कोरोना वायरस के फैलने को लेकर अभी तक स्पष्ट रूप से कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है लेकिन ज्यादातर रिपोर्ट्स का दावा है कि ये महामारी चमगादड़ों से फैली है. कहा जा रहा है कि सबसे पहले यह वायरस चमगादड़ में आया, चमगादड़ से यह दूसरे जानवरों में और फिर बाद में इंसानों में फैल गया. हालांकि यह कोई पहली बीमारी नहीं जो चमगादड़ों से फैली हो. इससे पहले भी सार्स, मार्स और इबोला जैसी भयंकर बीमारियां चमगादड़ों से फैल चुकी हैं. आखिर इतनी सारी गंभीर बीमारियां चमगादड़ों से ही क्यों फैलती हैं?
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
हाल में हुई एक स्टडी के अनुसार चमगादड़ और कोरोना वायरस कई साल से एक साथ ही विकसित हो रहे हैं. हालांकि अलग-अलग चमगादड़ प्रजातियों से एक-दूसरे में यह वायरस फैलना दुर्लभ है. चमगादड़ों में कई तरह के हाई प्रोफाइल रोगजनक पाए जाते हैं जैसे कि इबोला और निपाह वायरस. वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ों में ढेर सारे वायरस पाए जाते हैं जो अन्य जानवरों की तुलना में लोगों को ज्यादा संक्रमित करते हैं.
चमगादड़ों में क्यों पाया जाते हैं इतने वायरस ?
शिकागो के फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में जानवरों के निरीक्षक ब्रूस पैटरसन का कहना है कि चमगादड़ों की कुछ अनोखी विशेषताओं की वजह से उनमें इतने सारे वायरस पाए जाते हैं. ये स्तनधारी जानवर बहुत ज्यादा सामाजिक होते हैं और अपना अधिकांश समय एक साथ ही बिताते हैं. चमगादड़ों की सबसे बड़ी गुफा टेक्सास में है, जहां गर्मी के दिनों में एक करोड़ से भी ज्यादा चमगादड़ एक साथ आते हैं. इस गुफा में कई सारे चमगादड़ पैदा होते हैं.
पैटरसन का कहना है कि चमगादड़ों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ज्यादा मजबूत होती है यही वजह है कि इतने सारे वायरस साथ लेकर चलने के बावजूद चमगादड़ कभी खुद बीमार नहीं पड़ते जबकि अन्य स्तनधारी जीव अक्सर रैबीज जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं. चमगादड़ों में प्राकृतिक सुरक्षा शक्तियां पाई जाती हैं और यह तभी कमजोर पड़ती हैं जब ठंड के दिनों में चमगादड़ अपनी ऊर्जा बचाने के लिए आराम करते हैं. ज्यादातर छोटे चमगादड़ इसी दौरान फंगस के शिकार हो जाते हैं.
चमगादड़ एकमात्र ऐसा स्तनधारी जीव है जो अपनी मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से उड़ने की क्षमता रखता है. चलने, दौड़ने या पानी में तैरने वाले जानवरों की तुलना में उड़ने वालों जानवरों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. चमगादड़ दिन भर उड़ने के बाद रात भर जागते भी हैं. चमगादड़ों में इतनी ऊर्जा होने की वजह से ही उनका मेटाबॉलिक रेट बहुत ज्यादा होता है.
चमगादड़ों में क्यों नहीं फैलता वायरस?
जब जानवर भोजन पचाने के बाद उसे ऊर्जा में बदलते हैं, तो इस प्रक्रिया से बाई प्रोडक्ट उत्पन्न होता है जो डीएनए के लिए हानिकारक होता है. पैटरसन ने बताया कि जानवरों और इंसानों में इस डीएनए क्षति को रोकने के अपने-अपने तरीके होते हैं. चमगादड़ों का मेटाबॉलिज्म अच्छा होने की वजह से वह अपने डीएनए क्षति को रोकने में भी विशेष रूप से कुशल होते हैं.
जब वायरस किसी जानवर को संक्रमित करते हैं, तो वे उसकी कोशिकाओं पर हमला करते हैं जिससे जानवरों में नई कोशिकाओं की बजाए वायरस ज्यादा बनते हैं. लेकिन यह वायरस अन्य जीवों की तुलना में चमगादड़ के आनुवंशिक तंत्र को निशाना बनाने में असफल होते हैं क्योंकि चमगादड़ अपने डीएनए की सुरक्षा प्रभावी ढंग से कर लेते हैं.
पैटरसन का कहना है, 'अपनी इन्हीं क्षमताओं की वजह से चमगादड़ लंबे समय तक जीवित रहते हैं.' भूरे चमगादड़ 30 या उससे भी अधिक साल तक जीवित रह सकते हैं जबकि समान आकार के अन्य स्तनधारी जीवों की उम्र दो से तीन साल तक की होती है.
चमगादड़ उड़ते समय खूब कसरत करते हैं जिसकी वजह से उनके शरीर को पर्याप्त गर्मी मिलती है. यही वजह है कि पंखों पर वायरस होते हुए भी वह खुद इससे संक्रमित नहीं होते हैं और शरीर की गर्मी से उन्हें इन वायरस से लड़ने में मदद मिलती है.
चमगादड़ों के शरीर की अजीबोगरीब बनावट की वजह से वो वायरस को आसानी से लंबे समय तक संभाले रहते हैं और ये वायरस दूसरे जीवों में आसानी से फैल जाते हैं.