5 फीट लंबाई, चांदी से बने दंड पर सोने की परत, शीर्ष पर विराजमान 'नंदी'... जानिए सेंगोल के बारे में 10 फैक्ट

अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई संसद की नई इमारत का उद्घाटन करेंगे. इस दौरान तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को 'सेंगोल' सौपेंगे. इसे संसद में परमानेंट स्थापित किया जाएगा. नई संसद में इस सेंगोल को स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा. इस सेंगोल का इतिहास जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा है.

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1947 में आजादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था सेंगोल 1947 में आजादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था सेंगोल

प्रभंजन भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2023,
  • अपडेटेड 10:40 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बताया कि नए संसद भवन में 'सेंगोल' यानी राजदंड को रखा जाएगा. यह वही सेंगोल है, जिसे आजादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था. इस सेंगोल का भारत में सबसे पहले चोल राजाओं द्वारा सत्ता के हस्तांतरण में इस्तेमाल किया जाता था. अब इस सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किया जाएगा. तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को 'सेंगोल' सौपेंगे. आइए जानते हैं सेंगोल के बारे में 10 फैक्ट...

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1- सेंगोल क्या है?

- सेंगोल दंडनुमा आकृति का राजदंड होता है. यह राजा की राज-शक्ति का प्रतीक चिन्ह है. सेंगोल को सही मायनों में भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण का एक उत्तम उदाहरण माना जाता है. भारत में सबसे पहले चोल शासन के वक्त एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता के हस्तांतरण के वक्त इसका इस्तेमाल होता था. सेंगोल नए शासक को न्यायपू्र्ण शासन करने की याद दिलाता है. 

2- सेंगोल की लंबाई कितनी है?

- जवाहरलाल नेहरू को जो सेंगोल सौंपा गया था, उसकी लंबाई 5 फीट है. वहीं सेंगोल अब पीएम मोदी को सौंपा जाएगा. 

3- किस मेटल से बना है सेंगोल?

- सेंगोल चांदी का बनाया गया था. इस पर सोने की परत चढ़ाई गई थी. उस वक्त अलग अलग कारीगरों ने इस पर काम किया था. 

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4- किसने इसे बनवाया और किसने इसे बनाया था ?

- आधीनम द्वारा दिए गए विशेष आदेश के बाद इसे बनवाया गया था. मद्रास के स्वर्णकार वुम्मिडि बंगारू चेट्टी ने इसे हस्तशिल्प कारीगरी द्वारा बनवाया था. इस अद्भुत कलाकृति के शीर्ष पर नंदी की सुंदर छटा देखते ही बनती है. 

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5- क्यों बनवाया गया था सेंगोल?

- अगस्त 1947 में सत्ता के हस्तांतरण का दिन पास आ रहा था, तब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए? नेहरूजी ने सी राजगोपालाचारी से परामर्श किया. वे देश के इतिहास व संस्कृति की गहरी जानकारी रखते थे. तब उन्होंने चोल राजाओं द्वारा इस अवसर पर अपनाए जाने वाली विधि और अनुष्ठान के बारे में बताया. इसके बाद फैसला हुआ कि नेहरू को सेंगोल सौंपा जाएगा. इसके बाद राजगोपालाचारी ने  अगस्त 1947 में भारतीय स्वतंत्रता को चिन्हित करने के लिए इसे बनवाने का फैसला किया. 

6- नेहरू को कब सौंपा गया था सेंगोल?

- 14 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल सौंपा गया था. उस वक्त आधीनम पुरोहितों ने खास गीत का गायन किया था. इस प्रकार मंगल कामना के साथ सत्ता का हस्तांतरण हुआ था. 
 

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7- नेहरू को किसने सौंपा था सेंगोल?

- जवाहर लाल नेहरू ने थिरूवावदुथुरई आधीनम् के महंत से सेंगोल को स्वीकार किया था. 

8- कौन थे अधीनम?

- आधीनम शैव परंपरा के गैर-ब्राह्मण अनुयायी थे और पांच सौ साल प्राचीन थे. चोल वंश में सत्ता के हस्तातंरण के वक्त सेंगोल को सौंपा जाता था. इससे पहले इसे धर्मगुरूओं द्वारा विशेष अनुष्ठान से पवित्र किया जाता था.  आजादी के बाद राजगोपालाचारी ने तमिलनाडु स्थित थिरुवावदुथुरई आधीनम के प्रमुख से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के लिए इसी अनुष्ठान को करने का अनुरोध किया था. आधीनम ने इस कार्य को संपन्न करने के लिए अगस्त 1947 में कुछ लोगों के एक विशिष्ट समूह को दिल्ली भेजा था. 

9- कैसे दोबारा चर्चा में आया सेंगोल?

- 15 अगस्त, 1947 के बाद सेंगोल नजर नहीं आया. बताया जाता है कि इसे इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था. 15 अगस्त, 1978 को  कांची मठ के चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने एक संवाद में इस घटना को याद किया. उन्होंने डॉक्टर बी आर सुब्रमण्यम से इसकी चर्चा की. सुब्रमण्यम ने इस चर्चा को अपनी किताब में भी जगह दी. इस संस्मरण को विभिन्न तमिल मीडिया में वरीयता दी गई. इसके बाद सेंगोल चर्चा में आ गया. 

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10- कहां लगाया जाएगा सेंगोल? 

- सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. इसे तमिलनाडु से आए अधीनम पीएम मोदी को सौंपेंगे. इसके बाद इसे स्पीकर की कुर्सी के पास रख दिया जाएगा. 

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