आयुष और एलोपैथी को लेकर फिर से विवाद, इस बार वजह उत्तराखंड सरकार

आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवा लिखने की अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) उत्तराखंड ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. संगठन ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

दिलीप सिंह राठौड़

  • देहरादून,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST
  • आयुष डॉक्टरों के एलोपैथिक दवा लिखने की घोषणा से भड़का IMA
  • चिकित्सालयों में आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगेः आयुष मंत्री
  • मरीज पर दो तरह की इलाज का एक साथ प्रयोग नहीं कर सकतेः IMA

इलाज की देशी पद्धति और एलोपैथी को लेकर विवादों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के बीच विवाद का मामला अभी थोड़ा ठंडा ही पड़ा था कि अब आईएमए और उत्तराखंड सरकार के बीच जंग शुरू होती दिखाई दे रही है.

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सोमवार को उत्तराखंड सरकार के आयुष मंत्री हरक सिंह ने घोषणा थी कि सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में इमरजेंसी के समय आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगे. आयुष मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए आदेशों की जानकारी दी.

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लेकिन राज्य के आयुष मंत्री की इस घोषणा के बाद अब एलोपैथिक डॉक्टरों में रोष पनपने लगा है.

आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवा लिखने के राज्य सरकार के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) उत्तराखंड ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी. एसोसिएशन ने कहा कि इस फैसले से मरीजों को भी नुकसान होगा.

क्या है आइएमए का तर्क
आईएमए उत्तराखंड के सचिव डॉक्टर अजय खन्ना ने कहा कि पहले भी इस तरह की बात चली थी और इसको लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भी भेजा था. सुप्रीम कोर्ट, नेशनल मेडिकल कमीशन समेत कई अन्य स्तरों से यह स्पष्ट आदेश है कि किसी भी मरीज पर दो तरह की इलाज एक साथ प्रयोग नहीं कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में ये भी साफ है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक प्रैक्टिस नहीं कर सकता.

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आईएमए की तरफ से साफ कर दिया गया है कि हम शासनादेश होने का इंतजार कर रहे हैं, और इस 'मिक्सोपैथी' से मरीजों को भी नुकसान होगा. जिन आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने कभी एलोपैथ की पढ़ाई नहीं की, वो दवा कैसे लिख सकते हैं और अगर सरकार ये शासनादेश जारी करेगी तो इसको कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

आईएमए ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सिर्फ ये दिखाने के लिए कि हमने डॉक्टर उपलब्ध करा दिए हैं. इस तरह के फैसले ले रही है. आयुर्वेदिक डॉक्टर को क्या पता कि एलोपैथ दवा कैसे दी जानी है. इमरजेंसी में एलोपैथ दवा देंगे तो मरीजों की जान पर बन आएगी. सरकार को मरीजों की जान से नहीं खेलना चाहिए.

 

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