भारत के आसपास के समुद्रों में एक के बाद एक दो चक्रवातों ने मौसम विभाग को सतर्क कर दिया है. पहला चक्रवात सेन्यार अब कमजोर हो चुका है, लेकिन दूसरा चक्रवात दितवा तेजी से मजबूत हो रहा है. ये दोनों चक्रवात बंगाल की खाड़ी और मलक्का जलडमरूमध्य के पास बने हैं.
इनके कारण दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में तेज बारिश, तेज हवाएं और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.आईएमडी ने तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के लिए अलर्ट जारी किए हैं.
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चक्रवात सेन्यार 26 नवंबर 2025 को मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca) और पूर्वी इंडोनेशिया के पास बना था. यह एक 'दुर्लभ' (rarest of rare) चक्रवात था, क्योंकि यह आमतौर पर भारत के समुद्रों में नहीं बनता. यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों से गुजरा और फिर पूर्व की ओर बढ़ गया.
सेन्यार का नाम किसने सुझाया? यह नाम इंडोनेशिया ने दिया है, जो एक स्थानीय शब्द है. लेकिन अच्छी बात यह है कि यह भारत के तटों पर ज्यादा असर नहीं डालेगा. फिर भी, इसके कारण समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं, इसलिए मछुआरों को चेतावनी दी गई है.
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सेन्यार के ठीक बाद, 27 नवंबर 2025 को बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक नया चक्रवात दितवा बन गया. यह इस सीजन का चौथा चक्रवात है. आईएमडी के अनुसार यह तेजी से मजबूत हो रहा है. 30 नवंबर की सुबह तक तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटों के पास पहुंच सकता है.
दितवा का नाम यमन ने सुझाया है. यह नाम सोकोट्रा द्वीप (यमन) के 'देतवा लैगून' (Detwah Lagoon) से लिया गया है, जो एक खास तटीय पारिस्थितिकी वाले जगह है.
भारत मौसम विभाग (IMD) ने चक्रवात सेन्यार और दितवा के संयुक्त प्रभाव की वजह से दक्षिण भारत के कई इलाकों में अलग-अलग तरह के अलर्ट जारी किए हैं. ये अलर्ट 27 नवंबर 2025 की शाम तक के हैं. हर 6 घंटे में नया अपडेट आता रहेगा.
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मछुआरों को सख्त चेतावनी दी गई है कि बंगाल की खाड़ी के प्रभावित हिस्सों में बिल्कुल न जाएं. जो लोग अभी समुद्र में हैं, वे तुरंत तट पर लौट आएं. आम लोगों से कहा गया है कि घरों में ही रहें, बाढ़ वाले निचले इलाकों से दूर रहें और मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो, टीवी या IMD का ऐप/वेबसाइट जरूर देखते रहें. ये सभी अलर्ट अभी बदल भी सकते हैं, इसलिए हर 6 घंटे में IMD का नया बुलेटिन जरूर चेक करें.
ये चक्रवात बहुत खतरनाक नहीं लग रहे, लेकिन इनके संयुक्त असर से दक्षिण भारत में परेशानी हो सकती है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन (climate change) के कारण ऐसे चक्रवात ज्यादा हो रहे हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि आईएमडी की चेतावनी से नुकसान कम किया जा सकता है.
आजतक साइंस डेस्क