बंगाल में अलीपुरद्वार तो बिहार में काराकाट... दो दिन में पीएम मोदी की दो रैलियों का खास है महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो दिनों में दो चुनावी राज्यों में दो रैलियां की हैं. 29 मई को पीएम की जहां पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में रैली हुई थी, वहीं 30 मई को बिहार के विक्रमगंज में. पीएम की रैली के लिए चुने गए इन दो इलाकों का अलग महत्व क्यों है?

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पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में रैली को संबोधित करते पीएम मोदी (फोटोः PTI) पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में रैली को संबोधित करते पीएम मोदी (फोटोः PTI)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो दिन में दो चुनावी राज्यों के दौरे किए. पीएम मोदी 29 मई को पहले पश्चिम बंगाल गए और अलीपुरद्वार में रैली को संबोधित किया. अलीपुरद्वार से पीएम मोदी सीधे बिहार की राजधानी पटना पहुंचे, जहां अक्टूबर-नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं. पीएम ने पटना में रोड शो किया, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश कार्यालय में पार्टी  के सांसदों-विधायकों और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर बिहार चुनाव के लिए मंत्र दिया.

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पटना में ही रात्रि विश्राम के बाद पीएम मोदी ने रोहतास के विक्रमगंज में रैली की, बिहार को 50 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं की सौगात दी. पीएम मोदी के दो चुनावी राज्यों के दौरे में चर्चा का विषय रैली के लिए चुने गए इलाके भी बने. अब बात इसे लेकर हो रही है कि बीजेपी और उसकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नजरिये से पीएम की रैली के लिए दो दिन में चुने गए दो इलाकों का अलग महत्व क्यों है? इसकी बात करने से पहले इन इलाकों की चर्चा भी जरूरी है, जहां पीएम मोदी की रैलियां हुईं.  

 लोकसभा चुनाव में जहां मिली थी हार, वहां हुई पीएम की रैली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पश्चिम बंगाल और बिहार में रैली उन इलाकों में ही हुई है, जहां पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवारों को शिकस्त का सामना करना पड़ा था. पीएम की पहली रैली जहां हुई, वहां तब की सरकार के केंद्रीय मंत्री हारे थे. जहां दूसरी रैली हुई, वहां मोदी सरकार के पूर्व मंत्री को शिकस्त मिली थी.

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पीएम की पहली रैली पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में हुई. अलीपुरद्वार सीट से बीजेपी ने मोदी सरकार 2.0 में मंत्री रहे कद्दावर आदिवासी नेता जॉन बारला को टिकट दिया था. जॉन बारला चुनाव हार गए थे. जॉन बारला ने चुनावी शिकस्त के कुछ महीने बाद ही बीजेपी छोड़ पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया था.

बिहार की बात करें तो राजधानी पटना में रोड शो हुआ, लेकिन जनसभा के लिए शाहाबाद इलाके के रोहतास जिले में स्थित विक्रमगंज को चुना गया. विक्रमगंज, काराकाट लोकसभा सीट के तहत आता है. इस सीट से 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से बीजेपी के गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के उपेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में उतरे थे. उपेंद्र कुशवाहा न सिर्फ चुनाव हार गए, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह से भी पीछे तीसरे नंबर पर रहे.

जिस शाहाबाद इलाके में है विक्रमगंज, वहां साफ हुआ था सुपड़ा

काराकाट लोकसभा सीट शाहाबाद के इलाके में आती है. शाहाबाद इलाके में रोहतास के साथ ही कैमूर, बक्सर और भोजपुर जिले आते हैं. इन जिलों में चार लोकसभा सीटें हैं और पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी अगुवाई वाले गठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया था. शाहाबाद की चार में से चार सीटें विपक्षी महागठबंधन ने जीती थीं. बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव की बात करें तो 2020 में शाहाबाद की 22 विधानसभा सीटों में से एनडीए महज दो सीटें ही जीत सका था. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले महागठबंधन को 20 सीटों पर जीत मिली थी.

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शाहाबाद सीट पर एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा की हार के बाद ओबीसी मतदाताओं, खासकर कुशवाहा वर्ग में बीजेपी को लेकर नाराजगी की चर्चा भी रही. काराकाट सीट से दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह बीजेपी बिहार की कार्यकारिणी के सदस्य थे. बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट भी दिया था, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर टिकट लौटा दिया. पवन सिंह बाद में काराकाट से बतौर निर्दलीय उतरे.

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उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पवन सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के पीछे ओबीसी और कुशवाहा मतदाताओं का एक वर्ग बीजेपी की भूमिका पर सवाल उठाता आया है. बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को पहले अपने कोटे की सीट से राज्यसभा भेजा और फिर केंद्र सरकार में मंत्री बनाया, तो इसे कुशवाहा वोटर्स की नाराजगी कम करने की कोशिश से जोड़कर ही देखा गया. अब उसी काराकाट की धरती पर पीएम मोदी की रैली हुई है.     

पीएम की रैली के पीछे पिछली बार हारी बाजी पलटने की कवायद?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अभी करीब एक साल का समय बाकी है. बिहार चुनाव के लिए भी अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इतना पहले अलीपुरद्वार और विक्रमगंज में पीएम मोदी की रैली के पीछे क्या रणनीति है? दरअसल, पीएम मोदी की दोनों ही रैलियां ऐसे इलाकों में हुई हैं, जहां बीजेपी कभी अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है और 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे मात मिली थी. बिहार के शाहाबाद इलाके में बीजेपी पहले मजबूत् रही है, लेकिन दो चुनाव से पार्टी और गठबंधन को यहां शिकस्त का सामना करना पड़ है.

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इसी तरह अलीपुरद्वार जिस उत्तर बंगाल में आता है, वह पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रवेशद्वार रहा है. 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने अलीपुरद्वार सीट जीती थी और 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी, तो इसके पीछे भी उत्तर बंगाल की सीटों पर प्रदर्शन था. बीजेपी बिहार से लेकर बंगाल तक, कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने और नेताओं-कार्यकर्ताओं को एकजुट कर पिछली बार की हारी बाजी आगामी चुनाव में पलटने की कवायद में जुटी नजर आ रही है.

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