Pahalgam Attack Update: 'हमने बिंदी हटाई, फिर भी पति को मार डाला', पहलगाम अटैक की पीड़ित महिला की आपबीती

pahalgam terror attack: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पुणे के दो लोगों की हत्या कर दी गई. पीड़िता ने बताया कि महिलाओं ने अपनी पहचान छुपाने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उनके पतियों को गोली मार दी गई. शरद पवार ने पीड़ितों से मुलाकात कर घटना की कड़ी निंदा की और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की.

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संतोष जगदाले के परिवार के सदस्य उनका पार्थिव शरीर पुणे स्थित उनके आवास पर लाए जाने के बाद विलाप करते हुए. PTI संतोष जगदाले के परिवार के सदस्य उनका पार्थिव शरीर पुणे स्थित उनके आवास पर लाए जाने के बाद विलाप करते हुए. PTI

aajtak.in

  • पुणे,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST

कश्मीर के पहलगाम में बैसरन के पास हुए आतंकी हमले में पुणे के कौस्तुभ गणबोटे और उनके मित्र संतोष जगदाले की दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना की चश्मदीद गवाह गणबोटे की पत्नी संगीता गणबोटे ने बताया कि कैसे आतंकियों ने उन्हें धार्मिक पहचान के आधार पर टारगेट किया.

'अज़ान' पढ़ने को कहा...
संगीता ने बताया कि चार आतंकियों ने उनके ग्रुप को रोका और मर्दों से 'अज़ान' पढ़ने को कहा. जब उनके पति और जगदाले को बुलाया गया, तो सभी महिलाएं डर के मारे अपने माथे की बिंदी हटाने लगीं और धार्मिक नारे लगाने लगीं ताकि पहचान छिपाई जा सके. फिर भी आतंकियों ने दोनों पुरुषों को गोली मार दी.

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स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति को भी मार डाला
एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति ने जब आतंकियों से सवाल किया कि वे निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं, तो उसे भी निर्वस्त्र करके गोली मार दी गई. संगीता ने बताया कि घटना के समय वहां कोई सुरक्षा नहीं थी और सभी लोग दहशत में थे. जगदाले की पत्नी प्रतिभा ने बताया कि उनके पति और गणबोटे को अस्पताल ले जाया गया लेकिन देर रात तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली. बाद में उन्हें उनकी मौत की खबर दी गई.

पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने भी घटना को 'दिल दहला देने वाला' बताया. उन्होंने कहा कि निर्दोष पर्यटकों की हत्या कायराना हरकत है और सरकार को आतंक के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए.

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'चार आतंकी आए थे'
कौस्तुभ गणबोटे के अलावा उनके बचपन के दोस्त संतोष जगदाले की भी आतंकी हमले में जान चली गई. दोनों परिवार एक साथ यात्रा कर रहे थे, तभी चार हथियारबंद आतंकवादियों के समूह ने उन्हें बैसरन में रोका और उनसे धर्म से जुड़े सवाल पूछने लगे.

'जिसने हमें बचाने की कोशिश की उसे भी मार डाला'
गणबोटे ने कहा, 'आतंकवादी सभी से 'अज़ान' पढ़ने पर जोर दे रहे थे. ग्रुप की सभी महिलाओं ने इसे पढ़ना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी उन्होंने हमारे आदमियों को मार डाला. एक स्थानीय व्यक्ति, जो मुस्लिम भी था, उसने चार आतंकवादियों से भिड़कर पूछा कि वे निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं. उसके भी कपड़े उतार दिए गए और उसे गोली मार दी गई.'

उन्होंने याद किया कि पुरुषों को सिर, आंखों और छाती में गोली मारी गई थी. जगदाले की पत्नी ने कहा कि आतंकवादी हमले के समय कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा, 'हम मदद के लिए चिल्लाने की स्थिति में भी नहीं थे क्योंकि बंदूकधारी आतंकवादी चारों ओर थे.'

उन्होंने यह भी कहा कि जब उनके पति और गणबोटे को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, तो उन्हें लंबे समय तक उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं दी गई. प्रतिभा जगदाले ने कहा, 'रात 10 बजे तक हमें बताया गया कि वे जीवित हैं. बाद में हमें बताया गया कि वे मर चुके हैं. हम सभी असहाय थे.' उन्होंने सरकारी अधिकारियों से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्यटकों के लिए क्षेत्र को बंद करने का आग्रह किया.

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