संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. सत्र पहले से ही छोटा रखा गया है, सत्र 19 दिसंबर को खत्म हो जाएगा. शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार एटॉमिक एनर्जी बिल, हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल और कॉर्पोरेट लॉ (संशोधन) बिल, 2025 सहित 10 बिल पेश कर सकती है.
सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें में विपक्ष के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए थे. शीतकालीन सत्र में सरकार अपने विधेयकों पर फोकस रहेगी, जबकि विपक्ष कई मुद्दों को उठाएगा, ये सब पहले ही साफ हो गया है. बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का कहना था, किसी ने नहीं कहा कि संसद नहीं चलेगी या चलने नहीं देगी. कुछ नेताओं ने कहा कि वे SIR पर सदन में हंगामा कर सकते हैं. मैं सकारात्मक रूप से कह रहा हूं कि हम विपक्ष की बात सुनने के लिए तैयार हैं. संसद सबकी है.
शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया के जरिए कहा, मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए, और ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए.
SIR जैसे मसले पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष तो पहले से ही संसद सत्र शुरू होने का इंतजार कर रहा था, गांधी परिवार के खिलाफ नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली पुलिस की एफआईआर ने नया मुद्दा दे दिया है. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने तो यहां तक कह डाला है कि SIR पर बहस नहीं हुई तो संसद चलने ही नहीं देंगे - दिल्ली ब्लास्ट और राजधानी में बेकाबू हो चुके प्रदूषण जैसे मुद्दे भी विपक्षी दलों के हंगामे की फेहरिस्त में हैं ही.
संसद में सरकार और विपक्ष फिर आमने-सामने
लोकसभा शुरू होते ही विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. विपक्षी सदस्य तख्तियां लेकर वेल में पहुंच गए. स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों से सीट पर लौट जाने की अपील की. अपील बेअसर रही. फिर कुछ नसीहत और नाराजगी जताने के साथ ही स्पीकर बिरला ने थोड़ी देर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी.
समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने तो पहले ही बोल दिया था कि अगर संसद में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई तो सदन नहीं चलने दिया जाएगा. रामगोपाल यादव ने कहा, चुनाव आयोग सरकार से बड़ा नहीं है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा से सरकार नहीं भाग सकती.
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने SIR के मुद्दे को लोकतंत्र की सुरक्षा से जोड़ते हुए कहा, चुनाव आयोग राजनीतिक पक्षपात कर रहा है, ऐसे में वोटर लिस्ट और इलेक्शन सिक्योरिटी पर भी चर्चा होनी चाहिए.
केंद्र सरकार ने भी अपनी तरफ से साफ कर दिया है, एसआईआर का मुद्दा संसद में नहीं उठाया जा सकता. सरकार का कहना है, इलेक्टोरल रोल में बदलाव चुनाव आयोग का एक रूटीन प्रोसेस है, और इस पर संसद में बहस नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए सरकार की तरह से कहा गया है, चुनाव निकाय ने पहले ही कोर्ट के दिशानिर्देशों के हिसाब से काम किया है.
SIR के साथ साथ विपक्ष दिल्ली ब्लास्ट और दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर भी चर्चा कराना चाहता है. गौरव गोगोई की मांग है, दिल्ली में हुए धमाके पर चर्चा हो, जो देश के गृह मंत्रालय की नाकामियों का सबूत है... देश के हर कोने में एयर पॉल्यूशन बढ़ रहा है, जो काफी गंभीर मामला है और हम इस पर भी चर्चा चाहते हैं.
इस बीच, दैनिक भास्कर अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खबर है कि विपक्ष शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी ला सकता है.
CEC ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग की तैयारी
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी तो विपक्ष मॉनसून सत्र के दौरान ही कर रहा था. 18 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर इंडिया ब्लॉक के बैनर तले विपक्षी दलों की इस सिलसिले में बैठक भी हुई थी.
कांग्रेस के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, DMK और आरजेडी सहित 8 विपक्षी दलों की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हुई थी. तब टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी का कहना था, 'संसद के मौजूदा सत्र (मानसून सत्र) में 3 दिन बाकी हैं... महाभियोग लाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है... CEC के रवैये को देखते हुए हम अगले सत्र (शीतकालीन सत्र) में नोटिस देंगे.
