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क्या हवा में भी जिंदा रह सकता है कोरोना वायरस? जानें जरूरी बातें

aajtak.in
  • 05 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST
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चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) अब पूरी दुनिया में काफी आसानी से फैलता नजर आ रहा है. भारत में भी कोरोना वायरस के 28 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.  ऐसे में कोरोना वायरस से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं. आइए जानते हैं कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी-

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सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, ये वायरस ज्यादातर एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है इसलिए लोगों को आपस में करीब 6 फुट (1.8 मीटर) तक की दूरी बनाए रखनी चाहिए. कोरोनावायरस COVID-19 की शुरुआत कफ और छींक से होती है. प्रभावित व्यक्ति खांसी या छींक के छींटे उसके आस-पास लोगों को भी कोरोना वायरस की चपेट में ले लेते हैं.

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जिस सतह या जगह पर वायरस है,  उसे छूने के बाद मुंह, नाक और आंखों पर हाथ रगड़ने से भी SARS-CoV-2 के संक्रमण की संभावना है. हालांकि सीडीसी अधिकारियों का मानना है कि इस तरह का ट्रांसमिशन होने की संभावना कम ही है.

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कुछ कोरोना वायरस कई दिनों तक सक्रिय रहते हैं लेकिन इस नए कोरोना वायरस के बारे में ये जानकारी नहीं है कि ये सतह पर कितने देर तक टिकता है. राहत की बात ये है कि सतह पर रहने वाले इन वायरस को इथेनॉल, हाइड्रोजन-पेरोक्साइड या ब्लीच से बने क्लीनर से मारा जा सकता है.

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आम कीटाणु ड्रॉपलेट्स की वजह से हवा में लंबे समय तक रह जाते हैं लेकिन ये वायरस हवा में ज्यादा देर तक नहीं टिकता है. उदाहरण के तौर पर, चेचक के कीटाणु हवा में कई घंटों तक रह सकते हैं लेकिन SARS-CoV-2 के मामले में ऐसा नहीं है.

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इस बात के भी प्रमाण कम हैं कि नया कोरोनावायरस मल से भी फैल सकता है. एक स्टडी के मुताबिक,  COVID-19 से पीड़ित व्यक्तियों के मल के सैंपल में माइक्रोस्कोप से जीव्य विषाणु के कण दिखे हैं.

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चीन के सीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, 'इसका मतलब है कि मल के नमूने हाथ, भोजन, पानी आदि को दूषित कर सकते हैं.' उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति संक्रमित मल अवशेष की दूषित जगह को छूने के बाद अपने हाथ नहीं धोता है और उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना ज्यादा है. Live Science भी इस बात की आशंका पहले जता चुका है.

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इस कोरोनावायरस से बचने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को बीमार व्यक्ति से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं. फेस मास्क लोगों को कोरोनावायरस से बचाने में प्रभावी नहीं हैं बल्कि जो लोग पहले से बीमार हैं उन्हें फेस मास्क लगाना ज्यादा जरूरी है.

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पहले से बीमार व्यक्ति फेसमास्क लगाकर दूसरे लोगों को अपने कफ और खांसी के ड्रॉपलेट्स से बचा सकता है. अमेरिका की वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विलियम शेफनर ने लाइव साइंस को बताया है कि बीमार होने की हालत में फेस मास्क लगाकर बाहर जाने से बेहतर है कि आप घर पर ही रहें.

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सीडीसी ने लोगों को अपनी आंख, नाक और मुंह को छूने से बचने को कहा है. बार-बार हाथ धोने, लभगग 20 सेकेंड तक हाथ धोने और 60 से 95 फीसदी तक के अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से वायरस को मारा जा सकता है.

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