बफर जोन की चेक पोस्ट से हटेगी असम राइफल्स, मणिपुर सरकार का आदेश

मणिपुर में कुछ दिन पहले बफर जोर को पार कर हुई हिंसा के बाद अब मणिपुर सरकार ने चुराचांदपुर-बिष्णुपुर सीमा (बफर जोन) पर स्थित कई चेक पोस्टों में से एक से असम राइफल्स को बदलने का आदेश दे दिया है.

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मणिपुर में लंबे समय से जारी है हिंसा (फाइल फोटो- पीटीआई) मणिपुर में लंबे समय से जारी है हिंसा (फाइल फोटो- पीटीआई)

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST

मणिपुर सरकार ने चुराचांदपुर-बिष्णुपुर सीमा (बफर जोन) पर स्थित कई चेक पोस्टों में से एक से असम राइफल्स को बदलने का आदेश दिया. यह वह क्षेत्र है जहां कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अक्सर झड़पें और हिंसा देखी जाती है. हाल ही में 5 अगस्त को हुई हिंसक घटना में 3 लोग मारे गये. यहां भीड़ ने बफर जोन को पार कर हिंसा को अंजाम दिया था. कुछ नाकों पर असम राइफल्स की जगह सिविल पुलिस और सीआरपीएफ की तैनाती की जाएगी.

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दरअसल 5 अगस्त की रात बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा कुकी समुदाय के लोगों के घरों में आग लगा दी गई है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ लोग बफर जोन को पार करके मैतेई इलाकों में आए और उन्होंने मैतेई इलाकों में फायरिंग की. बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके से दो किमी से आगे तक केंद्रीय बलों ने बफर जोन बनाया है. 

वीडियो सामने आने के बाद और बिगड़ा माहौल

बीते दिनों इस राज्य का माहौल और भी बिगड़ गया है, जब मणिपुर से एक वीडियो सोशल मीडिया के जरिए लोगों के सामने आया है, जिसमें दो महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है. यह वीडियो 4 मई का है जिसे 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम - ITLF ने केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से इस मामले का संज्ञान लेने और दोषियों को कानून के सामने लाने की मांग की है. वहीं सीएम एन बीरेन सिंह ने इस मामले में जांच के आदेश भी दे दिए हैं . वीडियो में दिख रहे कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मणिपुर में अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं.

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मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा  

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए.  

मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं. 

मणिपुर में विवाद के क्या कारण  

- कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं.  

- नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं.  
- मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है. करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला. कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे. 
- नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे. बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला.  

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- जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्पेशल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में असिसटेंट प्रफेसर खुरीजम बिजॉयकुमार सिंह ने बताया कि मणिपुर की हिंसा सिर्फ दो ग्रुप का ही झगड़ा नहीं है, बल्कि ये कई समुदायों से भी बहुत गहरे जुड़ा है. ये कई दशकों से जुड़ी समस्या है. अभी तक सिर्फ सतह पर ही देखी जा रही है.  


 

 

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