कोरोना वायरस की दवा और वैक्सीन की खोज के बीच एक उम्मीद की किरण जगी है. कोरोना की वैक्सीन के लिए भारत में फेवीपिरवीर दवा का क्लिनिकल ट्रायल होगा. फेवीपिरवीर दवा चीन और जापान जैसे पूर्वी एशियाई देशों में इन्फ्लूएंजा के मरीजों को दी जाती है. CSIR के डायरेक्टर जनरल शेखर मांडे ने फेवीपिरवीर दवा के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है.
दुनिया भर के डॉक्टर कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन और दवा ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. इजराइल से लेकर इटली तक के वैज्ञानिक और शोधकर्ता हर दिन कोरोना के संभावित इलाज और लक्षण के बारे में नई-नई जानकारी दे रहे हैं. ऐसे में भारत में फेवीपिरवीर दवा के क्लिनिकल ट्रायल पर लोगों की नजर रहेगी.
शेखर मांडे ने फेवीपिरवीर को एक सुरक्षित दवा बताते हुए कहा कि इसका ट्रायल डेढ़ महीने में पूरा होने की संभावना है. उन्होंने कहा, 'अगर दवा का परीक्षण सफल रहा तो जल्द ही लोगों को किफायती दामों पर दवा मिल सकेगी.'
फेवीपिरवीर क्या है?
फेवीपिरवीर, एविगन ब्रांड के तहत बेचा जाता है. यह एक एंटीवायरल दवा है जिसका उपयोग जापान और चीन में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए किया जाता है. कई अन्य वायरल संक्रमणों के इलाज के लिए भी इस पर स्टडी की जा रही है.
यह दवा मुख्य रूप से जापान की टोयामा केमिकल (फ्यूजीफिल्म समूह) बनाती है. जापान ने पहली बार 2014 में इसे दवा के रूप में इस्तेमाल करने को मंजूरी दी थी. 2016 में फ्यूजीफिल्म ने इसका लाइसेंस चीन की एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनी को दिया और 2019 में यह एक जेनेरिक दवा बन गई.
फरवरी 2020 में चीन में कोरोना के इलाज के लिए फेवीपिरवीर पर स्टडी की जा रही थी. 80 लोगों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि अन्य दवा के मुकाबले यह दवा वायरल को तेजी से कम करती है.
इसके अलावा 91 फीसदी लोगों के सीटी स्कैन में भी सुधार देखा गया. हालांकि कुछ मरीजों में दवा के साइड इफेक्ट्स भी पाए गए.
चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी झांग शिनमिन ने भी कहा था कि फेवीपिरवीर दवा के वुहान और शेन्झेन में 340 मरीजों पर अच्छे परिणाम मिले हैं. झांग ने कहा था, 'ये दवा बहुत सुरक्षित है और मरीजों के उपचार में साफ तौर पर बहुत प्रभावी है.'
मार्च में इटली ने COVID-19 की प्रायोगिक दवा के रूप में फेवीपिरवीर दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी और कोरोना से बुरी तरह प्रभावित अपने तीन क्षेत्रों में इसका परीक्षण शुरू किया.
हालांकि इटली की फार्मास्यूटिकल कंपनी का कहना है कि इस दवा को लेकर
फिलहाल पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ये कितनी कारगर होगी.
बता दें कि 2016 में, जापान सरकार ने इबोला वायरस के प्रकोप का मुकाबला करने के लिए गिनी में आपातकालीन सहायता के रूप में फेवीपिरवीर दवा की आपूर्ति की थी.
जापान में Covid-19 के मरीजों को पूरी तरह से फेवीपिरवीर दवा पर रखने के
लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है क्योंकि ये मुख्यतौर पर फ्लू के
लिए बनाई गई है.