शुभेंदु अधिकारी का राम मंदिर आंदोलन ममता बनर्जी को रोक पाएगा क्या?

पश्चिम बंगाल में रामनवमी शोभायात्रा की उपलब्धि ये रही कि ममता बनर्जी को राजभवन की तरफ से तारीफ सुनने को मिली है, लेकिन बीजेपी ने सरकार पर हमला बोला है - हां, शुभेंदु अधिकारी के सामने कुछ कर दिखाने का मौका जरूर है.

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पश्चिम बंगाल में रामनवमी ने शुभेंदु अधिकारी को उम्मीद दी है, तो ममता बनर्जी को थोड़ा सुकून. पश्चिम बंगाल में रामनवमी ने शुभेंदु अधिकारी को उम्मीद दी है, तो ममता बनर्जी को थोड़ा सुकून.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

रामनवमी का मौका पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनावों से पहले आमने सामने आने का बहाना दे गया. ये मौका बड़े राजनीतिक इवेंट के तौर पर आया था - और अपनी तरह से दोनो पक्षों ने भरपूर फायदा उठाने की कोशिश की. पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं. 

रामनवमी को लेकर पश्चिम बंगाल में काफी दिनों से जबरदस्त सियासत चल रही थी, जिसकी वजह से पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में तो तनाव का माहौल भी बन गया था. बीजेपी और टीएमसी दोनों दलों के नेता लगातार एक दूसरे को घेर भी रहे थे. 

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ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने रामनवमी को जहां छठ और दुर्गापूजा का एक्सटेंशन बनाने की कोशिश की, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने तो अपने इलाके में अयोध्या जैसा भव्य राम मंदिर बनाने का पहले से ही ऐलान कर डाला था, और रामनवमी के मौके पर शिलान्यास भी कर दिया है. 

रामनवमी की शोभायात्रा भी हाई कोर्ट के आदेश पर निकाली गई. हिंदू संगठन हर विधानसभा में शोभायात्रा निकालने पर अड़े हुए थे, जिन्हें बीजेपी का समर्थन हासिल था, लेकिन ममता बनर्जी और उनके साथी कह रहे थे कि ये दंगे कराना चाहते हैं. 

लेकिन, टीएमसी की तरफ से भी शोभायात्रा की तैयारी चल रही थी. टीएमसी के हिंदी प्रकोष्ठ के नेता का कहना था, हम जिस तरह दुर्गा पूजा और छठ पूजा मनाते हैं, उसी तरह रामनवमी भी मना रहे हैं.

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को हावड़ा में 6 अप्रैल को तय रूट पर ही जुलूस निकालने की, लेकिन सशर्त परमिशन दी थी. जुलूस में किसी भी व्यक्ति के हथियार लेकर आने पर पूरी तरह पाबंदी थी. तनावपूर्ण माहौल को देखते हुे पश्चिम बंगाल सरकार ने भी 9 अप्रैल तक पुलिस वालों की छुटि्टयां पहले ही रद्द कर चुकी हैं 

पुलिस के कड़े पहरे में ड्रोन और सीसीटीवी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के बीच जुलूस निकले - और खास बात ये रही कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी रामनवमी के दौरान शांति बनाये रखने के लिए सरकार की तारीफ की है - लेकिन, बीजेपी ने जुलूस पर हमले का आरोप लगाया है. 

नंदीग्राम को शुभेंदु बना रहे हैं अयोध्या का मैदान

2021 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल से शुभेंदु अधिकारी को भले ही कुछ खास हासिल न हुआ हो, लेकिन नंदीग्राम में तो उनकी तकरीबन हर ख्वाहिश पूरी हुई.

नंदीग्राम में चैलेंज करके शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर भी किया और शिकस्त भी दे डाली. हो सकता है, ममता बनर्जी को 50 हजार वोटों से न हरा पाने का मलाल रह गया हो. 

अब आने वाले चुनाव में शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम में अयोध्या का फील देने की कोशिश कर रहे हैं - और इसीलिए वहां भव्य राम मंदिर बनवाने जा रहे हैं. रामनवमी के मौके पर ही शुभेंदु अधिकारी ने मंदिर का शिलान्यास भी कर डाला है. 

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लेकिन, लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के लिए अयोध्या का अनुभव अच्छा नहीं रहा. अयोध्या सीट के साथ साथ बीजेपी यूपी की भी ज्यादातर सीटें हार गई और समाजवादी पार्टी से भी पिछड़ गई. ये बात अलग है कि मिल्कीपुर उपचुनाव जीत लेने के बाद बीजेपी नेतृत्व को कुछ सुकून जरूर मिला होगा. 

