शनि-मंगल-गुरु के पास 3 विशेष दृष्टि, जीवन में उथल-पुथल के लिए कौन बड़ा जिम्मेदार?

ज्योतिष में नौ ग्रहों का अध्ययन किया जाता है, जिसमें से सात ग्रहों के पास दृष्टि होती है. इन सात ग्रहों में सबके पास सातवीं दृष्टि अवश्य होती है, लेकिन तीन ग्रहों के पास सातवीं के अलावा दो दृष्टियां और होती हैं.

Advertisement
शनि-मंगल-गुरु के पास 3 विशेष दृष्टि शनि-मंगल-गुरु के पास 3 विशेष दृष्टि

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST
  • 7 ग्रहों में सबके पास 7वीं दृष्टि अवश्य होती है
  • मंगल-गुरु-शनि कैसे जीवन में मचाते हैं उथल-पुथल?

ज्योतिष में ग्रहों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है. किसी स्थान से ग्रहों की दृष्टि कुंडली (Kundli dosh) को काफी प्रभावित करती है. ज्योतिष में नौ ग्रहों का अध्ययन किया जाता है, जिसमें से सात ग्रहों के पास दृष्टि होती है. इन सात ग्रहों में सबके पास सातवीं दृष्टि अवश्य होती है, लेकिन तीन ग्रहों के पास सातवीं के अलावा दो दृष्टियां और होती हैं. ये ग्रह हैं मंगल, बृहस्पति और शनि (Mangal guru and shani).

Advertisement

मंगल की दृष्टि
मंगल के पास तीन दृष्टियां होती हैं. मंगल के पास चतुर्थ, सप्तम और अष्टम दृष्टि होती है. मंगल की दृष्टि मिश्रित परिणाम देती है. मंगल की दृष्टि अपने मित्रों पर पढ़कर शुभ परिणाम देती है. शत्रु और पाप ग्रहों पर पड़कर इसकी दृष्टि अशुभ हो जाती है. मंगल की दृष्टि शनि पर पड़ने से सबसे ज्यादा भयंकर हो जाती है.

बृहस्पति की दृष्टि
बृहस्पति के पास तीन दृष्टियां होती हैं. इनके पास पंचम, सप्तम और नवम दृष्टि होती है. बृहस्पति की दृष्टि, गंगाजल की तरह पवित्र होती है. यह जिस भाव और जिस ग्रह पर पड़ती है, उसे शुभ कर देती है. यहां तक अशुभ योग भी इनकी दृष्टि से निष्फल हो जाते हैं, लेकिन मकर का बृहस्पति शुभ दृष्टि नहीं देता है.

शनि की दृष्टि
शनि के पास भी तीन दृष्टियां होती हैं. इसके पास तृतीय, सप्तम और दशम दृष्टि होती है. शनि की दृष्टि विध्वंसक होती है. यह जिस भाव और जिस ग्रह पर पड़ती है, उसका नाश कर देती है. शनि की दृष्टि, सूर्य और मंगल पर हो तो नुकसान सबसे ज्यादा होता है. शनि की दृष्टि शुभ से शुभ योग को भी निष्फल कर देती है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement