कोरोना वायरस को मिटाने के लिए दुनियाभर में कई दवाओं पर ट्रायल किया जा रहा है. दवाओं पर हो रही इन टेस्टिंग पर ही अब दुनिया की उम्मीदें कायम हैं. इसी बीच भारत के सीएसआईर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड रिसर्च) को 2 दवाओं के ट्रायल की मंजूरी मिल गई है. इसके अलावा आयुर्वेद की 4 औषधियां भी ट्रायल मोड के लिए भेजी जा रही हैं.
भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सीएसआईआर को कोरोना की दो दवाओं के ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है. इनमें पहली दवा फेविपीरावीर है और दूसरी दवा का नाम फाइटो-फार्मास्यूटिकल है. फेविपीरावीर को फ्लू के इलाज के लिए जापान और चीन जैसे देशों में इस्तेमाल किया जाता है.
ये दवाएं कोरोना के खिलाफ कारगर हो सकती है. इसके अलावा फाइटो-फार्मास्यूटिकल नाम की दूसरी दवा पौधों से निकाली गई है. कोरोना के खिलाफ जंग में ये दोनों दवाएं अब उम्मीद की नई किरण बन गई हैं. अगले डेढ़ महीने में फेविपीराविर का ट्रायल पूरा हो सकता है.
इसके अलावा सीएसआईआर और आयुष मंत्रालय मिलकर कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों पर काम कर रहे हैं जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मरीजों की इम्यूनिटी बढ़ाकर उन्हें आराम दे सकते हैं. ये चार औषधियां हैं-
अश्वगंधा, यष्तिमधु यानी मुलैठी, गुडुची पीपली यानी गिलोय और आयुष-64.
इन चारों का ट्रायल स्वास्थ्यकर्मियों और उन लोगों पर किया जाएगा जो हाई रिस्क जोन में हैं. इस पूरी स्टडी में आईसीएमआर का भी टेक्निकल सपोर्ट होगा. पूरे देश के अलग अलग संस्थान इन चार औषधियों के प्रयोग और इनके नतीजों पर नजर रखेंगे. इसके ट्रायल पूरे होने में दो से चार महीने लग सकते हैं.
सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल ने शुक्रवार को कहा, 'आयुष, सीएसआईआर और आईसीएमआर तीनों एजेंसियां मिलकर यह क्लीनिकल ट्रायल करने जा रहे हैं. देश की परंपरा के लिए आयुर्वेद बेहद गर्व की चीज है. आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के दम पर कोरोना के खिलाफ जल्द से जल्द हल ढूंढा जाना चाहिए.'
फिलहाल, कोरोना मरीजों में अलग-अलग लक्षण और उनकी गंभीरता के हिसाब से अलग-अलग बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का ही प्रयोग हो रहा है. ऐसे में आयुर्वेदिक औषधियों पर होने वाला ट्रायल भी एक नई दिशा दिखा सकता है.
दुनिया भर के डॉक्टर कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन
और दवा ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. इजराइल से लेकर इटली तक के वैज्ञानिक
और शोधकर्ता हर दिन कोरोना के संभावित इलाज और लक्षण के बारे में नई-नई
जानकारी दे रहे हैं. ऐसे में भारत में फेवीपिरवीर दवा के क्लिनिकल ट्रायल
पर लोगों की नजर रहेगी.
शेखर मांडे ने फेवीपिरवीर को एक सुरक्षित दवा बताते
हुए कहा कि इसका ट्रायल डेढ़ महीने में पूरा होने की संभावना है. उन्होंने
कहा, 'अगर दवा का परीक्षण सफल रहा तो जल्द ही लोगों को किफायती दामों पर
दवा मिल सकेगी.'
फेवीपिरवीर क्या है?
फेवीपिरवीर, एविगन
ब्रांड के तहत बेचा जाता है. यह एक एंटीवायरल दवा है जिसका उपयोग जापान और
चीन में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए किया जाता है. कई अन्य वायरल
संक्रमणों के इलाज के लिए भी इस पर स्टडी की जा रही है.