दावा किया जा रहा है कि नंदीग्राम में जो राम मंदिर बनेगा वो पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ा राम मंदिर होगा. 

असल में शुभेंदु अधिकारी की भी बीजेपी में हालत मुकुल रॉय जैसी होती जा रही है. बीजेपी बड़े अरमानों के साथ उनको लाई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में सत्ता तो दूर 100 सीटों भी नहीं जिता सके - और लोकसभा चुनाव में भी 2019 के मुकाबले नंबर कम हो गये - अब अधिकारी के लिए भी करो या मरो की स्थिति बन गई है. 

कहने को तो अधिकारी पूरे चार साल से मोर्चे पर डटे हुए हैं, लेकिन ममता बनर्जी की सेहत पर कोई खास फर्क नहीं महूसस किया जा रहा है. अब अगर 2026 में भी चूके तो बीजेपी घर बिठा देगी. 

शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक, नंदीग्राम का राम मंदिर डेढ़ एकड़ जमीन पर बनेगा, जिसे अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर ही डिजाइन किया जाएगा.

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ममता को राज्यपाल का सर्टिफिकेट, और बीजेपी का सवाल

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस का कहना था कि राज्य सरकार और राजनीतिक दलों ने ये सुनिश्चित करने के लिए हाथ मिलाया है कि रामनवमी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाये. राजभवन से जारी एक बयान में कहा गया, हाल के दिनों में, और कई सालों में पहली बार पश्चिम बंगाल में रामनवमी शांतिपूर्ण तरीके से मनाई गई... इसे सफल बनाने में सभी के सम्मिलित प्रयास सफल रहे.

लेकिन, पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने दावा किया है कि कोलकाता के पार्क सर्कस 7-पॉइंट इलाके में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला किया गया. बीजेपी नेता ने इसे पूर्व-नियोजित और टारगेटेड हिंसा बताया है.

सुकांता मजूमदार पूछ रहे हैं, जब हिंसा हुई तब पुलिस कहां थी? और फिर कहते हैं, वहीं पर थी और खामोशी से सब देख रही थी. लगे हाथ ये भी दावा किया कि ये कायरतापूर्ण निष्क्रियता साबित करती है कि रामनवमी के दौरान एकजुट बंगाली हिंदुओं की दहाड़ ने सिस्टम को हिलाकर रख दिया है.

मिथुन चक्रवर्ती का ममता बनर्जी को मैसेज
 
एक्टिंग की दुनिया से बीजेपी की राजनीति में स्थापित होने की कोशिश कर रहे मिथुन चक्रवर्ती ने बीजेपी नेताओं के साथ जय श्रीराम के नारे के बीच शोभायात्रा में हिस्सा लिया - मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघड़े में खड़ा करने की कोशिश की. 

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1. टीएमसी नेताओं के बीजेपी पर हिंसा फैलाने के आरोप पर मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, ये लोग बार-बार कहते हैं कि बीजेपी हिंसा फैलाती है… आज सड़कों पर 1 लाख से ज्यादा लोग थे, क्या आपने कहीं हिंसा देखी? तो मुझे बताइए कि बीजेपी कहां हिंसा फैलाती है? 

2. मिथुन चक्रवर्ती ने कहा है कि जब सभी सनातनी लोग साथ खड़े होंगे, तो पश्चिम बंगाल में राम राज्य जरूर स्थापित होगा.

3. टीएमसी नेता कुणाल घोष के ममता बनर्जी सरकार में हिन्दू-मुस्लिम एकता के दावे पर मिथुन चक्रवर्ती का कहना है, हिन्दू-मुसलमान एक साथ चल रहे हैं? क्या यह ममता बनर्जी का मॉडल है? आप सही में मजाक कर रहे हैं.

अब अगर ये देखें कि किसके हिस्से में क्या मिला तो राज्यपाल आनंद बोस के बयान में राजनीति भले हो, लेकिन सरकार की तारीफ तो ममता बनर्जी के हिस्से में ही आ रही है. 

ममता बनर्जी के हिस्से में ये है कि दुर्गा पूजा और छठ वाली सीरीज में रामनवमी पर भी बहती गंगा में हाथ धोने का मौका मिल गया है, लेकिन क्या इससे लोग ममता बनर्जी के अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार को भुला देंगे?

रही बात शुभेंदु अधिकारी की, तो देखना है नंदीग्राम का प्रस्तावित राम मंदिर उनको क्या दिलाता है, लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी को कुछ भी नहीं मिल सका.

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