महाराष्ट्र सरकार ने थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का आदेश वापस लिया, हिंदी 'थोपे' जाने के आरोपों के बीच उठाया कदम

महाराष्ट्र सरकार ने थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर फिलहाल रोक लगाने का फैसला किया है. ये निर्णय जनता और राजनीतिक दलों की ओर से मिल रहे विरोध के बाद लिया गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया. उन्होंने कहा कि थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी और उसके क्रियान्वयन के तरीके को लेकर डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी. इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही नीति लागू की जाएगी.

Advertisement
महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी पर फिलहाल रोक लगा दी है महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी पर फिलहाल रोक लगा दी है

मुस्तफा शेख

  • मुंबई,
  • 29 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी से जुड़े अपने संशोधित सरकारी आदेश (GR) को वापस ले लिया है. हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में 'थोपे जाने' के आरोपों के बीच बढ़ते विरोध के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है. इसके साथ ही सरकार ने इस नीति की समीक्षा और क्रियान्वयन के लिए एक नई समिति गठित करने की घोषणा की है.

Advertisement

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया. उन्होंने कहा कि थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी और उसके क्रियान्वयन के तरीके को लेकर डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी. इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही नीति लागू की जाएगी.

'मराठी भाषा ही केंद्रबिंदु'

सीएम फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक समिति की सिफारिशें नहीं आतीं, तब तक थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी से संबंधित दोनों GR रद्द किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए मराठी भाषा ही केंद्रबिंदु है.

पहले क्या कहा गया था सरकारी आदेश में?

राज्य सरकार ने एक संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि मराठी और अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा. ये फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक स्तर पर चरणबद्ध क्रियान्वयन का हिस्सा था. हालांकि आदेश में यह भी उल्लेख था कि अगर किसी कक्षा में कम से कम 20 छात्र हिंदी की जगह कोई अन्य भारतीय भाषा चुनना चाहें, तो स्कूल को उस भाषा के शिक्षक की व्यवस्था करनी होगी या फिर वह विषय ऑनलाइन पढ़ाया जा सकता है.

Advertisement

विपक्षी पार्टियों ने की तीखी आलोचना

महाराष्ट्र सरकार के इस कदम की विपक्षी पार्टियों ने तीखी आलोचना की. उनका आरोप था कि सरकार क्षेत्रीय भाषाओं को नज़रअंदाज़ कर हिंदी को बढ़ावा दे रही है, जिससे राज्य की भाषाई विविधता और मराठी अस्मिता को नुकसान हो सकता है. राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और मराठी भाषी लोगों से सड़कों पर आकर अपना विरोध जताने की अपील की. 

मराठी जनभावना के आगे झुकी सरकार: राज ठाकरे

सरकार के इस फैसले के बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे का बयान सामने आया है, उन्होंने राज्य सरकार द्वारा तीन-भाषा नीति (थ्री लैंग्वेज पॉलिसी) से संबंधित दोनों शासनादेश (GR) रद्द करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश को मराठी जनभावना ने पूरी तरह विफल कर दिया है. राज ठाकरे ने कहा कि यह देर से आई समझदारी नहीं, बल्कि यह मराठी जनों के आक्रोश का ही असर है कि सरकार को पीछे हटना पड़ा. सरकार हिंदी को लेकर इतनी हठधर्मी क्यों थी, और उस पर यह दबाव कहां से था, यह अब भी एक रहस्य है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement