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कोरोना वायरस से ठीक भी हो गए तो हमेशा के लिए रह जाएंगे ये असर!

aajtak.in
  • 15 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST
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कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन है और लोग अपने घरों में कैद हैं. कोरोना वायरस के फैलने के तरीकों और लक्षणों को लेकर कई रिसर्च किए जा रहे हैं ताकि इसकी दवा बनाने में ज्यादा से ज्यादा मदद मिल सके. पिछले कुछ दिनों में कोरोना पर आई नई रिपोर्ट्स परेशान करने वाली हैं. इन स्टडीज से कुछ ऐसी बातें निकल कर आई हैं जो कोरोना को लेकर और सतर्क करती हैं.

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हालांकि इन स्टडीज के परिणामों को सावधानी से समझने की जरूरत है क्योंकि कोरोना की टेस्टिंग के साथ-साथ इनका क्लिनिकल परीक्षण भी बदलता रहता है. आइए जानते हैं कि कोरोना पर की गईं नई स्टडीज से मुख्य रूप से कौन सी बातें निकलती हैं.

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संक्रमित शव से भी फैल सकता है कोरोना

वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमित शव से भी फैल सकता है. थाईलैंड में पहला ऐसा खतरनाक मामला आया था जहां कोरोना वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के शव से एक डॉक्टर में फैल गया. न्यूयॉर्क के जॉन जे कॉलेज ऑफ क्रिमिनल जस्टिस में पैथोलॉजी के प्रोफेसर एंजेलिक कोरथल्स का कहना है, 'न केवल डॉक्टर्स बल्कि शवगृह के तकनीशियनों और मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल हो रहे लोगों को भी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

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कई देशों में कोरोना से मरने वालों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं और वहां के शवगृहों में शवों को रखने की जगह भी कम पड़ जा रही है. ऐसे में शव से कोरोना का संक्रमण फैलने की बात चिंताजनक है.

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लिवर और दिल पर गहरा असर करता है कोरोना

Los Angeles Times ने चीन की एक स्टडी का हवाला देते हुए COVID-19 के मरीजों पर लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के बारे में बताया है. स्टडी के अनुसार, चीन में वैज्ञानिकों ने अस्पताल में भर्ती कोरोना के 34 मरीजों के खून की जांच की. यह लोग कोरोनो के संक्रमण से उबर रहे थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि इनमें से कई लोगों का शरीर, बीमारी से पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाया था.

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दो बार टेस्ट में निगेटिव आने के बाद इन मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. ये मरीज कोरोना से तो ठीक हो चुके थे लेकिन इनका लिवर खराब हो चुका था. चीन के अन्य मरीजों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक, 12 फीसदी ठीक हो चुके मरीजों में हार्ट फेल होने और सांस संबंधी दिक्कत देखी गई.

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टी-कोशिकाओं पर हमला कर सकता है कोरोना

शंघाई के फुडन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की स्टडी के अनुसार कोरोना वायरस के दीर्घकालिक परिणाम ज्यादा चिंतित करने वाले हैं. सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, जब शोधकर्ताओं ने COVID-19 और टी लिम्फोसाइट (टी-कोशिका) के बीच संबंध पता लगाने की कोशिश की तो पता चला कि यह वायरस उन कोशिकाओं को निष्क्रिय कर देता है, जो शरीर में रोगजनकों की पहचान करने और उन्हें खत्म करने में मदद करती हैं.

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तुलनात्मक अध्ययन में  शोधकर्ताओं ने पाया कि SARS में इन टी कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता नहीं थी. स्टडी के अनुसार COVID-19 टी लिम्फोसाइट को एचआईवी की तरह ही नुकसान पहुंचाता है.

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दिल की धड़कन को अनियमित कर सकती है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन

अमेरिका मे कुछ डॉक्टर्स निजी तौर पर भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का भंडार कर रहे हैं, लेकिन ब्राजील की एक स्टडी कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल इस दवा के प्रभाव पर संदेह करती है.

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स्टडी के अनुसार अस्पताल में भर्ती जिन 81 मरीजों ने  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की ज्यादा खुराक ली थी उनमें दिल की धड़कन अनियमित होने की शिकायत पाई गई.

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