी बन गया है.

मलेशिया का मेलाका बनेगा वैश्विक केंद्र

इस साल विश्व पर्यटन दिवस 2025 का मुख्य समारोह मलेशिया के मेलाका में आयोजित किया जाएगा. यह शहर यूनेस्को का विश्व धरोहर शहर है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए मशहूर है. मेलाका इस मौके पर सातवें विश्व पर्यटन सम्मेलन की मेज़बानी भी करेगा.

इस मंच पर दुनियाभर के विशेषज्ञ, नीति-निर्माता और उद्योग जगत के नेता एक साथ बैठेंगे और इस बात पर विचार करेंगे कि पर्यटन उद्योग के लिए एक अधिक टिकाऊ भविष्य कैसे बनाया जाए. मलेशियाई सरकार ने इसे समुदायों को सशक्त बनाने, अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने में पर्यटन की भूमिका को प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर बताया है.

संस्कृति और इतिहास का जीवंत संगम (Photo: Pixabay)

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आप कैसे बन सकते हैं इस बदलाव का हिस्सा?

अगर आप भी इस वैश्विक चर्चा में शामिल होना चाहते हैं, तो UNWTO ने आपके लिए भी रास्ता खोला है. दुनिया भर के लोगों को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया पहल शुरू की गई है. इतना ही नहीं यात्रियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपनी स्थायी यात्रा के अनुभव और पर्यावरण पर प्रभाव कम करने के अपने व्यक्तिगत प्रयासों को साझा करें. इसके लिए आप #WorldTourismDay या #WTD2025 जैसे हैशटैग का उपयोग कर सकते हैं. यह एक सरल तरीका है जिससे आप एक ज़िम्मेदार यात्री होने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं और इस बात को दुनिया को बता सकते हैं कि हर कोई स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

विश्व पर्यटन दिवस हमें यही याद दिलाता है कि हमारी हर यात्रा सिर्फ़ सफर नहीं, बल्कि दुनिया को बदलने की शक्ति भी रखती है. यात्रा, जब जिम्मेदारी के साथ की जाए, तो यह न केवल हमारी समझ बढ़ाती है, बल्कि समाज, संस्कृति और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर डालती है. यही कारण है कि 2025 का पर्यटन दिवस सिर्फ़ मनाने का दिन नहीं, बल्कि सोचने और बदलाव लाने का दिन है.

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