CJI जूता कांड में बाकी राजनीतिक दलों के मुकाबले आम आदमी पार्टी अति सक्रिय क्यों?

CJI जस्टिस बीआर गवई पर हुए हमले के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल और उनके साथी हद से ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं. क्या और राजनीतिक दलों को इस मामले में दलितों का मुद्दा नहीं समझ में आ रहा है? वो भी तब जबकि बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म है.

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CJI बीआर गवई के साथ हुई घटना की सबसे ज्यादा फिक्र तो अरविंद केजरीवाल को ही लग रही है - और बड़ा सवाल भी यही है. (Photo: PTI) CJI बीआर गवई के साथ हुई घटना की सबसे ज्यादा फिक्र तो अरविंद केजरीवाल को ही लग रही है - और बड़ा सवाल भी यही है. (Photo: PTI)

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंके जाने का काफी विरोध हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की निंदा की है. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने भी, लेकिन जिस तरह अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी मुहिम चला रही है, वो अलहदा लग रहा है. 

अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी टीम फिलहाल इसी मुद्दे पर फोकस नजर आ रही है. दिल्ली में सौरभ भारद्वाज लगातार विरोध की अलग जगाए हुए हैं. सौरभ भारद्वाज के X हैंडल को देखें तो लगता है, आम आदमी पार्टी के पास अभी तो इससे बड़ा कोई मुद्दा ही नहीं है.

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सबसे बड़ी बात तो पंजाब में 100 से भी ज्यादा एफआईआर हुए हैं. ये ठीक है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. भगवंत मान मुख्यमंत्री हैं, और उनके एक आदेश पर एक्शन में आ जाने वाली पंजाब पुलिस है - लेकिन, ऐसी क्या बात है जो देश के बाकी राजनीतिक दलों से ज्यादा अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को ही चीफ जस्टिस और न्यायपालिका की फिक्र है?

पंजाब में 100 से ज्यादा एफआईआर

6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के कोर्ट रूम में एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की थी. पुलिस के अनुसार, वो वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से नाराज था. 

अब जस्टिस बीआर गवई ने भी घटना पर अपनी बात रखी है. घटना के तीन दिन बाद एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, मेरे साथी और मैं सोमवार को हुई घटना से सन्न रह गए थे, लेकिन अब हमारे लिए वो बीता हुआ समय यानी इतिहास का एक पन्ना या अध्याय है. जस्टिस गवई ने हमलावर वकील के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है, और उसके जूते लौटाने को भी बोल दिया था. 

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जस्टिस गवई की नजर में भले ही वो घटना इतिहास बन चुकी है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की हद से ज्यादा सक्रियता तो यही बता रही है कि उनको इस मुद्दे में भविष्य की कोई राजनीतिक झलक मिल रही है. पंजाब में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.

पंजाब की पुलिस ने पूरे राज्य में 100 से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट्स पर केस दर्ज किए हैं. पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने जाति से जुड़ी अपमानजनक बातें लिखीं, और भड़काऊ कंटेंट शेयर किया है. ऐसी पोस्ट और वीडियो में नफरत फैलाने और समाज में झगड़ा कराने वाली बातें थीं, जिसके जरिए शांति और कानून-व्यवस्था खराब करने की कोशिश की गई. और, इसीलिए पुलिस ने कानून के तहत एफआईआर दर्ज की है.

पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक, गंभीर अपराधों से संबंधित मिली जानकारी के आधार पर SC/ST एक्ट, 1989 की धारा 3(1)(R), 3(1)(S) और 3(1)(U) तथा भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 196, 352, 353(1), 353(2) और 61 के तहत राज्य के विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं, पंजाब में दलित समाज के खिलाफ किसी भी प्रकार का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा... सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने या समाज को बांटने वाले सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी. 

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आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को थप्पड़ मारे जाने और जस्टिस गवई पर जूता फेंके जाने की घटनाओं में अलग अलग व्यवहार करने का आरोप लगाया है. दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज कहते हैं, दोनों मामलों में भाजपा सरकार की कार्रवाई, मीडिया मैनेजमेंट और सोशल मीडिया मैनेजमेंट में जमीन आसमान का फर्क है... साफ है, भाजपा सरकार अपने मुख्यमंत्री को लेकर सावधान और सचेत है, मगर दूसरों पर हो रहे हमलों पर मौन रहकर, और उकसाने वालों पर कार्रवाई न करके अराजकता को बढ़ावा दे रही है.

जूता फेंकने की घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने घटना पर एक वीडियो बयान भी जारी किया है. अरविंद केजरीवाल का कहना है, जस्टिस गवई पर हुआ हमला, उसके बाद उनको दी गई धमकियां दलितों, और पूरी न्यायपालिका को दबाने और डराने की साजिश है.

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने X पर लिखा है, कुछ लोगों के हाथ में जाकर तो जूता भी अपमानित महसूस करता है... ऐसे असभ्य लोग दरअसल अपने दंभ और अहंकार के मारे होते हैं... हम इसलिए कहते हैं, पीडीए का मतलब है ‘पीड़ित, दुखी, अपमानित’.

यूट्यूबर अजीत भारती ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सोशल साइट एक्स पर लिखा है, 'यदि CJI पर किसी ने टिप्पणी की भी है, तो पंजाब सरकार का लोकस क्या है? क्या मैं पंजाब में हूं? क्या गवई या सुप्रीम कोर्ट पंजाब में है? या केवल ये कि पंजाब सरकार के पास पंजाब पुलिस है?'

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अजीत भारती की पोस्ट से मालूम होता है कि जिन लोगों पर पंजाब पुलिस ने एफआईआर की है, उनमें अजीत भारती का भी नाम शामिल है. अजीत भारती ने ये पोस्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए लिखा है. अजीत भारती का दावा है कि कानून की आड़ में ब्राह्मणों और सवर्णों के नरसंहार की खुली धमकियां दी जा रही हैं. 

AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अजीत भारती की पोस्ट कतो रीपोस्ट करते हुए लिखा है, CJI के खिलाफ गाली-गलौज करना, जूता फेंकना सब RSS BJP और मोदी की साजिश है... इसीलिए मुख्य न्यायाधीश को गाली देने वाला शख्स मोदी से मदद मांग रहा है.

पंजाब के दलित वोट पर नजर 

फिलहाल तो बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. अगले साल भी पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, और हर जगह कुछ न कुछ दलित वोट हैं. लेकिन, कोई भी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर उतना सक्रिय नहीं है, जितना आम आदमी पार्टी है. ये बात ध्यान खींचने वाली है. 

पंजाब में बड़ी दलित समुदाय की बड़ी आबादी है. लेकिन, सच ये भी है कि पंजाब में कभी दलित वोट बैंक नहीं खड़ा हो पाया. 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी चरणजीत सिंह चन्नी को दलित वोटों के लिए ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया था. कैप्टन अमरिंदर के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी कई दलित नेता अलग अलग मीटिंग करके सत्ता में हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे. 

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सवाल है कि अगर पंजाब में दलित वोट बैंक इतना ही महत्पूर्ण होता तो कांशीराम को उत्तर प्रदेश का रुख क्यों करना पड़ता? मुद्दे की बात ये है कि अरविंद केजरीवाल को बीजेपी को घेरने का कोई बहाना चाहिए, और वो उसी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं - पंजाब विधानसभा चुनाव तो 2027 में होगा.

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