यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद आजम पर 100 से अधिक मुकदमे, अदालत की कार्रवाई हुई तेज

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खान और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच चूहे-बिल्ली का खेल जारी है. प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद आजम खान पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतर में जमानत मंजूर हो चुकी है.

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सपा सांसद आजम खान सपा सांसद आजम खान

आमिर खान

  • रामपुर,
  • 08 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:40 AM IST
  • सपा सांसद आजम खान के खिलाफ कई मामले दर्ज
  • सरकारी वकील की गुहार को कोर्ट ने किया मंजूर

समाजवादी पार्टी (SP) के वरिष्ठ नेता और रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) और उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के बीच चूहे-बिल्ली का खेल जारी है. प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद आजम खान पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतर में जमानत मंजूर हो चुकी है. आजम पिछले 20 महीने से सीतापुर जेल में बंद हैं, लेकिन एक के बाद एक मुकदमों में हो रही जमानत के चलते आजम खान की रिहाई किसी भी समय होने की संभावना बन रही थी.

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इसके बाद अब आजम खान के खिलाफ शिकंजा और कसने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. अदालत की कार्रवाई में तेजी लाने के लिए सीआरपीसी की धारा-207 के अंतर्गत आजम खान को अदालत से आवश्यक कागजात विशेष वाहक द्वारा भेजे जाने के लिए सरकारी वकील ने अदालत से गुहार लगाई जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया.

सीआरपीसी की धारा-207 क्या होती है यह समझना जरूरी है. धारा-207 के अंतर्गत किसी भी अभियुक्त पर आरोप तय करने से पहले अदालत द्वारा अभियुक्त को कुछ आवश्यक कागजात उपलब्ध कराए जाना जरूरी होते हैं जोकि आजम खान के सीतापुर जेल में रहते वसूल कराए जाने में देरी हो रही थी. इसी देरी से बचने के लिए सरकारी वकील ने अदालत से गुहार लगाई. जिसके बाद विशेष वाहक द्वारा यह कागजात आजम खान को सीतापुर जेल में वसूल कराए जाने के आदेश मिल गए हैं. इसके बाद साफ हो गया कि सरकार आजम खान की रिहाई रोकने के लिए अदालत में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती.

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सरकारी वकील अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया, ''आजम खान के खिलाफ लगभग एक सौ से अधिक मुकदमे रजिस्टर्ड हुए हैं और दो-चार मामलों को छोड़कर उनके खिलाफ सभी मामलों में आरोप पत्र न्यायालय में आ चुके हैं. उनसे संबंधित सभी मामले स्पेशल जज एमपी-एमएलए कोर्ट में सुने जा रहे हैं. हमारी जानकारी के अनुसार बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिसमें चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है और चार्ज फ्रेम किए जाने से पहले उन्हें 207-सीआरपीसी के अंतर्गत डॉक्यूमेंट दिए जाते हैं.'' 

उन्होंने कहा कि हम उनकी जमानत तक ही अधिवक्ता रहे और हमें कोई ऐसे इंस्ट्रक्शन नहीं है कि आगे हम उसमें कोई कार्रवाई करें. वह यह सब मुकदमों को लंबा खींचने के लिए और कार्रवाई को टालने के लिए हो रहा था, इसलिए हमने अदालत से यह अपील की कि सभी मामलों में धारा-207 कंप्लेंट्स के डॉक्यूमेंट्स दिए जाएं.

 

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