'बेटे को वहां देखना सबसे बड़ा दर्द', 50 हजार के लिए 6 साल तक ठेकेदार के घर बंधक बना रहा मासूम

बैतूल में कर्ज न चुका पाने के चलते एक माता-पिता का मासूम बेटा ठेकेदार के पास छह साल तक बंधक रहा. जन साहस संस्था की पहल पर बैतूल प्रशासन और पुलिस ने हरदा जाकर बच्चे को मुक्त कराया. दस्तावेज की कमी के चलते गोविंद को फिलहाल छिंदवाड़ा बालगृह भेजा गया है. प्रशासन ने दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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6 सालों तक बंधक बना रहा बेटा  (Photo: Screengrab) 6 सालों तक बंधक बना रहा बेटा (Photo: Screengrab)

राजेश भाटिया

  • बैतूल ,
  • 20 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:08 AM IST

मध्य प्रदेश के बैतूल में माता-पिता के कर्ज़ न चुका पाने पर एक मासूम को छह साल तक बंधक बनाकर रखने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.

शाहपुर थाना क्षेत्र के गंजू उईके और सरिता उईके नामक दंपति ने 2019 में हरदा जिले के झिरीखेड़ा गांव में मजदूरी के दौरान ठेकेदार से 50 हज़ार रुपये कर्ज लिया था. ठेकेदार रूपेश शर्मा ने कर्ज न चुका पाने पर उनके सात साल के बेटे गोविंद को बंधक बना लिया और उससे मवेशी चराने और घर के काम करवाने लगा.

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माता-पिता तमाम कोशिशों के बाद भी बेटे को नहीं करा पाए आजाद

माता-पिता कई बार बेटे को छुड़ाने के लिए हरदा गए लेकिन ठेकेदार ने बच्चा लौटाने से इंकार कर दिया. हाल ही में जन साहस संस्था की सामाजिक कार्यकर्ता पल्लवी ठकराकर को ग्रामीणों से इस अमानवीय कृत्य की जानकारी मिली. उन्होंने कलेक्टर और श्रम विभाग को इसकी जानकारी दी. इसके बाद बैतूल प्रशासन ने टीम गठित की और पुलिस की मदद से गोविंद को मुक्त कराया.

ठेकेदार ने की बच्चे को छुपाने की कोशिश

बचाव टीम के पहुंचते ही ठेकेदार का भाई मुकेश शर्मा बच्चे को खेत में भेजकर छिपाने की कोशिश करने लगा, लेकिन टीम ने उसे सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया. कार्रवाई के दौरान विवाद भी हुआ, पर अंत में बच्चा आज़ाद हो गया. हरदा पुलिस ने ठेकेदार रूपेश शर्मा के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है.

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मुक्त होने के बाद भी अपने माता-पिता तक क्यों नहीं पहुंचा बच्चा

अब गोविंद को उसके माता-पिता को सौंपने में सबसे बड़ी बाधा उसकी पहचान से जुड़ी दस्तावेज की कमी है. गंजू और सरिता के पास बेटे का जन्म प्रमाण पत्र तक नहीं है. जिला प्रशासन ने दस्तावेज तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. फिलहाल गोविंद को छिंदवाड़ा बालगृह भेजा गया है.

मां सरिता ने कहा, 'बेटे को छोड़कर आना मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दर्द है. उम्मीद थी कि रेस्क्यू के बाद गोविंद मेरे पास लौट आएगा, लेकिन दस्तावेज़ों की कमी से उसे बालगृह भेज दिया गया.'
 

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