पिछले कुछ दिनों से हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर लगातार प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो रहे हैं. भारी बारिश, भूस्खलन, बादल फटना और अचानक बाढ़ ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है. सड़कें-ब्रिज ध्वस्त हो गए हैं. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.
अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में 2001 के बाद सबसे ज्यादा 265 मिमी बारिश हुई, जो रिकॉर्ड तोड़ने वाली है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सितंबर 2025 के लिए सामान्य से 109% ज्यादा बारिश की चेतावनी दी है, जिससे और तबाही का खतरा बढ़ गया है.
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अगस्त 2025 की तबाही: हिमालयी राज्यों में क्या हुआ?
अगस्त 2025 मॉनसून का सबसे विनाशकारी महीना साबित हुआ. IMD की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में 265 मिमी बारिश हुई, जो 1901 के बाद 13वीं सबसे ज्यादा है. जम्मू-उधमपुर में 24 घंटे में 380-630 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई, जो 99 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया.
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मौसम की मार नहीं, विकास की गलतियां जिम्मेदार
भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी के अध्यक्ष और पूर्व IMD अधिकारी आनंद शर्मा ने राजेश डोबरियाल से बातचीत में कहा कि मौसम पूर्वानुमान बेहतर हो रहा है, लेकिन चेतावनियों पर प्रतिक्रिया न देना बड़ी समस्या है.
चेतावनी सिस्टम की चुनौतियां: वेल डिफाइंड सिस्टम (जैसे चक्रवात) पर 2-4 दिन पहले अलर्ट संभव, लेकिन मेजोस्केल सिस्टम (10-100 किमी) में बादल 15 किमी ऊपर बनकर 1 घंटे में भारी बारिश कर देता है. रडार-सैटेलाइट से पता चलने पर सिर्फ 10-15 मिनट मिलते हैं. रात में गतिविधि हो तो बताना मुश्किल – मोबाइल बंद, नेटवर्क फेल, रेडियो-टीवी बंद.
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समाधान: ऑल वेदर कम्युनिकेशन सिस्टम, हैम रेडियो से कम्युनिटी रेडियो, स्थानीय ट्रेनिंग. धराली-चिशोती फ्लैश फ्लड कैचमेंट एरिया (20-50 किमी ऊपर) की बारिश से आए – रडार/AWS की कमी. हिमालय का जटिल भूगोल हर घाटी का अलग मौसम, ज्यादा रडार-AWS लगाने पड़ेंगे. 100 साल डाटा से पैटर्न देखें, कैचमेंट पर फोकस.
विकास मॉडल गलत: नदियों-गदेरों का अतिक्रमण, पेड़-पौधे न लगाना. जापान जैसे वन बेल्ट बनाएं. प्लानिंग प्रकृति अनुरूप हो – नदी से दूर घर. अंग्रेजों ने सॉलिड पहाड़ चेक कर बायलॉ बनाए, उनकी रेल-सड़कें सुरक्षित. अब देहरादून-मालदेवता सड़क नदी में घुसकर बनी, वो भी टूटेगी. कुल्लू में ब्यास के साथ सड़क, रिस्पना नदी बदली. विधानसभा-यूनिवर्सिटी नदी किनारे.
जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियर पिघल, बाढ़ आ रही, लेकिन असली वजह लैंड यूज चेंज. फ्लैश फ्लड पहाड़ों का फीचर, बाढ़ सफाई के लिए जरूरी. सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2030 लक्ष्य के लिए प्लानिंग सही हो. मौसम कोसें नहीं, जागरूक हों – चेतावनी से प्लान बनाएं, नदी से दूर रहें. गुड गवर्नेंस न हो तो पर्यावरण न बचेगा.
IMD का सितंबर 2025 पूर्वानुमान: और भारी बारिश, खतरे बढ़े
IMD डायरेक्टर जनरल डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने 31 अगस्त 2025 को कहा कि सितंबर में 109% से ज्यादा बारिश (LPA 167.9 मिमी) होगी. जून से अब तक 743.1 मिमी (6.1% ज्यादा) हुई.
अगस्त की तबाही (320+ मौतें हिमाचल में) और सितंबर की चेतावनी बताती है कि जलवायु परिवर्तन के साथ विकास की गलतियां आपदाओं को बढ़ा रही हैं.
आजतक साइंस डेस्क