टीम इंडिया के तूफानी तेज गेंदबाजों में शुमार उमेश यादव कोविड-19 लॉकडाउन के बाद से अपनी पत्नी तान्या के साथ दिल्ली में अपनी ससुराल में ही हैं. ऐसे समय में भी उमेश यादव अपनी फिटनेस पर बहुत काम कर रहे हैं. उमेश ने कहा, ‘जहां मैं रह रहा हूं वहां से लगभग 350 मीटर की दूरी पर मैदान है और पिछले कुछ दिनों से मैं दौड़ने के लिए वहां जा रहा हूं.’
भारत में तेज गेंदबाजों के लिए प्रतिकूल विकेटों पर उमेश यादव ने खुद को साबित किया है. कप्तान विराट कोहली उन पर भरोसा करते हैं. 32 साल का यह तेज गेंदबाज पिछले 10 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतार-चढ़ाव भरे करियर के बावजूद खेल में बने रहने का श्रेय अपनी ‘बेजोड़ मानसिक मजबूती’ को देता है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में 259 विकेट हासिल कर चुके विदर्भ के तेज गेंदबाज उमेश को नहीं लगता कि उन्हें लेकर टेस्ट विशेषज्ञ की जो धारणा बन रही है उस बारे में जवाब देने की जरूरत है क्योंकि क्रिकेट से दूर जो समय बिताया जा रहा है उसका इस्तेमाल अपने कौशल को निखारने और मुकाबले के लिए तैयार रहने में किया जाना चाहिए.
उमेश यादव ने पीटीआई से कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं मानसिक रूप से काफी मजबूत हूं और यह काफी अंतर पैदा करता है.’ विदेशी सरजमीं पर होने वाले मैचों की अंतिम एकादश में तेज गेंदबाजी की दौड़ में अधिकतर ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह से पिछड़ने वाले उमेश ने कहा, ‘मैं इन चीजों को अधिक तवज्जो नहीं देता कि किसे खेलने का मौका मिलेगा या मुझे रिजर्व खिलाड़ियों में बैठना पड़ेगा. यह खेल है जहां कुछ भी संभव है.’
भारत को दिसंबर में टेस्ट क्रिकेट खेलना है और उमेश को संभवत: सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिले और ऐसे में यह तेज गेंदबाज किसी भी टूर्नामेंट में खेलने के लिए तैयार है, फिर यह चाहे जिला स्तर के मैच हों या नागपुर में क्लब मैच जिससे कि वह फिट रह सकें. उमेश साथ ही इंग्लैंड में भी खेलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पता है कि इस साल ऐसा संभव नहीं हो पाएगा.
भारत की ओर से 46 टेस्ट में 144 और 75 वनडे में 106 विकेट हासिल करने वाले इस तेज गेंदबाज ने कहा, ‘कई चीजें इसमें मायने रखती हैं- फॉर्म, हालात. यह प्रदर्शन करना और मौके का फायदा उठाने से जुड़ा है. इसलिए मैं अन्य चीजों के बारे में काफी नहीं सोचता.’
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अधिक मैच नहीं मिलने के कारण क्या वह खुद को पीड़ित समझते हैं, यह पूछे जाने पर उमेश ने कहा, ‘नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने आपको पीड़ित के रूप में नहीं देखता. ऐसा समय आता है जब मुझे खेलने का मौका मिला है और ऐसा समय भी होता है जब मैं नहीं खेलता.’
उमेश ने कहा, ‘जब मैं खेल नहीं रहा होता तो मैं अपने खेल पर काम करने की कोशिश करता हूं. मेरा कौशल बेहतर हो रहा है और उम्मीद करता हूं कि मैं सीमित ओवरों की क्रिकेट का हिस्सा रहूंगा.’ यह पूछने पर कि वह मुश्किल समय में किस व्यक्ति से बात करना पसंद करते हैं, उमेश ने कहा, 'घर में मैं अपने कोच पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज सुब्रतो बनर्जी से सलाह लेता हूं.’ इसके अलावा आशीष भाई (नेहरा) और जहीर भाई भी हैं, जिन्होंने मेरी काफी मदद की है.’