नया सत्र ऐसे वक्त शुरू हुआ है, जब बिहार में एसआईआर के बाद चुनाव हो चुके हैं, और पश्चिम बंगाल सहित देश के 12 राज्यों में SIR का काम चल रहा है. वोट-चोरी के आरोप के साथ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अब तक 3 प्रेस कांफ्रेंस कर चुके हैं - 7 अगस्त, 18 सितंबर और 4 नवंबर.
प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को केंद्र की मोदी सरकार की B-टीम भी करार दे चुके हैं. बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और महागठबंधन सहयोगियों के साथ वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली थी - लेकिन हैरानी की बात ये रही कि चुनाव का असली माहौल शुरू होने के बाद वोट-चोरी का मुद्दा जैसे खो ही गया.
SIR का काम पूरा होने के बाद जब लगा कि वोट-चोरी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाएगा, तो तेजस्वी यादव सहित उनके महागठबंधन सहयोगियों ने नाम तक लेना मुनासिब नहीं समझा. अगर कभी कभार किसी के मुंह से सुनाई दिया, तो रस्मअदायगी भर ही - हां, राहुल गांधी जब तेजस्वी यादव के साथ चुनाव कैंपेन करने निकले तो वोट-चोरी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश जरूर की. शुरुआत भी राहुल गांधी ने ही की थी, लिहाजा वो यूं छोड़ भी कैसे देते. असर हो न, न हो, बाद की बात है.
SIR पर केंद्र ने साफ कर दिया रुख
एसआईआर मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के बाद ही किरेन रिजिजू ने साफ तौर पर बोल दिया था, मैं ये नहीं बताऊंगा कि चर्चा के लिए सरकार कौन से मुद्दे लाएगी... चुनाव आयोग अपना काम करता है, और मैं उनका स्पोक्सपर्सन नहीं हूं.
बीएसपी नेता मायावती ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार भी काफी हंगामा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, लेकिन हमारी पार्टी चाहती है कि संसद के दोनों सत्र सुव्यवस्थित शांतिपूर्ण तरीके से संचालित हों.
मायावती के बयान में SIR और बीएलओ की आत्महत्या और दिल्ली प्रदूषण का भी खासतौर पर जिक्र है. X पर मायावती ने लिखा है, 'संसद के दोनों सत्र सुव्यवस्थित व शान्तिपूर्ण तरीके से संचालित हों, ताकि देश व जनहित के जरूरी और अहम मुद्दों में भी खासकर राजधानी दिल्ली आदि में वायु प्रदूषण के कारण आ रही भारी परेशानी तथा वोटर लिस्ट के सघन रिवीजन अर्थात् एसआईआर को लेकर व्यावहारिक तौर पर हो रही परेशानियों एवं आपत्तियों व इस कार्य के मुख्य कर्ताधर्ता बीएलओ की दिक्कतों तथा उनके द्वारा की जा रही खुदकुशी आदि की दुखद घटनाओं पर सही से चर्चा हो सके और इनका उचित समाधान निकलने की दिशा में सार्थक प्रयास हो सके.'
प्रधानमंत्री मोदी की बातों से भी लगता नहीं कि संसद में SIR पर चर्चा होने की कोई गुंजाइश है. विपक्ष को सलाह देते हुए मोदी ने कहा है, चर्चा में मजूबत मुद्दे उठाएं... पराजय की निराशा से बाहर निकलें... दुर्भाग्य है कि कुछ दल ऐसे हैं जो पराजय नहीं पचा पाते. मुझे लग रहा था कि ये दल बिहार चुनाव के बाद अब बाहर निकल जाएंगे, लेकिन कल इन पार्टियों का बयान सुनकर लगा कि ये हार को पचा नहीं पाए हैं.
विपक्ष के साथ साथ मोदी ने एनडीए नेताओं को भी नसीहत दी है, शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनने दें... ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए... बहुत संतुलित तरीके के साथ देश की जनता का फर्ज निभाएं. आगे के लिए सोचें.
लेकिन ये तो आदर्श स्थिति हुई. दुनिया में अपवाद तो होते हैं, लेकिन आदर्श स्थिति कहां होती है भला?
मृगांक शेखर