पैरेंट्स की ये गलतियां भी बच्चों की स्मार्टफोन की लत के लिए जिम्मेदार, तुरंत करें सुधार

स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण अब बड़ों समेत बच्चों को भी इसकी लत लग चुकी है. स्मार्टफोन की लत से बच्चों की मानसिक स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वह अपने बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखें और उनकी इस लत को समय रहते छुड़वाएं. आइए जानते हैं बच्चों में स्मार्टफोन की लत छुड़वाने के कुछ क्रिएटिव तरीके.

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Smartphone addiction in kids (Photo Credit: Getty Images) Smartphone addiction in kids (Photo Credit: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:07 AM IST
  • मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है समार्टफोन की लत
  • बच्चों में बढ़ रही है स्मार्टफोन की लत

आजकल के समय में जब सबकुछ ऑनलाइन हो गया है, पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों को फोन की स्क्रीन से दूर रखना किसी चैलेंज से कम नहीं है. स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स आजकल के समय में बच्चों के लिए काफी जरूरी टूल्स बन गए हैं. ऑनलाइन वर्ल्ड के काफी फायदे भी हैं. इससे बच्चों को सेकेंड्स में ही अपने किसी भी सवाल का जवाब आसानी से मिल सकता है लेकिन स्मार्टफोन आदि टूल्स का इस्तेमाल करने से बच्चों की सेहत पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है. इन टूल्स का इस्तेमाल करने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है.

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स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभाव 

एक स्टडी के अनुसार, युवा रोजाना लगभग 9 घंटे स्क्रीन के सामने रहते हैं. वहीं, 8 से 12 साल तक के बच्चे रोजाना लगभग 6 घंटे स्क्रीन के सामने रहते हैं. स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल के कई खतरनाक साइड इफेक्ट होते हैं. जैसे-

- व्यवहार संबंधी दिक्कतें
- लत
- डिप्रेशन
- नींद आने में दिक्कत
- मोटापा
- सामाजिक विकास में देरी
- ध्यान लगाने और सुनने में दिक्कत
- नर्वस सिस्टम से जुड़ी दिक्कतें

पेरेंट्स के लिए बच्चों को फोन से दूर रखना काफी मुश्किल काम है. बहुत से बच्चे तो ऐसे हैं जो खाते समय भी स्मार्टफोन में कुछ ना कुछ देखते रहते हैं. इससे आगे चलकर उनकी यही आदत पड़ जाती है. लेकिन हम आपको कुछ ऐसे क्रिएटिव तरीके बताने जा रहे हैं जिससे आप अपने बच्चों की स्मार्टफोन की लत को छुड़वा सकते हैं. 

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बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने के क्रिएटिव तरीके

ब्रेक टाइम- बच्चों में एनर्जी का भंडार होता है. ऐसे में जरूरी है कि इस एनर्जी का सही इस्तेमाल किया जाए. इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा खाली बैठने के बजाय कोई ना कोई काम करता रहे. बच्चों का ध्यान किसी ना किसी काम में लगाकर रखें और हर 30 मिनट में उन्हें स्ट्रेचिंग करने के लिए कहें. अगर आपका बच्चा खाली बैठा रहेगा तो वह बोर होने पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल के लिए ज़िद करने लगेगा. ऐसे में जरूरी है कि आप उसे किसी ना किसी एक्टिविटी में बिजी रखें. 

दूसरी चीजों को दें प्राथमिकता- सुनिश्चित करें कि स्मार्टफोन देखने से पहले आपका बच्चा अपना होमवर्क, पढ़ाई और बाकी सभी जरूरी काम पूरा कर लें. इससे आगे चलकर उसे अपनी प्राथमिकताओं के बारे में पता रहेगा. 

ध्यान हटाने या लालच के तौर पर ना दें स्मार्टफोन- स्मार्टफोन के जरिए बच्चे दुनिया और अपने आसपास चलने वाली कई चीजों के बारे में जान सकते हैं. ऐसे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल बिल्कुल ना करना भी सही नहीं है. लेकिन जरूरी है कि आप बेहद कम समय के लिए बच्चों को स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने दें. लेकिन बच्चे से कोई काम करवाने या किसी चीज से ध्यान हटाने के लिए स्मार्टफोन का लालच देना बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे बच्चे के दिमाग पर इसका काफी बुरा असर पड़ सकता है. आजकल पैरेंट्स बच्चों को बहुत कम समय दे पा रहे हैं. इससे भी बच्चों को स्मार्टफोन देखने की लत लग जा रही है.

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बच्चों को एक्टिविटी-बेस्ट लर्निंग में रखें बिजी- अक्सर बच्चे मजे और मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल करते हैं. बच्चों को चैलेंज वाली चीजें काफी पसंद आती है. मोबाइल गेम्स काफी एट्रैक्टिव होते हैं क्योंकि उसके हर लेवल में एक नया चैलेंज होता है. ऐसे में जरूरी है कि उन्हें ऐसी चीजों में व्यस्त रखें जिसमें उन्हें मजा भी आए और फन के साथ -साथ नॉलेज भी मिले. 

पैरेंट्स की गलतियां भी जिम्मेदार

- अगर बच्चा आपके आसपास है तो आप भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल कम से कम करें.

- खाना खाते समय फोन का इस्तेमाल  ना करें.

- सोने से पहले ना देखें फोन और टीवी .

-  बेवजह की डिमांड को पूरा करने के लिए बच्चों को फोन ना दें.

- जब आपका बच्चा स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा हो तो कुछ बातों का खास ख्याल रखें. जैसे उसके बैठने का तरीका, फोन की ब्राइटनेस, आंखों से फोन की दूरी आदि. 

- अक्सर पेरेंट्स बच्चों के रोने, उदास होने या बोर होने पर उनका ध्यान भटकाने या उनका मूड ठीक करने के लिए उन्हें फोन दे देते हैं. लेकिन आपको इस बात का एहसास होना चाहिए कि फोन के अलावा भी आप अपने बच्चे को शांत करने में मदद कर सकते हैं. पेरेंट्स की यह ड्यूटी है कि वह अपने बच्चों की बोरियत को दूर करने या उन्हें शांत करने के लिए फोन की बजाय बाकी एक्टिविटीज में उनका ध्यान लगाएं. 

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