पैंगोंग के बाद लद्दाख-देपसांग पर चीन से समझौते का प्लान, जानिए किस मोर्चे पर क्या है विवाद?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को देश की संसद में समझौते का ऐलान किया, गुरुवार शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी सामने आ गईं.

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भारत-चीन की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू किया (PTI) भारत-चीन की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू किया (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST
  • पूर्वी लद्दाख विवाद पर भारत-चीन में समझौता
  • दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू किया

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख पर करीब एक साल से जारी विवाद अब खत्म होने की ओर से है. दोनों देशों के बीच पैंगोंग लेक को लेकर समझौता हो गया है और अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति लागू करने की कोशिश है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को देश की संसद में समझौते का ऐलान किया, गुरुवार शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी सामने आ गईं.

लेकिन अब शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार पर आरोप लगाया है कि जमीन चीन को सौंप दी गई है.

कैसे लागू होगा भारत और चीन के बीच का समझौता?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक, दोनों देशों के सेनाएं पूर्वी लद्दाख की सीमाओं से अपने जवानों को पीछे हटाएंगी. इसके तहत चीन पैंगोंग लेक की फिंगर 9 तक जाएगा, भारत फिंगर 3 की धन सिंह थापा पोस्ट तक रहेगा.

नॉर्थ बैंक के अलावा साउथ बैंक पर मौजूद जवानों को भी पीछे हटाया जाएगा. जबतक ये प्रक्रिया चलेगी तबतक कुछ वक्त के लिए दोनों देश लेक में पैट्रोलिंग नहीं करेंगे. दोनों देशों की सेनाओं ने अबतक कई दौर की बातचीत की है, ऐसे में उसी के अनुसार दोनों सेनाएं अपने जवानों को पीछे हटाएंगे.  

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सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के जवान (PTI)


क्या हैं चीन के दावे और चिढ़? 
इस इलाके में भारत के पास राचिन ला पहाड़ी पर अधिकार है, जिससे चीन को चिढ़ मचती है. क्योंकि भारतीय सेना इसके सहारे चीन की पूरी सेना और बेस पर नज़र रख सकती है. अगर इससे अलग देपसांग इलाके की बात करें तो चीन यहां पर मजबूत हुआ है, लेकिन मौजूदा विवाद कुछ अतिरिक्त निर्माण और टैंक की तैनाती का है.  

बॉर्डर की व्यापक स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भी बयान दिया. राजनाथ सिंह के मुताबिक, चीन 1962 से ही लद्दाख की 38 हजार स्क्वायर किमी. जमीन पर अनाधिकृत रूप से कब्जा किए हुए है. इसके अलावा PoK की भी करीब 5180 स्क्वायर किमी. जमीन पर चीन का कब्जा है.

पैंगोंग लेक की आखिर स्थिति क्या है?
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन आमने-सामने आते हैं. यहां पर मौजूद पैंगोंग लेक करीब 134 किमी. लंबी है, जो समुद्री तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है. इस पूरी लेक के दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है, जबकि करीब 45 किमी. का हिस्सा भारत के पास है.

ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ था, जब भारतीय सेना ने फिंगर 4 से आगे पेट्रोलिंग की थी, जबकि चीन की ओर से फिंगर 2 तक आने की कोशिश की गई. इतना ही नहीं 1999 में चीन ने फिंगर 4 के पास अपनी एक सड़क भी बना ली थी, लेकिन भारत के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है.

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पैंगोंग के बाद देपसांग पर भी है नजर
मौजूदा वक्त में जो समझौता हुआ है, उसका मुख्य फोकस पैंगोंग लेक पर जारी विवाद को खत्म करने का है. लेकिन भारत की नजर देपसांग के विवाद पर भी है, जो 2013 में हुआ था. इस इलाके में भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और स्थिति काफी संवेदनशील रहती है. 

यही वो इलाका है, जहां पर बीते साल गोली चलने की घटना सामने आई थी. भारत यहां पर कैलाश रेंज पर अपनी नज़र गढ़ाए हुए है. साथ ही हॉट स्प्रिंग, घोघरा जैसे विवादित स्थान को लेकर भी आने वाली भारत और चीन सेनाओं के बीच की बैठक में चर्चा होगी.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के क्या हैं सवाल?
शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चीन मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस सांसद ने सवाल किया कि हमारी जगह जो पहले फिंगर 4 पर थी, लेकिन सरकार ने अब फिंगर 3 पर सहमति क्यों दी. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने भारतीय जमीन को चीन के हवाले क्यों दिया.

राहुल गांधी ने देपसांग मसले पर भी कहा कि वहां से चीनी सेना पीछे क्यों नहीं हटी है. ये साफ है कि देश के प्रधानमंत्री ने भारत की पवित्र जमीन चीन को पकड़ा दी है. राहुल बोले कि पीएम मोदी ने चीन के सामने माथा टेक दिया है.  

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(इनपुट: अभिषेक भल्ला)


 

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