भारत की इस ट्रेन में मुफ्त में कर सकते हैं सफर, नहीं लगता टिकट

यह स्पेशल ट्रेन पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर चलती है, जहां लोग नांगल और भाखड़ के बीच इसमें सफर करते हैं. इस ट्रेन में सफर करने के लिए लोगों को टिकट बुक करने की चिंता नहीं करनी पड़ती.

Advertisement
भाखड़ा रेलवे ट्रेन भाखड़ा रेलवे ट्रेन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST
  • भाखड़ा और नांगल के बीच चलती है ट्रेन
  • 1948 में शुरू हुई थी यह विशेष ट्रेन सेवा

अगर आप भारत में बिना टिकट ट्रेन में सफर करते पकड़े गए तो आप पर जुर्माना लग सकता है, कई मामलों में जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है लेकिन देश में एक ट्रेन ऐसी भी है, जिसमें आप बिना एक रुपया खर्चे मुफ्त में सफर कर सकते हैं. 

यकीन करना मुश्किल है लेकिन भाखड़ा रेलवे ट्रेन के यात्री 73 सालों से मुफ्त में ट्रेन जर्नी का लुत्फ उठा रहे हैं.

Advertisement

यह स्पेशल ट्रेन पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमाओं पर चलती है, जहां लोग नांगल और भाखड़ के बीच इसमें सफर करते हैं. इस ट्रेन में सफर करने के लिए लोगों को टिकट बुक करने की चिंता नहीं करनी पड़ती.

रिपोर्ट के मुताबिक, भाखड़ा-नांगल रेल सेवा 1948 में शुरू हुई थी. भाखड़ा नांगल बांध के कंस्ट्रक्शन के दौरान एक स्पेशल रेलवे लाइन की जरूरत महसूस की गई क्योंकि उस समय नांगल और भाखड़ के बीच ट्रैवल करने का कोई रास्ता नहीं था. भारी मशीनरी के साथ-साथ लोगों के आने-जाने की सुविधा के लिए इस रूट पर रेलवे ट्रैक बनाने का फैसला लिया गया.

शुरुआत में ट्रेन स्टीम इंजनों से चलती थी जिसे बाद में 1953 में अमेरिका से मंगाए गए इंजनों से बदल दिया गया. आज भी यह यूनीक ट्रेन अपने 60 साल पुराने इंजनों के साथ चल रही है. इस ट्रेन की सीटें औपनिवेशिक काल की बनी हुई हैं. ट्रेन के हर कोच अपनी तरह का अनोखा है और इन्हें कराची में तैयार किया गया था.

Advertisement

यह ट्रेन शिवालिक पहाड़ियों को पार करते हुए पंजाब के नांगल बांध की यात्रा करने से पहले नेहला स्टेशन पहुंचती है.

इस ट्रेन में हर दिन लगभग 18 से 20 लीटर ईंधन खर्च होता है लेकिन फिर भी भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने इसमें ट्रैवलिंग को मुफ्त रखा है.

इस खास ट्रेन में पहले दस कोच थे लेकिन अब इसमें तीन कोच की ही सुविधा रह गई है.

हालांकि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने वित्तीय समस्याओं की वजह से मुफ्त सफर को खत्म करने के बारे में विचार किया था लेकिन फिर कमाई से ज्यादा इस ट्रेन की ऐतिहासिक विरासत को बनाए रखने को अहमियत दी गई.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement