Shubman Gill leadership impact: इंग्लैंड दौरे के लिए रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के बाद जब टीम का ऐलान हुआ तो टीम की कमान शुभमन गिल को दी गई, इसके बाद सवाल उठा कि एक कैसे खिलाड़ी को कप्तान कैसे बनाया जा सकता है जिसका टेस्ट क्रिकेट में एवरेज 35 का है.
लेकिन तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के 2-2 से बराबरी पर छूटने के बाद सारे आंकड़े पुराने किस्से की तरह हो गए. क्योंकि 'टीम इंडिया के प्रिंस' ने खुद को बतौर बल्लेबाज तो स्थापित करके दिखाया ही, वहीं यह भी दिखाया कि कप्तानी करने के मामले में भी वह किसी से कम नहीं हैं. उनकी कप्तानी में विराट कोहली जैसा कड़क तेवर नजर आया, वहीं रोहित शर्मा जैसी प्रेशर झेलने की कुव्वत भी नजर आई, धोनी जैसी कूलनेस भी दिखी.
गिल ने बतौर बल्लेबाज तो इस सीरीज में खुद को स्थापित करके दिखाया ही, वहीं टीम इंडिया के नंबर 4 पर भी खुद को स्थापित करके दिखाया और क्या स्थापित किया.... क्योंकि गिल से पहले इस नंबर 4 की पोजीशन पर कभी सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली लंबे अरसे तक खेले थे. यह टीम इंडिया का टेस्ट क्रिकेट में ग्रेटेस्ट बैटिंग पोजीशन रही है.
कैप्टन गिल के साथ खास बात यह रही कि जब अंग्रेज टीम के सामने आंखें तरेरनी पड़ी तो वो भी किया और जब मुश्किल परिस्थिति में टीम के गेंदबाजों से लगातार कम्युनिकेशन करने की आवश्कता पड़ी तो उसे भी करने से वो पीछे नहीं हटे, हर हाल में डटे रहे.
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ओवल टेस्ट के उदाहरण से ही इसे आसानी से समझ सकते हैं. एक समय इंग्लैंड के दूसरी पारी में 3 विकेट खोकर 301 रन बन चुके थे लग रहा तो यहां से तो अंग्रेजों की की जती तय है. इसी स्कोर पर हैरी ब्रूक 111 रन पर आकाश दीप की गेंद पर आउट हुए. इस स्कोर से पहले गिल लगातार टीम इंडिया का बॉलिंग अटैक चेंज कर रहे थे. वो वॉशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा को भी लेकर आए, लेकिन जब लगा कि इन दोनों को पिच से जीरो मदद है तो तेज गेंदबाजों को भी इस तरह चेंज किया कि वो थके नहीं.
मैच के आखिरी दिन यानी 4 अगस्त का समीकरण 35 रन और 4 विकेट के बीच था. तब आखिरी दिन नई गेंद ना लेकर भी उन्होंने एक जुआ खेला, सिराज और कृष्णा भी उनके इस विश्वास पर एकदम खरे उतरे, इंग्लैंड को टारगेट से 6 रनों से दूर कर दिया.
तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज में कैप्टन गिल का उदय कैसे हुआ?
दिसंबर 2020 में मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुभमन गिल का मोहम्मद सिराज के साथ टेस्ट डेब्यू हुआ था. उस डेब्यू के बाद से और इंग्लैंड सीरीज से पहले तक गिल ने 32 टेस्ट मैच खेले थे, इस दौरान उन्होंने 1893 रन बनाए थे और उनका एवरेज 35.05 का था. इस दौरान उनके बल्ले से 5 शतक आए थे. लेकिन एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी खत्म होने के बाद 37 मैचों में उनके 2647 रन हो गए. बल्लेबाजी एवरेज भी 41.35 का हो गया, शतक भी 9 हो गए.
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25 साल के गिल का इस सीरीज से पहले बेस्ट स्कोर 128 रन था, जो उन्होंने 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था. लेकिन जैसे ही उन्हें कप्तानी मिली, उनकी बल्लेबाजी में और दम आ गया. 20 जून से 6 जुलाई के बीच शुरुआती तीन टेस्ट के दौरान, उन्होंने 147, 269 और 161 रन की पारियां खेलीं. बर्मिंघम (एजबेस्टन) में तो गिल अलग ही रंग में थे, यहां उन्होंने 269 रनों की पारी में सिर्फ 3.5% गलत शॉट खेले थे.
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गिल ने सीरीज की शुरुआत लीड्स में 147 रनों की शानदार पारी खेलकर की. फिर उन्होंने बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच में 269 और 161 रन बनाए. मैनचेस्टर टेस्ट में 103 रनों की पारी खेलकर भारत को मैच ड्रॉ कराने में मदद की थी. गिल ने इस पूरी सीरीज में 754 रन बनाए. इस तरह वो सुनील गावस्कर का रिकॉर्ड तोड़ने से चूक गए. साल 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी डेब्यू सीरीज में सुनील गावस्कर ने 774 रन बनाए थे. यह किसी टेस्ट सीरीज में भारतीय बल्लेबाज के बनाए गए सबसे ज्यादा रन हैं. गावस्कर के इस रिकॉर्ड को तोड़ने से गिल 21 रन पीछे रह गए.
रेड बॉल से की थी IPL में प्रैक्टिस
आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) 2025 के दौरान संभवत: गिल को इस बात के संकेत मिल गए थे कि उनको टीम इंडिया में टेस्ट क्रिकेट में बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है. गिल ने गुजरात टाइटन्स की कप्तानी करते हुए रेडबॉल से प्रैक्टिस की, यानी आईपीएल के बीच भी गिल का फोकस इंग्लैंड की तैयारी पर था. कुल मिलाकर वो भले ही आईपीएल खेल रहे थे लेकिन दिमाग में उनके इंग्लैंड सीरीज थी.
Krishan Kumar