जापान में 26 डिग्री, इटली में 23... समझिए क्यों भारत में AC का मिनिमम टेंपरेचर 20 किया जा रहा

Air Conditioner (AC) को लेकर जल्द ही सरकार की तरफ से एक नया नियम लाने की प्लानिंग चल रही है. आने वाले दिनों में AC को मिनिमम 20 और मैक्सिमम 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं चला पाएंगे. मंगलवार को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2047 के लिए मोदी सरकार के विजन के बारे में बताया. इस दौरान उन्होंने AC टेंपरेचर स्टैंडर्डाइजेशन को लेकर भी बात कही.

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AC Temperature Standard (Image: Getty) AC Temperature Standard (Image: Getty)

रोहित कुमार

  • नई दिल्ली ,
  • 11 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST

दिल्ली-NCR हो या फिर देश का कोई दूसरा शहर, लगभग हर जगह लोगों को भीषण गर्मी और लू का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी से राहत पाने के लिए घर, ऑफिस, मॉल या अस्पताल आदि में AC का यूज होता है. कई घरों में तो AC 16 डिग्री या 18 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर पर चलाया जाता है. अब सरकार मिनिमम टेंपरेचर को मिनिमम 20 करने की प्लानिंग कर रही है. 

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सरकार AC के टेंपरेचर को मानकीकृत यानी स्टैंडर्डाइजेशन करने की तैयारी कर रही है. इस नियम के तहत AC का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम और 28 डिग्री से ज्यादा नहीं होगा. भारत ऐसा करने वाला इकलौता देश नहीं है. दुनियाभर में AC टेंपरेचर को लेकर अलग-अलग स्टैंडर्ड और प्रीफ्रेंस हैं. यहां आपको दुनियाभर के देशों में AC टेंपरेचर स्टैंडर्ड के बार में बताने जा रहे हैं. 

AC टेंपरेचर स्टैंडर्डाइजेशन के के पीछ का मकसद 

सबसे पहले आपको बता देते हैं कि AC टेंपरेचर स्टैंडर्डाइजेशन करने का मकसद ऊर्जा संरक्षण, बिजली खपत में कमी और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखना है. मंगलवार को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2047 के लिए मोदी सरकार के विजन के बारे में बताया. इस दौरान उन्होंने AC टेंपरेचर स्टैंडर्डाइजेशन को लेकर बातचीत की. 

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उन्होंने कहा, AC के तापमान के स्टैंडर्डाइजेशन करने की तैयारी की जा रही है. इसका मतलब है कि AC का तपमान 20 डिग्री से और 28 डिग्री तक रहेगा. यानी ठंडक के लिए 20 डिग्री से कम और गर्मी के लिए 28 डिग्री से ज्यादा नहीं कर सकेंगे. 

उन्होंने आगे कहा कि इसे पहली बार शुरू कर रहे हैं. बहुत से देश ऐसे हैं, जैसे जापान में 26 डिग्री स्टैंडर्डाइजेशन किया हुआ है. इटली में 23 डिग्री में किया हुआ है. जिन देशों को बहुत फॉर्वर्ड माना जाता है, वहां ये स्टैंडर्ड है. 

यह भी पढ़ें: AC में 'Ton' का मतलब क्या होता है? कैसे तय होती है कूलिंग कैपेसिटी

AC टेंपरेचर के ग्लोबल स्टैंडर्ड 

AC टेंपरेचरको लेकर ग्लोबल स्टैंडर्ड पहले से मौजूद हैं. यहां कूलिंग मोड, हीटिंग मोड, आइडियल टेंपरेचर और एनर्जी एफिशिएंट रेंज मौजूद हैं. आप नीचे दी गई टेबल में ये रेंज देख सकते हैं. 

AC टेंपरेचर के ग्लोबल स्टैंडर्ड
AC का यूज कितने पर चलाने की सलाह टिकिपल रेंज 
रेजिडेंशियल  24°C – 26°C (75°F – 78°F) 16°C – 30°C (60°F – 86°F)
कमर्शियल/ऑफिस 22°C – 25°C (72°F – 77°F) 21°C – 26°C (70°F – 79°F)
होटल 22°C – 24°C (72°F – 75°F) 20°C – 26°C (68°F – 79°F)
हॉस्पीटल  21°C – 24°C (70°F – 75°F) क्लाइमेट जोन
सर्वर रूम/डेटा सेंटर  18°C – 27°C (64°F – 80°F) क्लाइमेट जोन

अमेरिका और दूसरे देशों में क्या हैं स्टैंडर्ड 

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दुनिया के कई देश हैं जहां AC के टेंपरेचर को लेकर स्टैंडर्ड फिक्स हैं. जहां सरकारी एजेंसियां समेत AC मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पावर सेविंग के लिए एक कॉमन टेंपरेचर रखने की सलाह देती हैं. 

दुनिया के देशों में क्या हैं स्टैंडर्ड ?
देश/रीजन     टेंपरेचर सेटिंग 
अमेरिका 21–24°C
इटली 23-25°C
यूरोप  22–25°C
जापान 26–28°C 
मिडिल ईस्ट  20–24°C

AC के अंदर होते हैं एक्सट्रीम ऑपरेटिंग लिमिट 

AC के अंदर एक्सट्रीम ऑपरेटिंग लिमिट होती हैं, जहां मिनिमम कूलिंग टेंपरेचर 16°C (60°F) और मैक्सिमम कूलिंग टेंपरेचर 30°C (86°F) होता है. इसके बाद यूजर्स अपनी क्लाइमेट और अन्य कंडिशन को देखते हुए AC टेंपरेचर को चुन सकते हैं.  

यह भी पढ़ें: दिल्ली : AC की वजह से घर में लगी आग, हमेशा याद रखें ये सेफ्टी टिप्स

पावर सेविंग के लिए भारत में इतने पर चलाएं AC 

भारतीय मानक ब्यूरो की तरफ से सलाह दी जाती है कि भारत में AC को 24-26 डिग्री सेल्सियस पर चलाना चाहिए. इसकी मदद से लोगों को कूलिंग और पावर सेविंग दोनों मिलती हैं. दुनियाभर में इस तरह की एजेंसियां हैं, जो अपने-अपने देश में पावर सेविंग के लिए अलग-अलग टेंपरेचर पर AC चलाने की सलाह देती हैं.

अमेरिका से चीन तक, ये हैं उन देशों पावर सेविंग एजेंसियां 

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जहां अमेरिका में पावर सेविंग के लिए नियम और गाइड लाइंस बनाने का काम ENERGY STAR का है. वहीं भारत में ये काम ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसिएंसी (BEE) की तरफ से किया जाता है. यूरोप में European Energy Labeling (EU) एजेंसी मौजूद है. इसके अलावा जाप में Top Runner Program और चीन में China Energy Label एजेंसी मौजूद है. 

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