जंगल में बाघ का होना अच्छी खबर है. मगर झारखंड के लोहरदगा के जंगल में बाघ की मौजूदगी अविश्वसनीय और हैरान कर देने वाली है. यहां बाघिन की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं और इसकी पुष्टि भी हो चुकी है. पिछले एक महीने में बाघिन पांच गाय और बैलों को मार चुकी है.
बाघिन की मौजूदगी चर्चा में तब आई जब सलैया पंचायत के बड़का मडुआपाट निवासी इदरीश नगेसिया के तीन बैलों को उसने शिकार बनाया. बारिश में मवेशी जंगल में भटक गए थे और बाघिन का शिकार बन गए. दो और ग्रामीणों के पशुओं को बाघिन ने मारा है.
ग्रामीणों से मिली सूचना और वनकर्मियों की रिपोर्ट पर विभाग ने संज्ञान लेते हुए बाघिन की मौजूदगी की जांच कराई. पलामू टाइगर रिजर्व की टीम ने दो दिन क्षेत्र का भ्रमण किया. बाघिन द्वारा किए गए शिकार की पड़ताल की और पैरों के निशान देखे.
बाघ और बाघिन के पैरों के निशान अलग-अलग होते हैं. शिकार करने और खाने का तरीका भी अलग होता है. बाघ हमेशा अपने शिकार के शरीर के आगे वाले हिस्से से खाना शुरू करता है और 48 घंटे बीत जाने पर शिकार को नहीं खाता. जबकि लकड़बग्घा और दूसरे जानवर ऐसा करते हैं.
इसे भी क्लिक करें --- झारखंड: दारोगा रूपा तिर्की की मौत के मामले पुलिस ने पिता को भी बनाया आरोपी, जांच जारी
ग्रामीण इदरीश नगेशिया का दावा है कि वह जब अपने पशुओं की तलाश में निकले थे तो उन्होंने बाघिन को गुफा से निकलते हुए देखा था. हालांकि बाघिन ने किसी इंसान पर अब तक हमला नहीं किया है, लेकिन ग्रामीण सहमे हुए हैं और जंगल में निकलने पर काफी एहतियात बरत रहे हैं.
गौरतलब है कि इस क्षेत्र में भालुओं और लकड़बग्घों का आतंक रहा है. भालू इंसानों पर हमला करते रहे हैं और लकड़बग्घे पालतू जानवरों पर. मगर पिछले कुछ सालों से पलामू टाइगर रिजर्व और छत्तीसगढ़ के जंगलों से बाघों का लोहरदगा के जंगलों में प्रवेश, विचरण और शिकार करने की घटनाएं बीच-बीच में सुनी जाती रही हैं. लेकिन टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट की जांच में अब इसकी पुष्टि भी हो गई है.
प्रभावित किसान को मिलेगा मुआवजाः DFO
जिला वन अधिकारी (डीएफओ) अरविंद कुमार ने बताया कि बाघिन द्वारा तीन बैलों को मारे जाने की पुष्टि हुई है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभावित किसान को मुआवजा दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व की टीम ने यहां से जंगल में आकर जांच की है. यहां बाघिन के होने का पता चला है. संभावना है कि बाघिन टाइगर रिजर्व से भटक कर यहां आई होगी. लोगों को जंगल में एहतियात बरतने की जरूरत है.
सत्यजीत कुमार / सतीश शाहदेव