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धरती पर जानलेवा वायरस को जन्म दे सकते हैं मंगल ग्रह के सैंपल!

aajtak.in
  • 10 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST
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कोरोना वायरस की तबाही ने दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाश रहे वैज्ञानिकों को सोच में डाल दिया है. अमेरिका की अंतरिक्ष शोध एजेंसी और वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि दूसरे ग्रहों से लाए गए नमूने पृथ्वी पर किसी नए वायरस का खतरा बढ़ा सकते हैं. एक्सपर्ट ने मंगल ग्रह से पृथ्वी पर लाए जाने वाले नमूनों को लेकर भी चेताया है.

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स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट हबार्ड ने कहा, 'मंगल ग्रह से लाए गए मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर किसी नए खतरनाक वायरस को दावत दे सकते हैं. इसलिए मंगल ग्रह से लौटते वक्त 'प्लानैटरी प्रोटेक्शन' को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है.'

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स्कॉट हबार्ड ने कहा, 'मेरी राय में मंगल ग्रह की चट्टानें जो लाखों साल पुरानी हैं उनमें जरूर एक सक्रिय जीवन सूत्र होगा जो पृथ्वी को संक्रमित कर सकता है. सैंपल आने के बाद इसे क्वारनटीन किया जाना चाहिए, जब तक ये साबित न हो जाए कि इसमें इबोला वायरस जैसा कोई खतरा नहीं है.'

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उन्होंने कहा कि दूसरे ग्रहों से धरती पर नमूने लेकर लौटने वाले एस्ट्रोनॉट्स को भी क्वारनटीन किया जाना चाहिए.  जैसा कि चांद पर भेजे गए पहले अपोलो मिशन के बाद किया गया था. अंतरिक्ष यात्रियों के अलावा अंतरिक्ष यानों के लिए भी प्रोटोकॉल होना चाहिए.

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मिशन पर गए रॉकेट्स और तमाम उपकरणों को कैमिकल क्लीनिंग प्रोसेस में रखा जाना चाहिए. साथ ही ये सभी चीजें हाई हीट पर रखी जानी चाहिए.

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बता दें कि पिछले वर्ष ही नासा के प्रशासनिक अधिकारी जिम ब्राइडनस्टाइन ने साल 2024 तक चांद और 2030 तक मंगल पर मिशन भेजने का जिक्र किया था. कई वैज्ञानिक लाल ग्रह के नमूनों को पृथ्वी के लिए खतरा नहीं मानते हैं, हालांकि इस तर्क को आज तक कोई वैज्ञानिक साबित नहीं कर पाया है.

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नासा के अलावा रूस और चीन भी मंगल ग्रह पर मिशन भेजने की योजना बना रहा है. चीन और अमेरिका 2030 से लेकर 2032 के बीच मंगल पर मिशन भेजने के बारे में सोच रहे हैं. कुछ समय पर ऐसी भी खबरें आई थीं कि नासा यूरोपियन एजेंसी के साथ मिलकर मंगल पर मिशन भेज सकता है.

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